- Advertisement -
HomeNewsदेश के वह मुद्दे जिसके सहारे जनता की भावनाओं से खेल रहे...

देश के वह मुद्दे जिसके सहारे जनता की भावनाओं से खेल रहे हैं कुछ लोग

- Advertisement -

हिंदुस्तान की जनता की भावनाएं बहुत जल्दी आहत होती हैं, चाहे वह हिंदू हो या मुसलमान. हिंदुस्तान की जनता बहुत जल्दी भावनाओं में बह जाती है और इसी का फायदा चंद मौकापरस्त लोग और राजनीतिक पार्टियां उठा रही हैं.

आइए जानते हैं वह कौन-कौन से मुद्दे हैं जो मौजूदा समय में जनता की भावनाओं से खेलने में अहम रोल अदा कर रहे हैं.

भाजपा दोबारा सत्ता पर जनता के जनादेश से काबिज हो गई है, लेकिन अभी भी कुछ लोग कह रहे हैं कि भाजपा ईवीएम में धांधली करके चुनाव जीती है.

मौजूदा समय में जनता की भावनाओं से खेलने के लिए ईवीएम को कुछ लोगों ने मुद्दा बनाया हुआ है और कहा जा रहा है कि ईवीएम से चुनाव बंद होने चाहिए, बैलेट पेपर पर वापसी होनी चाहिए.

क्या सच में ईवीएम में धांधली करके भाजपा प्रचंड बहुमत से आई है?

देश के मौजूदा राजनीतिक परिदृश्य को देखते हुए अगर थोड़ा सा दिमाग लगाकर सोचा जाए तो ईवीएम इस खेल में ही नहीं है. ईवीएम के नाम पर बस जनता की भावनाओं से खेलकर कुछ लोग अलग-अलग तरीके से लाभ लेने की कोशिश कर रहे हैं और जनता के मन में भ्रम पैदा कर रहे हैं.

2019 के लोकसभा चुनाव में जनता ने बढ़-चढ़कर भाजपा को वोट किया है, यही सच्चाई है. लगातार आरोप लगते रहे हैं कि भाजपा को सवर्णों का समर्थन हमेशा हासिल रहता है और इसी कारण भाजपा सत्ता में भी है, लेकिन 2019 के चुनाव परिणामों पर गौर करें तो ऐसा बिल्कुल भी नहीं है, सवर्णों का बिल्कुल वोट मिला है भाजपा को, लेकिन सवर्णों के साथ-साथ इस देश के दलितों ने भी बढ़-चढ़कर भाजपा का समर्थन किया है.

मुसलमानों ने भी भाजपा का समर्थन किया है,मुसलमानों ने भी भाजपा को वोट दिया है. किसी जगह पर कम दिया है, किसी जगह पर नहीं दिया है, किसी जगह पर बहुत ज्यादा दिया है. मौजूदा समय में भाजपा को समाज के हर वर्ग का समर्थन हासिल है कहीं कम कहीं ज्यादा.

भाजपा को सीटों का फायदा हुआ है उसमें दो सबसे अहम फैक्टर रहे हैं.

पहला फैक्टर भाजपा का जो कोर वोटर है वह एकजुट होकर भाजपा के साथ खड़ा था, उसके बाद भाजपा ने अलग-अलग प्रदेशों में, पिछड़ी जातियों से लेकर दलितों तक और अलग-अलग वर्गों में इन जातियों को, इन जातियों के अंदर के महापुरुषों के नाम पर प्रोत्साहित कर, इन जातियों के महापुरुषो को सम्मान देकर इनको अलग-अलग तरीके से फायदा पहुंचा कर, इनका समर्थन हासिल किया है.

इसके अलावा देखा जाए तो 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा से ज्यादा वोट विपक्ष को मिला है, लेकिन वह वोट अलग-अलग पार्टियों में बट गया है, इसी का फायदा भाजपा को मिला है.

इस देश के अंदर अलग-अलग जातियों और अलग-अलग धर्मों  के लोगों को अपनी जाति के, धर्म के नेताओं के नाम पर वोट देने का जो चलन बढ़ा है, उसका फायदा भी भाजपा को मिला है.

ओवैसी के समर्थक ओवैसी को मुसलमान के नाम पर वोट देते हैं, लेकिन ओवैसी का वजूद इतना नहीं है कि वह केंद्र में सरकार बना सके, लेकिन ओवैसी को जो वोट मिलता है वह कहीं ना कहीं दूसरी पार्टियों को कमजोर करता है और वहां भाजपा मजबूत होती है.

मायावती के साथ भी यही कहानी है, मायावती पूरे देश में अलग-अलग राज्यों में चुनाव लड़ती है लेकिन देखा जाए तो उत्तर प्रदेश को छोड़कर मायावती और मायावती के पार्टी का वजूद नहीं है. मायावती चुनाव पूरे देश में लड़ती है, विधानसभा का भी और लोकसभा का भी.अब मायावती को जाति के नाम पर वोट देने वाले लोग मायावती को तो वोट दे देते हैं, लेकिन विपक्ष को कमजोर करते हैं और वही फायदा भाजपा को होता है.

भाजपा के खिलाफ एकजुट वोट एक पार्टी को नहीं करते हैं और जब भाजपा चुनाव जीत जाती है तो ईवीएम का रोना लेकर बैठ जाते हैं और कहते हैं ईवीएम हटाओ लोकतंत्र बचाओ, लेकिन कहीं भी गड़बड़ी ईवीएम में नहीं है. कहीं अगर थोड़ी बहुत धांधली हुई है तो वह शासन प्रशासन की मिलीभगत से हुई है, ईवीएम से नहीं हुई है.

जनता को अपने दिमाग से ईवीएम का भूत निकाल देना चाहिए, जब जनता अलग-अलग पार्टियों में बंट जायेगी, अपनी जाति और धर्म के नेताओं को वोट देगी, भाजपा के खिलाफ एकजुट होकर एक पार्टी को वोट नहीं करेगी तो फिर भाजपा तो जीतेगी ही. इसमें ईवीएम का फॉल्ट कहां से आया?

कुछ लोग ईवीएम में धांधली के नाम पर ईवीएम से चुनाव बंद करवाने की मांग को लेकर सिर्फ और सिर्फ जनता की भावनाओं से खेल रहे हैं, दिमाग में भ्रम पैदा कर रहे हैं और ऐसा करने वालों का अपना स्वार्थ है.

भाजपा को पूरे देश में दलित हो या सवर्ण, हिंदू हो या मुसलमान, कहीं कम कहीं ज्यादा सभी का वोट मिला है . दलितों ने तो इस बार बढ़-चढ़कर भाजपा का समर्थन किया है, उसके अलावा अगर कहीं मायावती का समर्थन किया भी है तो मायावती ने बहुत से मुद्दे पर भाजपा की दुबारा सरकार बनने के बाद भाजपा की हां में हां मिलाई है, फिर मायावती को वोट देने वाले वोटरों को सोचना चाहिए या किसी भी पार्टी को वोट देने वाले वोटरों को सोचना चाहिए कि हमारा वोट कहां जाना है?

केजरीवाल अब झारखण्ड में भी चुनाव लड़ेंगे और मायावती भी , इसके अलावा भाजपा कोन्ग्रेस है ही और भी कुछ छोटे दल. भाजपा का वोट एकजुट है बाकि जनता किसके किसके साथ जाएगी?वोट अलग अलग बांटने के बाद ईवीएम का रोना ?

हिंदू-मुसलमान, पाकिस्तान-आतंकवाद, मंदिर-मस्जिद इन मुद्दों पर जनता की भावनाओं से लंबे समय से भाजपा खेलती रही है और मौजूदा परिवेश में 18 साल से लेकर 22- 24 साल के युवाओं को इन्हीं मुद्दों पर भाजपा भ्रमित करके इन युवाओं का वोट ले रही है और यह 22 से 24 साल के युवा समाज के हर वर्ग से आ रहे हैं, चाहे वह हिंदू हो मुसलमान हो दलित हो पिछड़ा हो सवर्ण हो.

देश के अंदर महंगाई दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है देश की अर्थव्यवस्था पूरी तरीके से खत्म होने की कगार पर है, रोजगार पैदा हो नहीं रहे हैं, युवाओं को भाजपा रोजगार दे नहीं रही है. जिन लोगों के पास रोजगार है उनमें से भी ज्यादातर लोगों को कंपनियां बाहर का रास्ता दिखा रही है, लेकिन यह युवा मंदिर-मस्जिद, हिंदू-मुसलमान,पाकिस्तान-आतंकवाद, एनआरसी के नाम पर मोदी मोदी कर रहे हैं.

सच यह है कि मौजूदा परिवेश में छद्म राष्ट्रवाद के सहारे भाजपा ने देश के युवाओं का और ज्यादातर जनता का ध्यान जमीनी सच्चाई से हटाया हुआ है. इस छद्म राष्ट्रवाद का नशा जिस दिन जनता की नसों से उतर जाएगा उस दिन जनता को खोखला भारत नजर आएगा और इसमें सबसे ज्यादा अगर गलती किसी की होगी तो वह स्वयं जनता रहेगी. क्योंकि जनता गैर जरूरी मुद्दों पर भाजपा का समर्थन करती जा रही है और जो जनता भाजपा के साथ नहीं है वह अपना वोट अपनी जाति और धर्म के नेताओं उम्मीदवारों और पार्टियों को देकर बांट रही है और भाजपा को मजबूत कर रही है.

खुद का मन बहलाने के लिए जमीनी सच्चाई को नजरअंदाज कर रही है और ईवीएम बैंन कराने की मांग कर रही है. अगर ईवीएम बैंन भी हो जाती है तो बैलेट पेपर से चुनाव होंगे,बैलट पेपर भी तो लूटा जा सकते हैं, धांधली हो सकती है उसमें, फिर जनता के पास क्या चारा होगा जमीनी सच्चाई से मुंह फेरने का?

ईवीएम जैसे गैरजरूरी मुद्दे पर ध्यान लगाने से अच्छा है कि, जनता एकजुट हो जाए .अलग-अलग पार्टियों में अपना वोट न बाटे, हिंदू मुसलमान के नाम पर नफरत न फैलने दें, जाति धर्म के नाम पर अपना वोट खराब ना होने दें. यह चीजें जनता अगर करने लगी तो जो लोग भाजपा के साथ एकजुटता के साथ खड़े हैं, कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं, उसके बावजूद भाजपा हार जाएगी. उस दिन ईवीएम का कीड़ा भी दिमाग से निकल जाएगा जनता के.

यह भी पढ़े : आखिर जरूरी मोर्चों पर फेल होने के बाद भी मोदी क्यों जीते?

राष्ट्र के विचार
The post देश के वह मुद्दे जिसके सहारे जनता की भावनाओं से खेल रहे हैं कुछ लोग appeared first on Thought of Nation.

- Advertisement -
- Advertisement -
Stay Connected
16,985FansLike
2,458FollowersFollow
61,453SubscribersSubscribe
Must Read
- Advertisement -
Related News
- Advertisement -