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दिलीप कुमार की शैली में फकीरी थी, सीकर से जुड़ी हैं यादें, खाना आया था बेहद पसंद

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सीकर. दिलीप कुमार की यादें राजस्थान की माटी से भी गहरी जुड़ी हैं। वर्ष 2000 में वे सीकर में एक कार्यक्रम में भाग लेने आए थे। तब उनसे मेरी मुलाकात हुई। दिलीप कुमार बड़े अभिनेता थे लेकिन उनकी शैली में फकीरी थी। वह जहां भी जाते थे वह लोगों से दिल से मिलते थे। उनकी बातचीत में बेहद सादगी झलकती थी। वे सीकर में अपनी पत्नी सायरा बानो के साथ एक्सीलेंस स्कूल के कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आए थे। उस कार्यक्रम में मेरी मुलाकात उनसे हुई। तब मैंने शिष्टाचार के नाते उनसे कहा कि कल घर पधारें। मुझे उम्मीद नहीं थी कि वे घर आएंगे और मैं भूल गया। दूसरे दिन करीब साढ़े बारह बजे वे तीन चार गाडिय़ों के साथ घर आए। उनके रिश्तेदार भी उनके साथ थे। चाय-नाश्ता के साथ उनसे खूब बातें हुई। मेरे माता-पिता से भी उन्होंने खूब बातें की। मेरी मां हिंदी बोलती है, लेकिन उसमें पंजाबी भाषाा की झलक भी रहती है। इस पर दिलीप कुमार ने पूछा क्या आप पंजाबी हैं, मां ने कहा, हां, फिर पंजाब और देश विभाजन के मुद्दे पर उन्होंने खूब बातें की, सायरा बानो बहुत कम बोल रही थीं। उन्होंने उस समय कहा था कि उन्हें याद नहीं कि वे पहले कभी सीकर आए हैं। बातों-बातों में मैने कहा, शाकाहारी लंच तैयार है आप लेना पसंद करेंगे। इस पर उन्होंने कहा दाल तो होगी। फिर उन्होंने दोपहर का भोजन घर ही किया था, जब बोले यहां की सब्जियों का स्वाद मुंबई से अलग है। मैंने कहा, यह मीठे पानी की सब्जी हैे, इसलिए स्वाद मुंबई से अलग है। करीब तीन घंटे तक वे घर रहे, उनकी उसी दिन शाम को जयपुर से फ्लाइट थी और फिर वे जयपुर चले गए।———————-सीएम गहलोत का फोन आया थाउस समय मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का मेरे पास फोन आया कि दिलीप कुमार का निजी तौर पर विशेष ध्यान रखना। जिस कार्यक्रम वे जहां जा रहे हैं वहां किसी तरह का विवाद न हो।————————-माता-पिता को भी उनकी बातें यादआईएएस मधुकर गुप्ता बताते हैं उनके पिता की आयु 89 और मात की आयु 85 है, लेकिन दिलीप कुमार के साथ ही बातें उन्हें आज भी याद हैं। मेरे पिता ने उनसे कहा था कि आपकी फिल्में खूब देखी हैं। उन्होंने हमारे घर में बातचीत में कहा, राजस्थान आकर बहुत अच्छा लगा। यहां सद्भाव देखकर खुशी हुई।———————दुनिया कहां पहुंच गई, हमें तो हमारी बेटियों को पढ़ाना होगाएक्सीलेंस स्कूल के संस्थापक वाहिद चौहन ने पत्रिका से बातचीत में बताया कि उन्होंने बेटियों को तालीम देने के लए निशुल्क स्कूल शुरू किया। लेकिन उस दौर समाज का बेटियों की शिक्षा के प्रति कम रूझान था। एक बार बातचीत हुई तो उनको बताया कि स्कूल खोल दिया लेकिन बेटियां कम आती है। इस पर उन्होंने कहा कि दुनिया पढ़ाई के दम पर कहां से कहां चली गई और हम अब भी पिछड़ रहे। इस दौरान उन्होंने कहा कि मैं तेरे साथ सीकर चलूंगा। इसके कुछ दिनों बाद वह सीकर के एक्सीलेंस स्कूल में आए। यहां वह तीन दिन तक रूके। इस दौरान उन्होंने समाज में शिक्षा के प्रति जागरुकता लाने के लिए अभिभावकों से बातचीत भी की। कार्यक्रम े जरिए उन्होंने लोगों का ऐसा हौसला बढ़ाया कि आज सीकर की बेटियां पढ़ाई के मामले में बेटों को भी पीछे छोड़ रही है।

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