सीकर. यूं तो होली (Holi) सभी जगहों पर अपनी खासियत लिए होती है, लेकिन राजस्थान के सीकर जिले के रामगढ़ शेखावाटी की होली पर निभाई जाने वाली परम्परा (Holi Tradition) वास्तव में बेहद रोचक व अनूठी है। यहां होली धोरा (होली दहन स्थल) के पास दो ऊंची हवेलियों के बीच करीब 40-50 फीट की ऊंचाई पर एक बन्दरवार मूंज की रस्सी की बांधी जाती है। यह बन्दरवार बेहद कलात्मक होती है, जिस पर गत्ते आदि बांधे जाते हैं। जिस ओर की होली होती है उसकी दूसरी तरफ के लोग धुलंडी के रोज दोपहर में भारी भीड़ के साथ गुलाल उडाते, पटाखे छोडते उस बन्दरवार को तोडऩे को पहुंचते हैं। कोई रेशम की डोरी के छोटा पत्थर बांधकर करीब पचास फीट की ऊंचाई पर पत्थर फेंकने की कोशिश करता है। मगर अक्सर पत्थर नीचा रहकर बिजली, टेलीफोन के तारों में अटक जाता है। दूसरी तरफ के लोग गुलाल उडाकर पत्थर की रस्सी फेंकने वाले को निरूत्साहित करते है। मगर साहसिक फिर पत्थर फेंककर डोरी तोडऩे की कोशिश मे लगा ही रहता है। आखिर में वह बन्दरवार को तोडऩे में सफल हो जाता है। बन्दरवार के टूटते ही दोनों ओर के लोग गले मिलकर गुलाल लगाकर होली मनाते हैं। इस तरह की होलिका दहन समापन की अनोखी परंपरा कहीं ओर देखने को नहीं मिलती है।
होली के दिन निकलता है बन्दोरी जुलूस
होली के पर्व (Holi fastival in india)के दिन रामगढ़ शेखावाटी (Ramgarh shekhawati) कस्बे में पुराना बस स्टेण्ड स्थित आशुतोष परिषद या फिर कल्याण मार्केट की ओर के नागरिकों की ओर से बन्दोरी का जुलूस निकाला जाता है। जुलूस में लोग तरह तरह के स्वांग बनाकर आते हैं। अभिनय करने के साथ नाच- गाकर वह लोगों का खूब मनोरंजन करते हैं। जुलूस को देखने के लिए काफी संख्या में लोगों का हुजूम जमा हो जाता है।
सालों से है परंपरा
रामगढ़ शेखावाटी में बंदरवार की परंपरा दशकों पुरानी है। जो पीढिय़ों के साथ आगे बढ़ रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह परंपरा कस्बे में भाईचारा बढ़ाने के साथ होली का मजा कई गुना बढ़ा देती है।
राजस्थान में यहां होलिका दहन पर आमने सामने होती है दो टोली, पत्थर फेंककर निभाते हैं यह परंपरा
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