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क्या राहुल गांधी की नाराजगी के बाद शिवसेना नागरिकता संशोधन बिल फैसले पर विचार कर रही है ?

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राहुल गांधी ने नाम लिए बिना ट्वीट किया कि जो इस बिल का समर्थन कर रहा है वह देश की बुनियाद पर हमला कर रहा है. बता दें कि लोकसभा में नागरिकता संशोधन बिल पास हो गया है जिसमें महाराष्ट्र में कांग्रेस की सहयोगी शिवसेना ने भी बिल का समर्थन किया था

लोकसभा में बिल का समर्थन करने पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने अप्रत्यक्ष रूप से शिवसेना पर निशाना साधा.

राहुल गांधी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया, नागरिकता संशोधन विधेयक भारतीय संविधान पर हमला है, जो कोई भी इसका समर्थन करता है वो हमारे देश की बुनियाद पर हमला और इसे नष्ट करने का प्रयास कर रहा है.माना जा रहा है कि राहुल ने इस ट्वीट के जरिए शिवसेना के बिल के समर्थन के फैसले पर नाराजगी जताई है.

The #CAB is an attack on the Indian constitution. Anyone who supports it is attacking and attempting to destroy the foundation of our nation.— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) December 10, 2019

संजय राउत के बयान से आया ट्विस्टउधर, शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत के एक बयान से मामले में ट्विस्ट आ गया है. संजय राउत ने कहा कि कल लोकसभा में क्या हुआ, वह भूल जाइए. इस बयान के बाद कयास लगाए जा रहे हैं कि शिवसेना इस मामले पर अपना स्टैंड बदल सकती है.हालांकि, संजय राउत ने पहले इस बिल का समर्थन किया था.

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बता दें कि लोकसभा में सोमवार रात नागरिकता संशोधन विधेयक पास हो गया है. इस दौरान शिवसेना के सांसदों ने भी बिल पर सहमति दर्ज कराई.कांग्रेस नेता हुसैन दलवई ने शिवसेना के बिल को समर्थन देने पर हैरानी जताई.उन्होंने कहा,मुझे नहीं पता कि शिवसेना ने बिल को समर्थन क्यों दिया है.मेरे ख्याल से तो उन्हें वॉकआउट कर देना चाहिए था.

लोकसभा में बिल के पास होने के बाद बुधवार को इसे राज्यसभा में पेश किया जाएगा.लोकसभा में इस बिल के पक्ष में 311 वोट पड़े, जबकि 80 सांसदों ने इसके खिलाफ मतदान किया.पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए शरणार्थियों को इस बिल में नागरिकता देने का प्रस्ताव है. इस बिल में इन तीनों देशों से आने वाले हिंदू, जैन, सिख, बौद्ध, पारसी और ईसाई समुदाय के शरणार्थियों को नागरिकता का प्रस्ताव है.

बिल का विरोध करने वालों का कहना है कि यह विधेयक भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, जिसमें समानता के अधिकार की बात की गई है, की मूल भावना के खिलाफ है.पूर्वात्तर प्रदेशों में इस बिल का सबसे ज़्यादा विरोध हो रहा है. इसका कारण है, उनकी संस्कृति और सभ्यता पर पड़ने वाला प्रभाव.असम में यह विधेयक असम करार, 1985 और NRC के खिलाफ है, क्योंकि असम करार, 1985 के मुताबिक जो भी व्यक्ति 1971 के बाद प्रदेश में रहने आए, फिर चाहे वे किसी भी धर्म के हों, उन्हें असम में नागरिकता नहीं दी जा सकती. इस कारण असम में NRC और CAB (नागरिकता संशोधन विधेयक) लेकर लोगों में भ्रम की स्थिति है.

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Thought of Nation राष्ट्र के विचार

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