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14 साल में सात आरएएस प्री परीक्षा, दस लाख से ज्यादा रहे अनुपस्थित, नतीजा-आयोग के लाखों रुपए फिजूल खर्च

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अजय शर्मा सीकर.
राजस्थान लोक सेवा आयोग की ओर से पिछले 14 साल में हुई सात आरएएस प्री परीक्षाओं में अनुपस्थित रहने वाले अभ्यर्थियों का आंकड़ा एक बार फिर गिर गया है। सात आरएएस प्री परीक्षाओं में लगभग 10.74 लाख अभ्यर्थी अनुपस्थित रह चुके हैं। इससे आयोग प्रशासन की फिजूल खर्ची का आंकड़ा भी लगातार बढ़ता जा रहा है। शुक्रवार को हुई आरएएस प्री परीक्षा के लिए आयोग की ओर से 2046 सेंटर बनाए गए। लेकिन उपस्थिति का आंकड़ा 50 फीसदी से ही कम रह गया। इस कारण एक हजार सेंटरों की व्यवस्था के पैसा फिजूल में लग गया। वहीं सेंटरों पर अवकाश भी घोषित करना पड़ा। दूसरी तरफ रीट, पटवार, ग्रामसेवक और महिला पर्यवेक्षक सहित अन्य भर्ती परीक्षाओं में अभ्यर्थियों की उपस्थिति का आंकड़ा 70 से 85 फीसदी तक पहुंच रहा है। एक्सपर्ट का कहना है कि वर्ष 2013 और 2021 में प्री परीक्षा के लिए बेरोजगारों कम समय मिला। इस वजह से कम तैयारी वाले अभ्यर्थियों ने परीक्षा से दूरी बना ली।
आरएएस की प्रांरभिक परीक्षआों में उपस्थिति का गणित
वर्ष आवेदक उपस्थिति प्रतिशत
2008 197287 133470 67.65
2010 3685519 282245 76.58
2012 387887 255178 65.78
2013 407873 171405 42.02
2016 408658 303661 74.03
2018 497041 375156 75.47
2021 648181 320034 49.37
अब आंसर की पर नजर
राजस्थान लोक सेवा आयोग की ओर से हुई आरएएस प्री परीक्षा के बाद अब अभ्यर्थियों को आंसर की का इंतजार है। यदि पिछली भर्तियों की बात करें तो अमूमन 20 से 25 दिनों के भीतर आंसर की जारी कर दी जाती है। जबकि वर्ष 2018 की परीक्षा के महज दस दिन बाद ही आंसर की जारी कर दी गई। ऐसे में इस परीक्षा की भी दीवाली तक आंसर की जारी होने की संभावना है।
इसलिए बड़ी परीक्षाओं से सोशल डिस्टेंस
एक्सपर्ट का कहना है कि आरएएस जैसी परीक्षाओं में शामिल होने का बेरोजगारों में काफी क्रेज होता है। लेकिन जब प्री परीक्षा समय पर होती है तो ज्यादातर अभ्यर्थी प्री के सिलेबस के हिसाब से तैयारी पूरी नहीं कर पाते हैं। ऐसे में वह परीक्षा से पूरी तरह दूरी बना लेते है। इस बार पटवारी व रीट परीक्षा के कुछ समय बाद ही आरएएस प्री परीक्षा हाने की वजह से भी इस बार उपस्थिति का आंकड़ा गिरा है
कभी नहीं हुआ 80 फीसदी का भी आंकड़ा पूरा
आरएएस प्री परीक्षा में पिछले 14 वर्षो में कभी भी 80 फीसदी का आंकड़ा भी पूरा नहीं हो सका। वर्ष 2013 के बाद वर्ष 2021 में ऐसा मौका आया है जब औसत उपस्थिति का आंकड़ा 50 फीसदी भी पूरा नहीं हुआ। जबकि वर्ष 2018 की परीक्षा में नए अभ्यर्थियों को तैयारी के लिए ज्यादा समय मिलने की वजह से आंकड़ा 75.47 फीसदी तक पहुंच गया था।
एक केन्द्र पर 25 हजार का खर्चा
इस बार की परीक्षा में एक हजार से अधिक सेंटर खाली रहे। एक्सपर्ट की मानें तो एक अभ्यर्थी पर प्री परीक्षा के दौरान आयोग का लगभग 80 से 100 रुपए का खर्चा आता है। हालांकि इसके लिए आयोग की ओर से शुल्क भी वसूला जाता है। पिछली सात परीक्षाओं में लगभग 3500 सेंटर खाली रह गए। इससे लगभग पांच करोड़ का अतिरिक्त खर्चा हुआ है।

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