दुष्यंत चौटाला ने हरियाणा में भाजपा के पिछले 5 साल के कुशासन के खिलाफ जनता से भाजपा के खिलाफ वोट मांगा था.
हरियाणा के युवाओं से दुष्यंत चौटाला ने अपील की थी कि, वह भाजपा के खिलाफ बढ़-चढ़कर वोट करें उनकी पार्टी के लिए हरियाणा की जनता से समर्थन मांगा था.पिछले 5 साल का कुशासन जनता के सामने रखा था. जनता ने भाजपा के खिलाफ हरियाणा में बढ़-चढ़कर वोट दिया. कुछ निर्दलीयों को, कुछ दुष्यंत चौटाला की पार्टी जेजीपी को और इसके अलावा सबसे ज्यादा सीटें कांग्रेस को दी.
भाजपा ने हरियाणा में 75 पार का नारा दिया था, यानी भाजपा दावा कर रही थी कि हरियाणा की 90 विधानसभा सीटों में से भाजपा अकेले 75 पार करेगी. मीडिया में भी यही हवा बनाई गई कि भाजपा हरियाणा प्रचंड बहुमत से जीत रही है.
प्रधानमंत्री मोदी ने और तमाम भाजपा के बड़े नेताओं ने हिंदुस्तान, पाकिस्तान, जम्मू-कश्मीर, आतंकवाद 370 और सेना के नाम पर हरियाणा में चुनाव प्रचार किया. जनता ने भाजपा को सिरे से खारिज कर दिया. कांग्रेस के वादों पर भरोसा किया और कांग्रेस हरियाणा में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, इसके बाद निर्दलीयों को जनता ने समर्थन दिया कुछ सीटों पर और कुछ सीटों पर दुष्यंत चौटाला की जेजीपी को. यानी हरियाणा की जनता का मैसेज साफ था कि इस बार हरियाणा में भाजपा की सरकार नहीं चाहिए.
लेकिन हरियाणा की जनता को शर्मिंदा करते हुए, अपने वादों से मुकरते हुए,हरियाणा को धोखा देते हुए दुष्यंत चौटाला ने उनकी पार्टी जेजीपी का समर्थन भाजपा को देकर दोबारा हरियाणा में भाजपा की सरकार बनाने में मदद कर दी है.
भाजपा की तरफ से मनोहर लाल खट्टर हरियाणा के मुख्यमंत्री होंगे और जेजीपी की तरफ से दुष्यंत चौटाला उपमुख्यमंत्री होंगे. यह सत्ता की हवस ही है जिसने दुष्यंत चौटाला द्वारा हरियाणा की जनता से किए गए तमाम वादों को हवा कर दिया.
इस बात में तनिक भी संशय नहीं है कि गठबंधन की जो शर्ते बताई जा रही है,यानी उपमुख्यमंत्री और जो भी बातों पर भाजपा और जेजेपी में सहमती बनी है, उसके अलावा भी जेजीपी और बीजेपी के बीच कुछ ना कुछ डील जरूर हुई होगी. मौजूदा दौर में मौजूदा राजनीति में भाजपा द्वारा पैसों की ताकत से जिस तरह का पिछले कुछ सालों में नंगा नाच हुआ है, उसको देखते हुए इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि जेजीपी से समर्थन लेने के लिए भाजपा ने और क्या-क्या डील की होगी.
जेजेपी को दुष्यंत चौटाला को और भाजपा को दोष देने की जरूरत नहीं है,जनता ने भरपूर विपक्ष का साथ दिया है, लेकिन जनता जो बटी हुई थी,जनता ने जो निर्दलीयों पर और दुष्यंत चौटाला की पार्टी पर भरोसा जताकर कुछ सीटें दी, जनता को सोचना होगा कि क्या उसके साथ छलावा नहीं हुआ? मौजूदा दौर में कहीं पर भी देश के अंदर अगर चुनाव होते हैं तो कई राजनीतिक दल सामने आते हैं. कई निर्दलीय चुनाव लड़ते हैं और जनता से तमाम वादे करके भाजपा के विरोध में जनता का वोट ले लेते हैं, लेकिन यह कहीं ना कहीं चुनाव के बाद भाजपा का समर्थन करते हैं. जनता की भावनाओं का खुला मजाक उड़ाते हैं. आने वाले चुनाव में जनता को इस विषय पर गंभीरता से सोचने की जरूरत है.
महाराष्ट्र में भी ऐसा ही कुछ देखने को मिला है. प्रकाश आंबेडकर की पार्टी ने एनसीपी और कांग्रेस के गठबंधन को लगभग 25 सीटों पर नुकसान पहुंचाया है. प्रकाश आंबेडकर की पार्टी खुद सीटें इतनी नहीं जीत पाई है, लेकिन कांग्रेस और एनसीपी को भी नहीं जीतने दिया है, यानी सीधा-सीधा फायदा इसका भाजपा को हुआ है.
छोटे-छोटे राजनीतिक दल और निर्दलीय मिलकर भाजपा के खिलाफ जनता से वोट देने की अपनी पार्टी के लिए अपील करते हैं, लेकिन खुद तो जीत नहीं पाते कुछ सीटों के अलाव, विपक्ष की बड़ी पार्टियों को नुकसान जरूर पहुंचाते हैं और उसका सीधा फायदा भाजपा को होता है और जो जनता बड़ी तादाद में भाजपा के खिलाफ अपना वोट करती है वह आखिरी में मायूस हो जाती है. जनता को निर्दलीयों और छोटे-छोटे दलों को वोट ना देकर सीधे भाजपा को वोट दे देना चाहिए, क्योंकि छोटे-छोटे दल और निर्दलीय जनता का वोट लेकर भाजपा से डील करके समर्थन तो भाजपा का ही करेंगे बाद में.
जनता को छोटे-छोटे राजनीतिक दलों और निर्दलीयों की राजनीति पर बारीकी से गहन चिंतन करने की जरूरत है.
दुष्यंत चौटाला ने जनता से कहा था कि मैं भाजपा को कभी समर्थन नहीं करूंगा, हरियाणा से भाजपा को उखाड़ फेंकना है, युवाओं को फिर से मिलकर हरियाणा को बनाना है. हरियाणा को विकास के पथ पर ले जाना है. दुष्यंत चौटाला की मां का एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमें वह कह रही है कि कुछ भी हो जाए भाजपा को कभी समर्थन नहीं करेंगे.
अंत में फिर से वही बात याद आ रही है,मौजूदा दौर में सत्ता में आने की हवस और अथाह पैसे की भूख सभी राजनीतिक वायदों को हवा कर देती है.
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