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HomeRajasthan NewsSikar newsज्योतिष को मानें तो 23 सितम्बर के बाद सर्द हो जाएगा मौसम!

ज्योतिष को मानें तो 23 सितम्बर के बाद सर्द हो जाएगा मौसम!

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सीकर. सितम्बर माह में आद्र्रता ने करीब दो दशक का रेकार्ड तोड़ दिया है। इधर मौसम विभाग का कहना है कि प्रदेश में बने कम दवाब के क्षेत्र और उससे बने 3.6 किमी तक ऊपरी हवाओं के चक्रवाती संचरण बना हुआ है। इस कारण कहीं भारी बारिश तो कहीं सूखे की स्थिति बनी हुई है। सूर्य 17 सितम्बर को कन्या राशि में प्रवेश कर गया है। 23 सितम्बर को दोपहर एक बजकर 22 मिनट पर सुखद शरद ऋतु शुरू होगी। इसके बाद मौसम सर्द रहेगा। मौसम विभाग की माने तो साइक्लोन के कारण पश्चिमी राजस्थान में बारिश नहीं हुई। जबकि पूर्वी राजस्थान में बाढ़ के हालात बने हुए हैं। एक सप्ताह तक चक्रवात का असर रहेगा लेकिन तब तक मानसून प्रदेश से चला जाएगा। सीकर में 20 दिन बाद बारिशशेखावाटी अंचल में बुधवार को दोपहर बाद मौसम का मिजाज पलट गया। अंचल में कई स्थानों पर मध्यम दर्जे की बारिश हुई। इधर मौसम विभाग ने आगामी 24 घंटे के दौरान प्रदेश में मेघगर्जना के साथ हल्की से मध्यम दर्जे की बारिश होने की संभावना जताई है। शेखावाटी में लम्बे अंतराल के बाद छितराई बारिश होने से एक ओर जहां जनजीवन को आंशिक राहत मिली वहीं देर रात आकाश में कौंधती बिजली के कारण किसानों की चिंता बढ़ गई। सीकर में सुबह से तेज गर्मी रही। दोपहर में सूरज के तल्ख तेवर रहे। दोपहर बाद हवाओं की दिशा बदली और दक्षिण पूर्वी हवाएं चलने लगी। जिससे सीकर जिला मुख्यालय सहित कई स्थानों पर अच्छी बारिश हुई। बारिश के बाद देर रात तक बिजलियां कौंधती रही। चूरू में अधिकतम तापमान 39.8 डिग्री, न्यूनतम तापमान 28.2 डिग्री, फतेहपुर में अधिकतम तापमान 38.5 डिग्री और न्यूनतम तापमान 23.5 डिग्री रहा।चूरू. जिला मुख्यालय पर बुधवार शाम करीब सात बजे बूंदाबांदी हुई। ऐसे में मौसम सुहावना हो गया। कई दिनों से पड़ रही गर्मी से कुछ राहत मिली। मौसम विभाग के अनुसार चूरू में अधिकतम 39.8 और न्यूनतम 28.2 डिग्री सैल्सियस तापमान रिकॉर्ड किया गया।सादुलपुर. हरियाणा सीमा से लगते सिधमुख थानान्तर्गत ग्रामीण क्षेत्रों में बुधवार अल सुबह तेज हवाओं के साथ हुई बारिश के कारण खेतों में खड़ी बाजरे की फसलें एवं काटी गई मूंग की फसलें नष्ट हो गई। अचानक तूफान के साथ हुई ओलावृष्टि से किसानों की उम्मीदों पर पानीफिर गया। गांव धानोठी छोटी, तांबाखेड़ी, रेजड़ी, गालड़ आदि गांवों में खेतों में खड़ी मूंग की फसलों की कटाई जुटे थे तथा अधिकांश फसल की कटाई हो भी गई थी। तेज हवाओं से काटी गई फसलें उड़ गई। बाजरे की फसलें में भी खेतों में पसर गई, मूंग की फसल पर भी पानी भर गया।

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