यूरोपियन सांसदों के 28 लोगों का दल कल जाएगा जम्मू-कश्मीर. घाटी को दो टुकड़ों में बांटने के बाद देश के अंदर की दूसरी राजनीतिक पार्टियों को अभी तक उनकी मर्जी से घाटी का दौरा नहीं करने दिया है भाजपा सरकार ने.
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के साथ विपक्षी पार्टियों का एक प्रतिनिधि मंडल घाटी का दौरा करना चाहता था, लेकिन उसे एयरपोर्ट से वापस भेज दिया गया था. इसके अलावा भी कई नेता घाटी का दौरा करना चाह रहे थे, घाटी के मौजूदा हालात जानना चाह रहे थे, लेकिन मोदी सरकार ने किसी को भी घाटी के अंदर घुसने की अनुमति नहीं दी. एक-दो नेता जो घाटी के कुछ जगहों तक गए वह भी सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर पर गए.
भारत की शुरू से नीति यही रही है कि, कश्मीर भारत का आंतरिक मामला है और इस पर किसी बाहरी देश का हस्तक्षेप कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, सरकार कोई भी रही हो देश के अंदर सभी ने इसी नीति को आगे बढ़ाया है, लेकिन इस नीति से आगे बढ़कर मोदी सत्ता ने कश्मीर का अंतरराष्ट्रीयकरण करके रख दिया है.
घाटी को दो टुकड़ों में बांटने के बाद, धारा 370 को महत्वहीन करने के बाद, मोदी सत्ता ने दावा किया था कि, कश्मीर की समस्या का समाधान हो गया है. आरएसएस और भाजपा शुरू से यही कहते आए हैं कि, कश्मीर की समस्या धारा 370 है और इसे खत्म करना जरूरी है. 2019 के लोकसभा चुनाव जीतने के बाद मोदी सरकार ने धारा 370 को महत्वहीन कर दिया. बताया गया कि कश्मीर का विकास नहीं हो रहा था, अब विकास होगा कश्मीर में रोजगार पैदा नहीं हो रहा था, अब रोजगार पैदा होगा. हालांकि देश के अन्य राज्यों से तुलना की जाए तो कई राज्यों की अपेक्षा कश्मीर ज्यादा विकसित है और रोजगार के मामले में भी कई राज्यों से आगे है.
पाकिस्तान लगातार कश्मीर का अंतरराष्ट्रीयकारण करने की कोशिश करता आया है, धारा 370 को महत्वहीन करने से पहले से, लेकिन देश के अंदर कोई भी सरकार रही हो चाहे वह कांग्रेस की हो या किसी दूसरी पार्टी की कभी कश्मीर का अंतरराष्ट्रीयकरण नहीं करने दिया. सभी इसी नीति पर चले हैं कि कश्मीर हमारा आंतरिक मामला है, लेकिन जब से घाटी को दो टुकड़ों में तब्दील करके केंद्र शासित प्रदेश में बदला है मोदी सरकार ने, उसके बाद से ही लगातार कश्मीर का अंतरराष्ट्रीयकरण हो रहा है.
अमेरिकी राष्ट्रपति कई बार कह चुके हैं कि वह कश्मीर पर भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता करने के लिए तैयार हैं, हालांकि मोदी सरकार ने उस समय कहा था कि, कश्मीर हमारा आंतरिक मामला है जिसके बाद ट्रंप शांत हो गए और उन्होंने कहा था कि अगर भारत और पाकिस्तान चाहे तो वह मध्यस्थता करने के लिए तैयार हैं. कई बार भारत के मना करने के बाद भी अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कश्मीर पर बयान दिए हैं.
पाकिस्तान हमेशा यही चाहता आया है कि, कश्मीर का अंतरराष्ट्रीयकरण हो. मोदी सरकार जब से सत्ता में आई है उसी समय से सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर तमाम दावे करती रही है और पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय मीडिया को अंतरराष्ट्रीय नेताओं को पीओके का दौरा करा कर भारत के दावे को नकारता आया है, लेकिन भारत के अंदर कश्मीर का दौरा करने के लिए कश्मीर की स्थिति का जायजा लेने के लिए कभी इतने बड़े स्तर पर विदेशी प्रतिनिधिमंडल नहीं आया है.
कुछ दिन पहले ब्रिटेन की संसद में भी कश्मीर को लेकर बहस हुई थी और ब्रिटेन की संसद में यह मांग की गई थी कि, मानवाधिकारों के उल्लंघन के जो आरोप कश्मीर को लेकर लग रहे हैं उसकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए. इसके अलावा कुछ दिन पहले अमेरिकी संसद में भी कश्मीर को लेकर मुद्दा उठाया गया था, लेकिन यह सब कुछ मुद्दे उठाने तक सीमित था. लेकिन मौजूदा समय में यूरोपियन सांसदों की एक टीम कश्मीर के दौरे के लिए आई हुई है. जिसे मोदी सरकार राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के जरिए कश्मीर की स्थिति से अवगत कराएगी.
संदेश साफ है घाटी का अंतरराष्ट्रीयकरण हो चुका है. देश की राजनीतिक पार्टियों के नेताओं को घाटी में नहीं जाने दिया जा रहा है, घाटी के मुख्यधारा के नेताओं को नजर बंद करके रखा गया है, लेकिन विदेशी दबाव में आकर मौजूदा भारतीय सत्ता ने यूरोपीय सांसदों के प्रतिनिधिमंडल को कश्मीर दौरे की इजाजत दे दी है.
आजादी के बाद से ही देश के अंदर जो भी सता रही हो सभी का यही कहना रहा है कि किसी भी बाहरी मुल्क को हमारे देश के आंतरिक मामलों में दखल देने की इजाजत नहीं है और कभी किसी सत्ता ने दी भी नहीं है, लेकिन मौजूदा मोदी सत्ता ने तमाम मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोपों के बीच यूरोपियन सांसदों को उनकी टीम को कश्मीर का दौरा करने की इजाजत दे दी है. अब यहां पर सवाल यह उठता है कि, कश्मीर के दौरे के बाद अगर विदेशों में जाकर यह प्रतिनिधिमंडल कोई सवाल खड़े करता है, भारत सरकार पर आरोप लगाता है उसके बाद क्या होगा?
मौजूदा मोदी सत्ता का कहना है कि जम्मू कश्मीर को दो टुकड़ों में बांट कर केंद्र शासित प्रदेशों में तब्दील करके कश्मीर समस्या का समाधान कर दिया है, जबकि सच्चाई यह है कि जम्मू कश्मीर की सबसे बड़ी समस्या जम्मू कश्मीर का आतंकवाद है जो पाकिस्तान समर्थित है. यूरोपीय सांसदों के प्रतिनिधिमंडल के दौरे से ठीक पहले सुरक्षाकर्मियों पर आतंकवादी हमला हुआ है. अब अगर कश्मीर की समस्या का समाधान मोदी सरकार ने कर दिया है फिर यह आतंकवादी हमले हो कैसे रहे हैं?
मोदी सत्ता ने राजनीतिक लाभ के लिए कश्मीरी आवाम को कैद करके रख दिया है. कई दिनों तक मूलभूत सुविधाओं से कश्मीरी आवाम को वंचित रखा. मोदी सरकार कश्मीर पर पूरी तरीके से फेल हो चुकी है और अब मोदी सरकार अपने अनुभवहीनता का परिचय देते हुए कश्मीर का अंतरराष्ट्रीय करण होते हुए देख रही है.
कश्मीर का अंतरराष्ट्रीयकारण होगा तमाम तरह के आरोप लगेंगे मानवाधिकारों के उल्लंघन के उसके बाद हो सकता है मोदी सरकार इसके लिए फिर से देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित नेहरू को जिम्मेदार ठहराना शुरू कर दे.
पाकिस्तान जो चाह रहा था मोदी सत्ता ने वही काम कर दिया है, किसी भी बाहरी मुल्क को देश की अंदरूनी हालात में दखल देने की इजाजत भारत ने कभी नहीं दी है और पाकिस्तान लगातार मांग कर रहा था कि, दुनिया के तमाम देश कश्मीर पर ध्यान दें. पाकिस्तान कह रहा था कि भारत कश्मीरियों पर जुल्म कर रहा है अब जैसा पाकिस्तान चाह रहा है वहीं मोदी सत्ता कर रही है.
अगर मोदी सरकार ने सिर्फ यूरोपियन सांसदों के प्रतिनिधिमंडल को गाड़ी में बिठाकर अलग-अलग जगहों पर घुमाया, घाटी के लोगों से मिलाया नहीं, यूरोपियन सांसदों को अपने मन से अलग-अलग जगहों पर घूमने नहीं दिया, वह जिससे चाहे उससे बात नहीं करने दिया, थोड़ा सा भी यूरोपियन सांसदों को शक हुआ क, मोदी सरकार जिन लोगों से मिला रही है वह मोदी सरकार के इशारे पर काम करने वाले लोग हैं या फिर यह आरोप लगाया कि पैसों पर खरीदे हुए लोग हैं, वहां से शुरू होगा भारत सरकार पर विदेशियों की थू-थू .
क्योंकि कुछ समय पहले राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल का एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें वह कुछ कश्मीरियों के साथ खाना खाते हुए नजर आ रहे थे, उस समय कहा गया था कि देश की जनता की आंखों में धूल झोंकने के लिए मैनेज करके यह वीडियो बनाया गया है.
लेकिन विदेशियों को गुमराह करना इतना आसान नहीं है. सच कहें तो मोदी सरकार ने राजनीतिक लाभ के लिए कश्मीर को दाव पर लगा दिया है.
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