लोहारिया/बांसवाड़ा. लोहारिया नगरी में चातुर्मासरत षष्ठमाचार्य अभिनंदन सागर महाराज के शिष्य मुनि अनुकंपा सागर का मंगलवार रात्रि यम संल्लेखना पूर्वक समाधि मरण हुआ। बुधवार को सुबह साढ़े सात बजे मूलनायक पाŸवनाथ मंदिर से डोल यात्रा चिरा वाला टेकरी पर पहुंची। मुनि के समाधि मरण की सूचना मिलते ही लोहारिया में जैन समाजनन उमड़ पड़े। मुनि की समाधि मरण के दौरान मुनि आज्ञा सागर महाराज व मुनि विकसंत सागर महाराज ससंग व त्यागी गण का सानिध्य प्राप्त हुआ। जैन समाज अध्यक्ष अशोक नश्नावत ने बताया कि इस समाधि महोत्सव में पूरा जैन समाज तन मन धन से सहयोग कर रहा है।
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मुनि का परिचयमुनि का गृहस्थ नाम- शंकरलाल वोरापिता का नाम – चुन्नीलाल वोरामाता का नाम – गमीरी देवीपत्नी- प्यारी देवीनिवास -भीमपुरदीक्षा दिवस 17 फरवरी 2001दीक्षा गुरु अभिनंदन सागर महाराजसमाधि लोहारिया
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क्या है संल्लेखनाजैन धर्म में संल्लेखना का विशेष महत्व है। यह मृत्यु महोत्सव माना जाता है। जैन मुनि को 28 मूलगुणों का पालन करना होता है लेकिन जब वह अथवा उनका शरीर इन मूलगुणों के पालन में असमर्थ हो जाता है तो वह इच्छापूर्वक संल्लेखना समाधि ग्रहण कर शरीर का त्याग करते है।
लोहारिया में मुनि अनुकंपा सागर महाराज का समाधिमरण, डोल यात्रा में उमड़े जैन समाजजन
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