- Advertisement -
HomeRajasthan NewsSikar newsविरासत दिवस: मन मोह लेते हैं प्राचीन हवेलियां व भित्ती चित्र

विरासत दिवस: मन मोह लेते हैं प्राचीन हवेलियां व भित्ती चित्र

- Advertisement -

सीकर/लक्ष्मणगढ़. विशिष्ट सांस्कृतिक धरोहरों के धनी लक्ष्मणगढ़ कस्बे की सांस्कृतिक विरासतें बेजोड़ स्थापत्य व चित्रकला का नायाब उदाहरण है। यहां स्थित प्राचीन धरोहरें इसे ‘हैरिटेज-सिटि’ बनाने की योग्यता प्रदान करती हैं। यहां की प्रमुख विरासतों मेंं ऐतिहासिक दुर्ग, विश्वप्रसिद्ध चार-चौक की हवेली, प्राचीन मन्दिर तथा महाजनों द्वारा निर्मित जोहड़ तथा उत्तम दृश्य व बेजोड़ स्थापत्य कला की पुरानी हवेलियां हैं। लक्ष्मणगढ़ की ऐतिहासिक इमारतों व धरोहरों के रूप में यहां की भव्य हवेलियां सबसे प्रमुख हैं। उत्तार-मुगल तथा ब्रितानी दौर की स्थापत्य कला तथा हिन्दू-मुस्लिम शैली की चित्रकारी से युक्त लक्ष्मणगढ़ की ऐतिहासिक हवेलियां बरबस ही देखने वालों को आकर्षित कर लेती हैं। इन हवेलियों की दीवारों पर अराईस बेहद चिकनी, आकर्षक तथा उच्चस्तरीय हैं। इनमें बनाऐ गऐ भित्ति-चित्रों में ब्रितानी दौर का आधुनिक-दृष्टिकोण स्पष्ट दिखाई देता हैं, वहीं पुरानी हवेलियों में हिन्दू-मुस्लिम स्थापत्य शैली का सुन्दर मिश्रण हैं। बाद की हवेलियों में ब्रिटिश शैली का प्रयोग अधिक किया गया हैं। हवेलियों में देवी-देवताओं के अंकन के साथ ही नीला-हरा-लाल गहरे रंगों का सम्यक रुपांकन हैं। यह बात और हैं कि प्रवासियों के लगातार मोहभंग होने तथा प्रशासन व जनप्रतिनिधियों के भी रुचि न लेने से ये धरोहरें (विशेषत: हवेलियां) खुर्दबुर्द हो रही हैं।————————–ये हैं प्रमुख हवेलियांयूं तो लक्ष्मणगढ़ में भव्य तथा आकर्षक हवेलियों की संख्या तीन अंको में हैं किन्तु धीरे-धीरे व्यावसायिकता की चपेट में खुर्द-बुर्द होने से इनकी संख्या घटती जा रही हैं। वर्तमान में कस्बे में चार-चौक की हवेली, क्यालों की हवेली, काबरों की हवेली, क्यालों के कमरे, परसरामपुरियों की हवेली, चूड़ीवालों की हवेली, पंसारियों की हवेली, गनेड़ीवालों की (चार-चौक की) हवेली सहित अनेक हवेलियां आज भी इतिहास का गौरवगान करती हैं।—————————-छतरिया, जोहड़, मंदिर व दुर्ग भी है आकर्षण का केन्द्रकस्बे में चूड़ीवाला, गनेड़ीवाला परिवार सहित अन्य सेठों साहुकारों की ओर से निर्मित्त भव्य कलात्मक छतरियां व जोहड़े अनायास ही लोगो को अपनी ओर आकर्षित कर लेते हैं। इसके अलावा कस्बे का दूर्ग राजस्थान राज्य की भव्यतम स्थापत्य कलाओं का एक अद्भूत व अनुपम उदाहरण हैं। आज से 10 से 15 वर्षों पूर्व इन्हे देखने के लिये काफी संख्या में विदेशी पर्यटक समूहों में आते थे। साथ ही राजस्थानी गानों की शूटिंग भी इन छतरियों पर हो चूकी हैं। परन्तु लगातार हो रही सरकारी उपेक्षा व स्थानीय जनप्रतिनिधियों की इच्छा शक्ति में कमी ने कस्बे को विदेशी पर्यटकों और हैरिटेज की संभावनाओं से वीरान बना के छोड़ दिया हैं।—————————-बढ़ेगी आय- होगा विकासवर्तमान में क्षेत्रीय विधायक गोविन्द सिंह डोटासरा को पर्यटन मंत्री का जिम्मा मिलने के बाद कस्बेवासियों को लक्ष्मणगढ़ को पूर्ण हैरिटेज का दर्जा मिलने की आस के साथ ही पर्यटन के रूप में विकास होने की उम्मीद बढ़ी है। करोड़ो की लागत से बनने वाला नेचर पार्क पर्यटन को बढ़ावा देने की ओर से सरकार का पहला कदम है। अगर प्रशासन के साथ-साथ जनप्रतिनिधियों की सक्रियता बरकरार रहें और हवेलियों को संरक्षित करने में सफलता मिल जाऐ तो कस्बे में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा व स्थानीय स्तर पर रोजगाार के साधन भी उपलब्ध होंंगे। पर्यटकों के ठहरने, खाने, गाईड करने सहित अन्य व्यवस्थाओं के रुप में न केवल यहां के लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे, बल्कि नगरपालिका प्रशासन की आय बढ़ेगी जिसे कस्बे के विकास कार्यों में सहायता मिलेगी। सबसे बड़ी बात तो यह हैं कि इससे कस्बे को विश्वस्तर पर पहचान भी मिल सकेगी।—————————–इनसे ले सकते है प्रेरणाविरासत संरक्षण में अहम भूमिका निभाने के लिए कुछ महाजन व प्रवासी बंधु आगे भी आए और उन्होने अपनी पैतृक हवेलियों के मूल स्वरूप को बरकरार रखते हुए दुबारा से भित्ति चित्रों का अंकन व मरम्मत कार्य करवाया है। इनमें प्रमुख रूप से पक्की प्याऊ के पास स्थित बजाजों की हवेली, खाटू की कुंई के पास स्थित लखोटिया की हवेली, जैन मंदिर केपास स्थित काबरों की हवेली का जहां इनके मालिकों ने नवीनीकरण करवाया है। वहीं मुरली मनोहर मंदिर में गनेड़ीवाला ट्रस्ट व श्रीरघुनाथ जी के बड़े मंदिर का प्रवासी उद्योगपति श्री कुमार लखोटिया ने जीर्णोद्धार करवा कर विरासत संरक्षण का नायाब उदाहरण पेश किया है।

- Advertisement -
- Advertisement -
Stay Connected
16,985FansLike
2,458FollowersFollow
61,453SubscribersSubscribe
Must Read
- Advertisement -
Related News
- Advertisement -