चित्तौडग़ढ़. जिले में शुक्रवार रात से बारिश का दौर कमजोर पड़ गया लेकिन तीन दिन हुई तेज बारिश के कारण बांध-तालाब छलक रहे है। जिले के सबसे बड़े गंभीरी बांध के चार छोटे गेट शनिवार दोपहर १२.३० बजे खोल दिए गए। जिले के सबसे बड़े गंभीरी बांध के गेट खोलने से पूर्व सायरन बजा कर सूचित किया गया।जिला कलक्टर शिवांगी स्वर्णकार ने भी गंभीरी बांध स्थल का दौरा कर व्यवस्थाओं का जायजा लिया। उन्होंने अधिकारियों को बांध से पानी की निकासी के दौरान प्रभावित क्षेत्र के लोगों को किसी तरह की परेशानी नहीं आए ये सुनिश्चित करने के निर्देश दिए। उन्होंने पानी की आवक तथा गेट खोलने, जल प्रवाह के पूर्व एवं बाद में सामने आने वाली स्थितियों के बारे में प्रशासनिक और जल संसाधन विभागीय अधिकारियों से चर्चा की। इस दौरान अतिरिक्त जिला कलक्टर मुकेश कुमार कलाल, नगर विकास न्यास के सचिव सीडी चारण सहित कई अधिकारी मौजूद थे। उपखण्ड अधिकारी पंकज शर्मा ने बताया कि पानी की आवक की गति के अनुपात में निकासी के लिए चार छोटे गेट खोलने की अनुमति दी गई। इस बांध से छोड़ा गया पानी चित्तौडग़ढ़ शहर के मध्य से गुजर रही गंभीरी नदी से होते हुए बेडच व उसके बाद बनास में होते हुए बीसलपुर बांध तक पहुंचेगा।
राशमी में एक इंच बारिशबांधों में पानी की आवक हो रही लेकिन जिले में शनिवार को बारिश का दौर धीमा पड़ गया। चित्तौडग़ढ़ शहर में भी दिन में अधिकतर समय बादल छाए रहे लेकिन फुहारे ही गिरी। शाम सात बजे बाद कुछ देर तेज बारिश हुई। जिला बाढ़ नियंत्रण कक्ष के अनुसार शनिवार शाम ५ बजे समाप्त २४ घंटे में राशमी में २४, निम्बाहेड़ा में ८, भैसरोडग़ढ़ में ७, कपासन व भूपालसागर में ५-५, चित्तौडग़ढ़ एवं बड़ीसादड़ी में २-२ मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई। घोसुण्डा बांध के भी दो गेट खुले हुए है। ओरई बांध पर भी डेढ़ फीट चादर चल रही है।
उत्सुकता रही कब तक पहुचेंगा गंभीरी बांध का पानीगंभीरी बांध के चार छोटे गेट खोलते ही इसका संदेश सोशल मीडिया पर भी वायरल होने लगा। बांध से छोड़े जाने वाला पानी शहर के मध्य से गुजर रही गंभीरी नदी में पहुंचता है। इसलिए भी शहरवासियों में ये जानने की उत्सुकता रही कि छोड़ा गया पानी नदी में कब तक पहुंचेगा एवं इससे उसका जलस्तर कितने बढऩे वाला है।हालांकि बांध के चार छोटे गेट ही खोले जाने से नदी के जलस्तर में कोई बड़ा बदलाव नहीं दिखा। माना जा रहा है कि बांध के सभी गेट खोले जाते है तो नदी का जलस्तर खतरे के निशान से उपर जा सकता है।
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