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7 दिन में माही के आवास खाली करने का अल्टीमेटम, सेवानिवृत्त कार्मिक बोले- ‘जवानों को बसाने के लिए उन्हें क्यों उजाड़ा जा रहा है’

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बांसवाड़ा. माही बांध स्थल पर निर्मित आवासीय भवनों को खाली कराने को लेकर रस्साकसी तेज हो गई है। तीन से चार दशक से निवासरत 50 से ज्यादा सेवानिवृत्त कार्मिकों को माही परियोजना अधिकारियों ने आवास खाली करने के नोटिस थमा कर सात दिन में आवास खाली करने का अल्टीमेटम दे दिया है तो इन कार्मिकों ने इस कार्रवाई को लेकर जिला कलक्टर के सामने अपना विरोध दर्ज कराया और कहा कि एमबीसी को 100 बीघा की मांग की तुलना में 119 बीघा जमीन पहले ही दे गई है और उनके आवास इस जमीन पर भी नहीं है तो जवानों को बसाने के लिए उन्हें क्यों उजाड़ा जा रहा है।
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मकानों पर काबिज सेवानिवृत्त कार्मिक बुधवार को जिला मुख्यालय पहुंचे और जिला कलक्टर को ज्ञापन सौंप अपनी व्यथा सुनाई और मामले में सकारात्मक कार्रवाई की उम्मीद जताई। सेवानिवृत्त कार्मिकों ने बताया कि जिला कलक्टर के मौखिक आदेश का हवाला देते हुए एमबीसी के लिए माही के आवास खाली करने की धौंस दिखाई जा रही है। जब, एमबीसी को आवश्यकता से अधिक भूमि दे दी गई है तो जो भी निर्माण व गतिविधि होनी है वहां की जाए। साथ ही जो आवास खाली हैं उनकी मरम्मत करवाकर एमबीसी को सौंपे जा सकते हैं। सन 1975 से निवासरत सेवानिवृत्त कार्मिकों से वृद्धा व निराश्रित अवस्था में आवास खाली करवाने के आदेश से संकट बन गया है।
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नहीं दिया कभी नोटिसमाही से जारी नोटिस में बताया गया है कि कार्मिकों को पूर्व में भी कई बार नोटिस जारी कर आवास खाली करने को कहा गया है। पर, सेवानिवृत्त कार्मिकों का कहना है कि पूर्व में कभी भी नोटिस नहीं दिया गया है। विभाग समय पर किराया वूसल रहा है।
किराया तो हम भी दे रहेकार्मिकों का कहना है कि माही विभाग उनसे आवास खाली करवाकर एमबीसी के जवानों को किराये पर देने की बात कह रहा है। जबकि, सेवानिवृत्ति के साथ ही वह विभाग की ओर से तय किराया मय पेनल्टी जमा करवा रहे हैंं। विभाग को किराये से ही मतलब है तो ऐसा क्यों किया जा रहा है।

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