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उत्तर प्रदेश में बीजेपी को हराना है तो जिताना किसे है? राकेश टिकैत ने दिया जवाब

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केंद्र की मोदी सरकार (Modi government) द्वारा लाए गए तीनों कृषि कानूनों के विरोध में किसान कई महीनों से दिल्ली के बॉर्डर पर लगातार डटे हुए हैं. किसानों का कहना है कि जब तक सरकार इन कानूनों को वापस नहीं ले लेती तब तक वह आंदोलन को खत्म नहीं करेंगे.
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) ने किसान आंदोलन को लेकर एक निजी न्यूज़ चैनल आज तक के “दंगल” शो में चर्चा की. यहां पर किसान नेता राकेश टिकैत ने यूपी चुनाव से लेकर भाजपा और असदुद्दीन ओवैसी के बारे में भी अपनी राय रखी.
चर्चा के दौरान न्यूज़ एंकर ने राकेश टिकैत से सवाल पूछा कि वह यूपी में किस दल को जिताना चाहते हैं. न्यूज़ एंकर चित्रा त्रिपाठी (Chitra Tripathi) ने राकेश टिकैत से सवाल किया कि मुजफ्फरनगर की रैली में आप लोग प्रण कर रहे थे कि भाजपा को हराना है. तो वह कौन सी पार्टी है जिसे आप यूपी में जिताना चाहते हैं.
न्यूज़ एंकर की बात का जवाब देते हुए राकेश टिकैत ने कहा कि हमें किसी को हराना जिताना नहीं है. हमारे जो खुद के मसले होंगे उस पर हम जाएंगे. यूपी में बिजली का रेट सबसे महंगा है, फसलों पर बेईमानी होती है. राकेश टिकैत ने यूपी की स्थिति का जिक्र करते हुए कहा कि, उत्तर प्रदेश में एमएसपी पर फसलों की खरीद नहीं होती है.
राकेश टिकैत ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि किसान यहां 40 से 50 क्विंटल धान लेकर लाइन में लगा रहता है, उसका नंबर तक नहीं आता है. तो क्या गुस्सा नहीं आएगा क्या किसानों को? सस्ते में खरीद कर हमसे कौन सी मंडी में बेचा जाता है, हमें भी बताया जाए.
चर्चा के दौरान ही राकेश टिकैत को बीच में टोकते हुए चित्रा त्रिपाठी ने कहा कि आप नारा लगा रहे थे कि भाजपा को हराना है. मेरा सीधा सा सवाल है, ऐसी कौन सी पार्टी है जो आपको लगता है कि किसानों के मुद्दे को अच्छे से हल करेगी?
इस सवाल का जवाब देते हुए राकेश टिकैत ने कहा कि हम किसी को नहीं जीता रहे हैं, लोग खुश होंगे तो इसे वोट देंगे, लोग खुश होंगे तो दूसरे को वोट देंगे. हमारा मतलब फसलों से है हमारा मतलब बिजली से है. बता दें कि राकेश टिकैत ने डिबेट शो में केंद्र सरकार पर भी जमकर निशाना साधा था.
राकेश टिकैत ने कहा था कि यह तोड़ने का काम करते हैं हम जोड़ने का काम करते हैं. इसके अलावा राकेश टिकैत ने न्यूज़ एंकर चित्रा त्रिपाठी पर भी प्रचार करने का आरोप लगाया था. आपको बता दें कि चित्रा त्रिपाठी मुजफ्फरनगर की रैली को कवर करने के लिए जब गई थी उस वक्त उन्हें किसानों की नाराजगी का सामना भी करना पड़ा था.
आपको बता दें कि मीडिया को लगातार जनता की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है. जनता का आरोप है कि मीडिया जनता के मुद्दों को दबाकर मोदी सरकार का लगातार बचाव कर रही है. मोदी सरकार की नाकामियों को बचाकर मीडिया जनता के सामने गलत मुद्दे दिखा रही है.
किसानों का भी आरोप है कि मीडिया किसान आंदोलन को उस तरह से कवर नहीं कर रही है, जिस तरह से 2014 से पहले अन्ना हजारे के आंदोलन को कवर किया गया था. किसान आंदोलन में कई बार देखा गया है कि मीडिया द्वारा किसानों को बदनाम करने की कोशिश करते हुए पाया गया है. चाहे वह जी न्यूज़ हो या फिर आज तक हो किसानों के खिलाफ कई डिबेट और कार्यक्रम ऐसे चैनलों पर हुए हैं.
जब भी ऐसे चैनलों पर कोई कार्यक्रम होता है तो इस चैनल के एंकर किसानों से तीखे सवाल करते हुए पाए जाते हैं और तीनों कृषि कानूनों का बचाव करते हुए भी पाए जाते हैं. लेकिन इन कार्यक्रमों में मोदी सरकार से और प्रधानमंत्री मोदी को कटघरे में खड़ा करते हुए सवाल नहीं किया जाता है. इस किसान आंदोलन में सैकड़ों किसान शहीद हो गए हैं लेकिन उन शहीद किसानों को लेकर मीडिया में कोई संवेदना नजर नहीं आती है.
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