जनता द्वारा मारे गए करारे झापड़ की गूंज को दबाकर PM मोदी और अमित शाह महाराष्ट्र और हरियाणा के चुनाव को बहुत बड़ी जीत क्यों बता रहे हैं?
सच्चाई तो यही है कि महाराष्ट्र और हरियाणा में भाजपा के बड़े-बड़े नेताओं की राजनीतिक इज्जत उछल चुकी है. बात अगर महाराष्ट्र की करे तो शिवसेना के साथ गठबंधन के कारण भाजपा के साथ-साथ प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह की मीडिया प्रचार के बूते बनाई गई राजनीतिक हैसियत लुटने से बच गई.
शिवसेना के साथ गठबंधन करके भाजपा ने महाराष्ट्र में भले सत्ता के अंदर दोबारा एंट्री कर ली हो, लेकिन इसके बावजूद महाराष्ट्र के नागपुर यानी भाजपा जिस संगठन से पैदा हुई है उस आरएसएस के गढ़ को कांग्रेस ने हिला कर रख दिया है इस विधानसभा चुनाव में.
आरएसएस के गढ़ रहे नागपुर में कई सीटों पर कांग्रेस ने भाजपा और आरएसएस के चूले हिला दिए है, महाराष्ट्र में भले ही भाजपा और शिवसेना के गठबंधन ने सरकार बना ली हो, लेकिन बात अगर नागपुर की करे तो जनता ने फांसी वादी विचारधारा को कुछ अलग संदेश दिया है. आरएसएस की स्थापना नागपुर में ही हुई थी और नागपुर में ही आरएसएस का मुख्यालय है. ज्यादातर भाजपा सरकार में नीतियां इसी मुख्यालय की हरी झंडी से लागू की जाती है.
नागपुर में कांग्रेस की बढ़त यह संदेश दे रही है की अगर जनता के साथ कांग्रेस और विपक्ष कनेक्ट रहे भाजपा के मीडिया मैनेजमेंट और प्रचार कि हवा निकलती रहे तो, नागपुर के साथ-साथ पूरे देश में प्रधानमंत्री मोदी भाजपा और अमित शाह की बनावटी छवि के चिथड़े उड़ते हुए आने वाले कुछ सालों में दिख सकते हैं.
भाजपा के नेताओं के साथ-साथ अमित शाह और प्रधानमंत्री मोदी खुद महाराष्ट्र और हरियाणा की जीत को अभूतपूर्व जीत और बहुत बड़ी जीत बता रहे हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि महाराष्ट्र और हरियाणा दोनों ही राज्यों में बीजेपी के दिग्गज अपनी इज्जत नहीं बचा पाए हैं. दोनों ही राज्यों में दोनों ही सरकारों के बड़े-बड़े मंत्री चुनाव हार चुके हैं.
लगातार उग्र राष्ट्रवाद पर चुनाव प्रचार करने वाले प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह को समझना होगा की चुनाव परिणाम आने के बाद लुट चुकी भाजपा की बड़ी राजनीतिक साख को बचाने के लिए मीडिया के सहारे दोबारा प्रचार में बने रहने के लिए वह कितना भी कहले की यह बड़ी जीत है लेकिन सच्चाई यह है कि भाजपा,आरएसएस,प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह का पैसों के दम पर प्रचार के दम पर यह आडंबर छलावा अधिक तक चलने वाला नहीं है.
उप चुनाव के परिणामों में भी प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह की छवि को तगड़ा झटका लगा है. देशभर के 18 राज्यों की 57 सीटों पर उपचुनाव के नतीजे आ गए हैं गुजरात में भी बीजेपी को झटका लगा है. हरियाणा और महाराष्ट्र के साथ-साथ उपचुनाव के परिणामों पर गौर किया जाए तो संदेश जनता का साफ है कि, गाय हिंदू-मुसलमान, धर्म और हिंदुत्व के नाम पर राजनीति अधिक समय तक देश बर्दाश्त नहीं करने वाला है.
इसके अलावा अलग-अलग क्षेत्रों में नाम कमाने वाली हस्तियों को भाजपा ने टिकट दिया था, जिसमें बबीता फोगाट योगेश्वर दत्त और टिक टॉक स्टार सोनाली फोगाट का नाम प्रमुख था और यह तीनों ही चुनाव हार चुके हैं.
प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह के संबोधन पर गौर किया जाए तो मतलब साफ है,भाजपा और आरएसएस में हाहाकार मची हुई है. हार की हताशा को और मीडिया द्वारा देश के अंदर बनाई गई अपनी छवि को मेंटेन रखने के लिए, जनता के पैसे को खर्च करके मीडिया के द्वारा प्रधानमंत्री मोदी और अमित शाह के संबोधन का लाइव टेलीकास्ट करवा कर भाजपा द्वारा देश के अंदर छवि को बरकरार रखने की नाकाम कोशिश मात्र थी. अंदर ही अंदर इन चुनाव परिणामों से भाजपा में खलबली मची हुई है.
चुनाव परिणामों के बाद भाजपा को भी इस चीज का एहसास हो चुका है कि,अगर विपक्ष थोड़ा जोर लगा देता प्रचार में तो दोनों राज्यों में भाजपा की जमीन खिसक चुकी होती.
बात अगर घुंघरू मीडिया की की जाए और सत्ता के इशारे पर नाचने वाले पत्रकारों की की जाए तो चुनाव परिणामों के बाद मीडिया और सत्ता के इशारे पर नाचने वाले पत्रकारों के चेहरे पर एक अजीब सी उदासी देखने को मिली है.
भाजपा के साथ-साथ यह चुनाव परिणाम घुंघरू मीडिया के लिए भी उदासी लेकर आए हैं,घुंगरू मीडिया ने भाजपा के इशारे पर देश में हिंदू-मुस्लिम, मंदिर-मस्जिद,पाकिस्तान कश्मीर और आतंकवाद के नाम पर जहर फैलाने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी.
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