चुनाव आयुक्त अशोक लवासा की पत्नी को आयकर विभाग की तरफ से नोटिस दिया गया है. इसमें सबसे खास बात यह है कि अशोक लवासा वही व्यक्ति हैं, जिन्होंने 2019 लोकसभा चुनाव के दौरान आचार संहिता उल्लंघन के आरोपों में प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी के उस समय के मौजूदा अध्यक्ष अमित शाह को, चुनाव आयोग की तरफ से क्लीनचिट देने का विरोध किया था और अपनी असहमति दर्ज कराई थी.
अशोक लवासा की पत्नी को आयकर विभाग की तरफ से नोटिस जारी किया गया है,उनकी पत्नी को यह नोटिस कई कंपनियों के स्वतंत्र निदेशक की हैसियत से हो रही उनकी आमदनी को लेकर दिया गया है.
खबरों के अनुसार आयकर विभाग ने पिछले हफ्ते नोवेल लवासा से पूछताछ की थी. आयकर विभाग ने अशोक लवासा की पत्नी से पूछताछ के दौरान कई कंपनियों में डायरेक्टर रहते हुए उनकी आमदनी को लेकर जानकारी मुहैया कराने को कहा था.
2019 लोकसभा चुनाव के दौरान अशोक लवासा उस समय सुर्खियों में आए थे, जब लगातार विपक्षी पार्टियों को आचार संहिता के उल्लंघन के मामले में चुनाव आयोग नोटिस दे रहा था, लेकिन प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह को लगातार चुनाव आयोग की तरफ से क्लीन चिट मिल रही थी. उस समय अशोक लवासा ने क्लीन चिट दिए जाने का विरोध किया था.
आचार संहिता उल्लंघन की शिकायतों की जांच करने के लिए जो समिति गठित की गई थी, उसमें मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा, अशोक लवासा और सुशील चंद्रा शामिल थे, लेकिन जब प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह को क्लीन चिट दी गई थी, उस समय 3 सदस्यों में से 2 लोगों ने क्लीन चिट दिए जाने का समर्थन किया था और बाकी बचे अशोक लवासा ने विरोध दर्ज कराया था.
उनका कहना था कि प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह के बयान आचार संहिता के उल्लंघन के दायरे में आते हैं, लेकिन बहुमत से लिए गए फैसले में क्लीन चिट मिल गई थी, प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह को, इसके अलावा अशोक लवासा ने अपने विरोध को रिकॉर्ड में दर्ज करने के लिए भी बोला था, लेकिन उनके विरोध को रिकॉर्ड पर भी नहीं दर्ज किया गया.
अशोक लवासा ने चुनाव आयोग पर यह भी आरोप लगाया था कि, जब से उन्होंने क्लीन चिट दिए जाने का विरोध किया है, उसी समय से चुनाव आयोग की बैठकों से दूर रहने के लिए उन पर दबाव बनाया गया है.
2019 लोकसभा चुनाव के दौरान लगातार कई नेताओं पर आचार्य संहिता के उल्लंघन के आरोप लगे थे. कई नेताओं की चुनावी रैलियों और प्रचार पर बैन लगाया गया था, चुनाव आयोग की तरफ से, लेकिन लगातार आरोप लगने के बाद भी प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह पर आचार संहिता के उल्लंघन के तहत कोई कार्यवाही नहीं की गई थी और क्लीन चिट दे दी गई थी.
प्रधानमंत्री मोदी ने राजस्थान में चुनावी रैली के दौरान पुलवामा हमले में शहीद हुए सैनिकों की फोटो अपनी चुनावी रैली के मंच के पीछे लगाकर जनता से पूछा था कि क्या आप सैनिकों के नाम पर अपना वोट दे सकते हैं? एक तरह से प्रधानमंत्री मोदी ने सैनिकों के नाम पर अपनी पार्टी के लिए वोट मांगा था. इसके अलावा भी कई आरोप लगे थे.
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