सीकर. वीआईपी कार्ड से दर्शन और देवस्थान विभाग को सूचना दिए बिना दान पेटी लगाने के मामले में जांच में घिरी श्याम मंदिर कमेटी सालों से विवादों में रही है। पंचायत से लेकर सरकार के नुमाइंदों तक ने ट्रस्ट को भंग कर टैम्पल बोर्ड बनाने की मांग कई बार उठाई, लेकिन हमेशा कागजों में ही दब गई। हर बार जांच के बाद किसी तरह की आंच नहीं आने के कारण लापरवाही का दायरा बढ़ता गया। ऐसा पहली बार हुआ है कि सरकार ने प्रसंज्ञान लेकर कमेटी की अनियमितताओं को रोकने के लिए धारा-38 के तहत नोटिस दिया है। पत्रिका के खुलासे के बाद वीआइपी कार्ड धारकों को दर्शन करवाने का सिलसिला फिलहाल रोक दिया गया है।
पंचायत से लेकर विधानसभा तक उठी मांगखाटूश्यामजी (khatushyamji) में टैम्पल बोर्ड गठित करने की मांग पिछले 16 वर्ष से उठ रही है। अनियमितताएं सामने आने पर वर्ष 2004 में पंचायत ने ग्राम सभा की बैठक में यह प्रस्ताव लिया था। प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा गया था। उस दौरान सरकार ने तत्कालीन संभागीय आयुक्त मधुकर गुप्ता के नेतृत्व में गठित कमेटी से जांच करवाई थी। गुप्ता ने भी अनियमितताओं की पोल खोलते हुए सरकार को रिपोर्ट सौंपी थी। उस दौरान यह मामला विधानसभा में भी गूंजा था। लेकिन मामला कागजों तक ही रहा। इसके बाद वर्ष 2011 में सीकर कलक्टर ने भी सरकार से खाटू में टैम्पल बोर्ड बनाने की सिफारिश की थी। वर्ष 2020 में देवस्थान विभाग ने फिर सरकार को रिपोर्ट भेजकर अनियमिताओं को रोकने के लिए और मंदिर संचालन के लिए बोर्ड बनाने का आग्रह किया था।
न खामियां ठीक की ना व्यवस्थाएं सुधरीखाटूश्यामजी के लक्खी मेले के दौरान कमेटी और प्रशासन कई बार आमने-सामने हुए हैं। व्यवस्थाओं को ठीक करने को लेकर अधिकारियों की ओर से भी सरकार को सुझाव भेजे जाते रहे हैं। तत्कालीन पुलिस अधीक्षक गौरव श्रीवास्तव, अखिलेश कुमार सहित कई कलक्टरों ने भी मेले के दौरान वीआइपी दर्शन और दूसरी अव्यवस्थाओं को ठीक करने के लिए सरकार को सुझाव भेजे। तत्कालीन एसपी अखिलेश कुमार ने तो मंदिर कमेटी को मेले के दौरान सुरक्षा व्यवस्था में लगे पुलिसकर्मियों का खर्चा सरकारी खजाने में जमा करवाने का पत्र भी लिखा था, लेकिन किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया।
खाटूश्यामजी में दब जाती है गड़बडिय़ों की जांच, 15 साल से कागजों में दफन बोर्ड की मांग
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