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खुलासा: हिस्ट्रीशीटर की हत्या के लिए फेसबुक आइडी से की पहचान, फिर दागी गोलियां

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सीकर.
Sikar Crime News in Hindi : एक साल पहले मनोज ओला ( Firing on Manoj Ola ) पर फायरिंग के मामले में वांछित पवन बानूड़ा ( Pawan Banuda ) को पुलिस प्रोडक्शन वारंट पर जेल से लाई है। पवन बानूड़ा को कोर्ट में पेश कर दो दिन के रिमांड पर लिया गया है। पुलिस पूछताछ में पवन बानूड़ा ने घटना को लेकर कई अहम खुलासे किए हैं। उद्योग नगर थानाधिकारी वीरेंद्र कुमार ने बताया कि पवन बानूड़ा से मनोज ओला पर फायरिंग को लेकर पूछताछ कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि गांव से बारहवीं पास करने के बाद पवन ने सीकर के निजी कॉलेज से बीबीए पास की। प्रतियोगी परीक्षाओं में तैयारी कर उसने गुजरात के इलाहाबाद बैंक में नौकरी लग गई। 6 माह तक उसने गुजरात में ही नौकरी की। बाद में नौकरी छोड़ कर सीकर वापस आ गया।
इसके बाद दूजोद के टोल बूथ पर भी कुछ महीने तक काम कर चुका है। 9 अप्रेल 2015 को पवन बानूड़ा, मनीष उर्फ बच्चियां, विक्रम राठौड़, प्रकाश सेदाला, कुलदीप नीमकाथाना, अनुराधा, मनीष मालपाणी ने मिलकर शहर से विनोद सर्राफ व्यापारी का 10 लाख की फिरौती के लिए एक्सयूवी गाड़ी में अपहरण कर ले गए थे। उसको उदयपुरा मोड़ पर गाड़ी से छोडकऱ चले गए थे। अपहरण के मामले में पुलिस ने पवन को गिरफ्तार कर लिया था। पवन सौ दिन तक जेल में बंद रहा। उसके बाद से वह घर पर ही रहा। बाद में पत्नी को प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कराने के लिए शास्त्री नगर में किराए के मकान में ही रहा। वहां पर संदीप सैनी और रामनिवास सैनी से दोस्ती हुई।
मनोज को पहचानते नहीं थे, फेसबुक आइडी पर शक्ल देखीपुलिस को पूछताछ में पवन ने बताया कि उन्होंने मनोज ओला को मारने की योजना तो बनाली, लेकिन वह मनोज को पहचानते ही नहीं थे। इसके बाद उन्होंने फेसबुक पर शक्ल देखी। उन्होंने संदीप और रामनिवास से भी मनोज के बारे में पूछा। संदीप सैनी पूरी तरह से मनोज को जानता था। इन्होंने मिलकर मनोज ओला की रैकी की। घटना से दो दिन पहले भी वे बाइपास पर आरके मेगा मार्ट में मनोज को मारने गए थे। मनोज किसी काम से बाहर गया था। इसी कारण से बच गया। बाद में वे अल्टो कार से गए और काउंटर पर बैठे मनोज को गोली मार दी। हमले के दौरान सुभाष की पिस्टल एक गोली चलने के बाद अटक गई थी। सीताराम ने ही उसे गोली मारी थी। बाद में वे चारों कार से भाग गए। संदीप और रामनिवास बाइक से चले गए थे। बाद में चारों बाइक से फरार हो गए थे। उन्हें बाद में पता लगा कि मनोज ओला मरा नहीं है। वह बच गया है।
यों शामिल हुआ अपराध में राजू ठेहट के साथ काम करता था चाचा बलबीर, दुश्मनी होने पर बदला लेने की ठानी उसने बताया कि उसका चाचा बलबीर बानूड़ा पहले राजू ठेहट के साथ काम करता था। बाद में वह आनंदपाल के साथ काम करने लगा। इसी वजह से राजू और बलबीर के बीच में दुश्मनी हो गई। राजू ठेहट के गैंग के सदस्य मनोज ओला ने बीकानेर जेल में चाचा बलबीर को मारने के लिए हथियार सप्लाई किए। बलबीर को जेल में जेपी जांगू व रामपाल ने गोली मार हत्या कर दी। उसका चचेरा भाई सुभाष पिता की मौत का बदला लेना चाहता था। तब उन्होंने सीताराम, नटवर को शामिल कर मनोज को मारने की योजना बनाई। सुभाष हथियार प्रकरण में पहले से ही फरार चल रहा था। उसके पास दो पिस्टल थी। वह पवन से मिलने घर पर आया तो उसके पास 50 कारतूस भी बैग में रखे हुए थे।[MORE_ADVERTISE1]

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