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हे सरकार…कोरोना की तरह आप तो मत दो दर्द

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सीकर.कोरोना की दूसरी लहर ने कई परिवारों को गहरा जख्म दिया और अब सरकारी सिस्टम इनकी परीक्षा ले रहा है। मुख्यमंत्री की ओर से घोषित पैकेज का लाभ लेने के लिए कई परिवारों की फाइल नियमों के पेंच में उलझ गई है। किसी को अभी तक मृत्यु प्रमाण पत्र नहीं मिला है तो किसी परिवार की फाइल ग्राम पंचायत और उपखंड कार्यालय के बीच में उलझी हुई है। कई परिवार ऐसे है जिन्होंने अपनों को कोरोना से खोया लेकिन सरकार मानने को ही तैयार नहीं है। पीडि़त परिवारों का कहना है कि निजी व सरकारी अस्पतालों में कोरोना का उपचार लेने वालों का रेकार्ड भी जिला प्रशासन को मंगवाना चाहिए जिससे राहत मिल सके। कई परिवारों का तर्क है कि उनके अपने की कोरोना से मौत हुई है, उस समय की रिपोर्ट भी पॉजिटिव थी। लेकिन इसके बाद भी दस्तावेजों का सत्यापन नहीं हो रहा है।
समाज कल्याण दे रहा तत्काल स्वीकृति, एसडीएम ऑफिस में अटकीसाामजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की ओर से जिस दिन फाइल उपखंड कार्यालय की ओर से भेजी जाती है उसी दिन शाम तक मंजूरी दी जा रही है। लेकिन उपखंड कार्यालय में दस्तावेज सत्यापन सहित अन्य वजहों से फाइलों का निपटारा समय पर नहीं हो रहा है। इस मामले में जिला कलक्टर अविचल चतुर्वेदी भी वीसी ले चुके है।
अब तक 47 परिवारों को सहायता बांटीसामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग की ओर से 16 अनाथ बच्चों को पालनहार योजना से जोड़ा गया है। इन बच्चों को सरकार की ओर से घोषित पैकेज का लाभ भी दिया गया है। इसी तरह 31 महिलाओं को विधवा पेंशन से जोड़ा गया है। जिला प्रशासन का दावा है कि आगामी दस से 15 दिनों में सभी पीडि़तों की सहायता राशि स्वीकृत कर दी जाएगी।
केस एक: सिस्टम ले रहा विधवा की परीक्षानांगल नाथूसर निवासी महेन्द्र पारीक का परिवार की सहायता भी सरकारी नियमों में उलझी हुई है। पारीक की 18 मई को कोरोना से रींगस के एक निजी अस्तपाल में मौत हो गई। मुख्यमंत्री की ओर से घोषित पैकेज के बाद परिवार की ओर से आवेदन किया गया लेकिन अभी तक कोई सहायता नहीं मिली। मृतक पारीक की पत्नी ऋद्धा पारीक ने बताया कि इस मामले में वह जिला कलक्टर अविचल चतुर्वेदी को भी ज्ञापन दे चुकी है। लेकिन उन्होंने नीमकाथाना एसडीएम कार्यालय में सम्पक करने की बात कही। परिवार की पूरी आस महेन्द्र पारीक पर ही टिकी थी। ऐसे में अब दो बेटियों की शिक्षा व पालन-पोषण चुनौती बन चुका है। इनके उपचार में भी लाखों रुपए खर्च होने की वजह से परिवार की अर्थिक स्थिति भी बेपटरी हो गई है। उनका कहना है कि राज्य सरकार को विधवा महिलाओं को उनकी योग्यता के हिसाब से विभिन्न पदों पर नौकरी देनी चाहिए। उन्होंने चिरंजीवी स्वास्थ्य योजना को लेकर भी सवाल उठाए है।
केस दो: दस्तावेज जमा कराए, कब मिलेगी सहायतानाथूसर निवासी किशन लाल चौधरी की तीन मई को कोरोना से मृत्यु हो गई थी। राजकीय सहायता के लिए पत्नी शांति देवी ने अपने कागजात ग्राम पंचायत को जमा करवा दिए। परंतु अभी तक कोई राजकीय सहायता नहीं मिली। वहीं गांव नांगल निवासी कैलाश कुमावत की मौत भी सांवली कोविड अस्पताल में हुई। लेकिन अभी तक सहायता राशि नहीं मिली है।
यहां भी मदद की आसग्राम पंचायत बागरियावास में चार लोगों के परिजनों ने ग्राम पंचायत में आवेदन किया हैं, जिनके अपनों की कोरोना से मौत हुई है। लाल चंद सैनी की तीन मई को कोविड से मौत हो गयी थी। विधवा पत्नी कृष्णा देवी तथा उसकी पुत्री मनीषा कुमारी, प्रिया तथा पुत्र राहुल व रोहित को किसी प्रकार की कोई सहायता नहीं मिली। वहीं युवराज सिंह शेखावत की 11 अप्रेल को कोरोना से मृत्यु हुई थी। जिसकी पत्नी सरोज कंवर व पुत्री पायल कंवर, खुशी कवर, कीटू व राधिका को भी सहायता का इंतजार है। पृथ्वीपुरा निवासी समुद्र सिंह के परिवार को भी मदद की आस है।
इधर, बच्चों को सहायता राशि 15 तक देने के फरमानकोरोना महामारी के कारण अनाथ हुए बच्चों को सहायता राशि देने के मामले में मुख्य सचिव भी मंगलवार को सभी जिला कलक्टरों की वीसी ले चुके है। मुख्य सचिव ने वीसी में बताया कि अनाथ बच्चों की सहायता राशि का भुगतान 15 जुलाई तक कर दिया जाएगा। मुख्य सचिव ने संभागीय आयुक्तों व जिला कलक्टरों को इस संबंध में निर्देश भी दिए हैं। उन्होंने निर्देश दिए कि मुख्यमंत्री कोरोना सहायता योजना में लाभार्थियों को तत्काल सहायता राशि दी जाए और कोई भी पात्र व्यक्ति वंचित न रहे।

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