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असम में कैसे सत्ता हासिल करने की योजना बना रही है कांग्रेस

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असम विधानसभा चुनाव 2021 में सत्ता में वापसी के लिए कांग्रेस पार्टी छत्तीसगढ़ अपनाए चुनावी मॉडल का सहारा ले रही है. कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने पार्ट्री को 2018 के विधासभा चुनाव में भारी जीत दिलाने वाले बूथ मैनेजमेंट मॉडल को असम में भी अपनाया है और छत्तीसगढ़ के कार्यकर्ताओं को इस काम में लगाया है.
असम में मौजूद राज्य के कांग्रेसी नेताओं ने दिप्रिंट को बताया कि छत्तीसगढ़ की तरह वहां भी कांग्रेस पार्टी के बूथ स्तर पर कैडर को मजबूत करना आवश्यक हो गया था. असम में चुनाव जीतने की हमारी बेसिक तैयारी, बूथ प्रबंधन, बहुत कमजोर था. इस ओर बहुत कम ध्यान दिया गया था. यहां हमने सभी विधानसभा क्षेत्रों का जायज़ा लिया और पाया कि इस दिशा में बहुत अधिक काम करना था. बूथ कमेटियों का गठन किया गया और जमीनी कार्यकर्ताओं को ट्रेनिंग दी गई है.
ट्रेनिंग में बूथ वर्कर्स को मतदाताओं तक चुनावी मुद्दों की जानकारी देना, उनको पार्टी के पक्ष में वोट डालने के लिए तैयार करने और बूथ तक लेकर जाने पर फोकस किया है. तिवारी ने आगे बताया, 7 फरवरी को शुरू हुए पहले चरण में करीब 100 विधानसभा क्षेत्रों में बूथ वर्कर्स का प्रशिक्षण कार्य पूरा हो चुका है. बचे हुए 26 विधानसभाओं में भी जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा. इससे बूथ कार्यकर्ता अब एक्टिवेट हो गए हैं.
भूपेश बघेल को बनाया गया है असम का चुनाव प्रभारी
कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पहले असम का चुनाव प्रभारी बनाया गया है और फिर वहां प्रदेश कांग्रेस के करीब 25-30 चुनावी रणनीतिकार और नेता पिछले करीब एक माह से राज्य में डेरा डाले हुए हैं. इनमें ज्यादातर पर्दे के पीछे रहकर काम करने वाले वे स्ट्रैटेजिस्ट्स हैं जिन्होंने 2018 के विधानसभा चुनाव की रणनीति बनाने में अहम भूमिका निभाई थी.
परिणामस्वरूप राज्य बनने के बाद कांग्रेस पार्टी को 90 सदस्यों वाली छत्तीसगढ़ विधानसभा में पहली बार भारी बहुमत के साथ जीत हासिल हुई थी. आने वाले दिनों में असम में छत्तीसगढ़ कांग्रेस के नेताओं और कार्यकर्ताओं की संख्या 70-80 होगी. इसमें 50 के करीब छत्तीसगढ़ के लोक कलाकार भी शामिल होंगे जो अपर असम के चाय बागानों में काम करने वाले करीब 25 लाख छत्तीसगढ़ी अप्रवासी मतदाताओं को लुभाने की कोशिश करेंगे.
बूथ ट्रेनिंग की कमान पूरी तरह छत्तीसगढ़ की टीम के पास
पिछले एक महीने से असम में काम कर रहे छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री के मीडिया प्रभारी रुचिर गर्ग ने बताया, वर्तमान में असम में कई राज्यों के कांग्रेस नेता काम कर रहे हैं लेकिन बूथ प्रशिक्षण की कमान पूरी तरह से छत्तीसगढ़ की टीम के पास है. यहां छत्तीसगढ़ कांग्रेस के चुने हुए वही नेता प्रचार में शामिल हैं जिन्होंने 2018 के विधानसभा चुनावों में पार्टी की बम्पर जीत के लिए जमीनी काम किया था.
गर्ग ने कहा, राज्य के चारों मुख्य क्षेत्र अपर असम, लोअर असम, हिल एरिया और बराक वैली में छत्तीसगढ़ के कांग्रेस नेता पार्टी के स्थानीय कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर 2018 की जीत के अनुभव शेयर करने के साथ साथ वोटर्स के बीच पैठ बनाने के काम पर लगे हए है. असम चुनाव के लिए काम कर रहे छत्तीसगढ़ के एक अन्य नेता ने अपना नाम जाहिर न करने की शर्त पर कहा, बूथ प्रशिक्षण कार्यक्रम का पूरा इम्पैक्ट दिख रहा है. सभी विधानसभाओं में बूथ वर्कर्स पहली बार एक साथ बैठ रहें हैं, निरंतर चर्चा कर रहे हैं और चुनाव में पार्टी की जीत के लिए एक्टिव दिख रहे हैं.
एक प्रकार से असम में कांग्रेस का जमीनी कार्यकर्ता चार्ज हो चुका है.’ इस नेता ने बताया, ‘छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री को 2-3 महीने पहले चुनाव प्रभारी और राज्य के ही एआईसीसी सचिव और विधायक विकास उपाध्याय को प्रदेश प्रभारी बनाए जाने तक असम में कांग्रेस के चुनावी मुद्दे या वर्किंग भी तय नहीं हुए थे. बघेल और उपाध्याय की उपस्थिति में राज्य कांग्रेस के नेताओं के साथ बैठक एक में निर्णय लिया गया की कांग्रेस की बूथ इकाइयों में वर्कर्स को मोटीवेट करने की आवश्यकता है.
भाजपा की वादाखिलाफी को जनता तक पहुंचाने पर चर्चा
तिवारी ने बताया, बूथ मैनेजमेंट प्रशिक्षण के अलावा हर पोलिंग बूथ और कार्यकर्ताओं को राज्य की भजपा सरकार द्वारा जनता से किए गए ब्रम्हपुत्र नदी के पानी, 25 लाख लोगों को रोजगार और चाय बागान वर्कर्स के वेतन बढ़ाने जैसे अन्य मुद्दों पर वादाखिलाफी को भी जनता तक प्रभावी ढंग से ले जाने की बात पर भी चर्चा हुई है. असम के प्रभारी, एआईसीसी सचिव और रायपुर के विधायक विकास उपाध्याय ने दिप्रिंट को बताया, हम 2018 के छत्तीसगढ़ विधासभा चुनावों में 15 सालों बाद मिली बम्पर जीत के अनुभव का पूरा लाभ असम में उठाना चाहते हैं. छत्तीसगढ़ में जमीनी कार्यकर्ताओं की मेहनत से मिली भारी जीत को असम में दोहराना चाहेंगे.
उन्होंने कहा, कांग्रेस नेतृत्व की मंशा के अनुरूप असम में टीम छत्तीसगढ़ एक्टिव है. एक ओर हम कांग्रेस की विरासत को लेकर जमीनी कार्यकर्ताओं को संवेदनशील होने की बात कर रहें हैं, वहीं दूसरी ओर लोगों को भाजपा की कम्युनल और विघटनकारी पॉलिटिक्स, राज्य सरकार की वादाखिलाफी और राज्य में पिछले पांच सालों में विकास कार्यों की हुई दुर्गति के मुद्दों पर वोटर्स को कन्विंस करने पर बल दे रहे हैं.’ उपाध्याय के अनुसार फिलहाल रणनीतिकारों के अलावा छत्तीसगढ़ से 5-7 विधायक भी असम में काम कर रहे हैं लेकिन आने वाले दिनों में विधायकों की बड़ी टीम राज्य में कार्यरत होगी.
25 लाख छत्तीसगढ़ी प्रवासी टारगेट पर
असम में काम कर रहे छ्त्तीसगढ़ के नेताओं का यह भी कहना है कि राज्य में करीब 25 लाख छत्तीसगढ़ी प्रवासी लोगों और मजदूर मतदाताओं को भी आकर्षित करने के लिए काम किया जा रहा है. तिवारी के अनुसार, ‘राज्य के अलग-अलग क्षेत्रों में विशेषकर अपर असम के चाय बागानों में छ्त्तीसगढ़ के प्रवासी बड़ी संख्या में रहते हैं. इनकी पहचान कर ली गई है और प्रदेश से लोक कलाकारों का एक बड़ा दल असम आकर इन प्रवासियों को रिझाएगा. कुछ कलाकार असम पहले ही आ चुके हैं. गर्ग के अनुसार, असम में छत्तीसगढ़ी प्रवासियों की बड़ी संख्या होने की जानकारी यहां आकर ही लगी जिसके बाद उनके प्रभाव वाले क्षेत्रों का सर्वे किया गया और फिर उनके बीच प्रचार करने का प्लान बनाया गया है. जल्द ही छत्तीसगढ़ के विधायक भी यहां आकर प्रवासियों के बीच प्रचार करेंगे.
UP में भी कांग्रेस आजमाएगी छत्तीसगढ़ी का दांव
कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व छ्त्तीसगढ़ का फॉर्मुला उत्तर प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनाव में भी इस्तेमाल करेगा. पार्टी नेताओं के अनुसार असम चुनाव के बाद यह टीम उत्तर प्रदेश में काम करेगी. बतौर तिवारी, उत्तर प्रदेश में कई विधानसभाओं में कांग्रेस की बूथ इकाइयों का गठन करना पड़ेगा. कई विधानसभाओं में हमारी बूथ इकाइयां नही हैं. वहां बहुत अधिक मेहनत करने की आवश्यकता है. असम से पहले वहां दो चरणों में राज्य के नेताओं को बूथ और सोशल मीडिया सबंधित ट्रेनिंग का काम पूरा हो चुका है. इसका असर भी वहां दिखने लगा है.
तिवारी ने बताया कि पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व द्वारा असम चुनाव के बाद उत्तर प्रदेश में संगठनात्मक गतिविधियां तेज करने का निर्देश मिल चुका है. गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ में 2018 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 68 सीट के साथ अप्रत्याशित जीत दर्ज की थी. कांग्रेस नेताओं की मानें तो मुख्यमंत्री भुपेश बघेल के नेतृत्व में 15 साल बाद पार्टी की वापसी का मुख्य कारण बूथ मैनेजमेंट था.
भाजपा के 15 वर्षों के शासनकाल में कमजोर पड़ चुकी कांग्रेस पार्टी के रणनीतिकारों ने सभी विधानसभाओं में बूथ कमेटियों का गठन दोबारा किया. कमेटी के सदस्यों को लगातार प्रशिक्षण के माध्यम से वोटर्स तक पहुंचने के लिए प्रेरित किया गया जिसका नतीजा भारी जीत के रूप में निकला.
(यह लेख दिप्रिंट से लिया गया है)
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