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प्रशासनिक मोर्चे पर गौरव बढ़ा रहे सरहद के सेनानी

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अजय शर्मा. सीकर. पहले सरहद पर मुस्तैदी से देश सेवा और फिर प्रशासनिक सिस्टम में सुधार के लिए अफसरी…। शेखावाटी के गौरव सेनानी सरहद के बाद अब प्रशासनिक मोर्चे पर तैनात होकर गौरव बढ़ा रहे हैं। यहां के गौरव सेनानियों का पिछली चार आरएएस भर्ती परीक्षाओं से लगातार सफलता का प्रतिशत बढ़ता जा रहा है। पहले यहां के भूतपूर्व सैनिकों में शारीरिक शिक्षक, स्कूल शिक्षक और कॉलेज व्याख्याता बनने का क्रेज था। अब अफसर बनने का जुनून बढ़ रहा है। पिछली दो आरएएस भर्ती में अपने कोटे के औसत 35 से 40 फीसदी पदों पर शेखावाटी के गौरव सेनानियों ने बाजी मारी है। दरअसल, शेखावाटी का युवा बचपन से ही संघर्ष सीखता है। सेना में जाने के बाद भी उसकी पढ़ाई पर ब्रेक नहीं लगता। वह स्वयंपाठी के जरिए बीए, एमए व बीएड सहित अन्य कोर्स की पढ़ाई पूरी कर लेता है। सेना में नौकरी पूरी होने के साथ ही प्रदेश की भर्ती परीक्षाओं की तैयारी शुरू कर देता है। इस वजह से शेखावाटी के युवाओं की सफलता दर प्रदेश के अन्य जिलों के मुकाबले अधिक है। एक्सपर्ट का कहना है कि साक्षरता प्रतिशत और शैक्षणिक माहौल भी यहां के गौरव सेनानियों की सफलता का बड़ा कारण है। जोश और जुनून से हमारे गौरव सेनानी बन रहे अफसरकेस- एक: सेना, स्कूल व्याख्याता और सहायक भू-प्रबंध अधिकारीलक्ष्मणगढ़ इलाके के घस्सू निवासी डॉ सुरेंद्र भास्कर पहले भारतीय वायु सेना में कार्यरत थे। वायु सेना में रहते हुए शिक्षा के क्षेत्र में सर्वाधिक डिग्रियां प्राप्त करने के लिए इनका नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉड्र्स में भी शामिल है। अब तक डॉ भास्कर 10 पुस्तक एवं 40 से अधिक शोध पत्रों का लेखन भी कर चुके हैं। इनकी एक पुस्तक तो हाल ही में न्यूयॉर्क से प्रकाशित हुई है। वायुसेना में सेवा के बाद उन्होंने 2016 में जनरल कोटे से व्याख्याता समाजशास्त्र की परीक्षा में राजस्थान में छठी रैंक हासिल की। राजस्थान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग में सहायक निदेशक के पद पर भी रहे। वर्ष 2019 में उन्होंने आरएएस भर्ती में सफलता हासिल की। फिलहाल सीकर जिले में सहायक भू-प्रबंध अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं।केस-दो: 20 परीक्षाएं पास करने के बाद बने नायब तहसीलदारफतेहपुर इलाके के उदनसरी गांव निवासी बजरंगलाल कुल्हरी अब तक 20 से अधिक प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता का परचम लहरा चुके हैं। कुल्हरी का सबसे पहले 1998 में इंडियन नेवी में चयन हुआ। इसके बाद इंडियन एयरफोर्स, एसबीआइ क्लर्क, आइबीपीएस क्लर्क, सीजीएल, जेसीटीओ, जूनियर अकाउंटेंट, पीजीटी हरियाणा, सहायक सांख्यिकी अधिकारी में सफलता हासिल की। स्कूल व्याख्याता परीक्षा 2015 में प्रदेश में 16 वीं रैंक हासिल की। वर्ष 2016 की आरएएस भर्ती में उनका आरटीएस पद पर चयन हुआ। फिलहाल लक्ष्मणगढ़ में नायब तहसीलदार के पद पर कार्यरत हैं। केस- तीन: आरएएस भर्ती में भी तीन बार मारी बाजीभारतीय वायुसेना से सेवानिवृत्त रामेश्वरलाल गढ़वाल भी आरएएस भर्ती में बाजी मार चुके है। इससे पहले उनका चयन तृतीय श्रेणी व द्वितीय श्रेणी अध्यापक के पद पर हो चुका है। वह शिक्षा विभाग में प्रधानाध्यापक भी रह चुके है। मूलत धींगपुर गांव निवासी मेहनत और लगन के पक्के धुनी रामेश्वरलाल ने आरएएस 2012 में भी बाजी मारी थी। इसमें उनको प्रर्वतन निरीक्षक का पद मिला था। इसके बाद अगली आरएएस भर्ती में कनिष्ठ राज्य कर अधिकारी का पद मिला। वहीं वर्ष 2016 की भर्ती में फिर से बाजी मारी और अब डेगाना में तहसीलदार के पद पर कार्यरत है।2018 से बदले नियम, अब दोनों सेवाओं में आरक्षण1. राजस्थान लोक सेवा आयोग की ओर से भूतपूर्व सैनिकों के आरक्षण को लेकर आदेश जारी किया गया था। इसके तहत2. अधीनस्थ सेवाओं में 12.5 फीसदी व प्रोपर सेवाओं के लिए 5 फीसदी आरक्षण तय किया गया।ऐसे समझें हमारे गौरव सेनानियों के जज्बे कोआरएएस 2018 भर्ती: इसमें 17 गौरव सेनानी मुख्य पदों की सूची में शामिल हुए। जबकि 78 अधीनस्थ सेवा कोटे में चयनित हुए हैं। पिछली आरएएस भर्ती के मुकाबले भूतपूर्व सैनिक कोटे में दो गुणा से ज्यादा आवेदन भरे गए। एक्सपर्ट का कहना है कि 40 फीसदी से अधिक पदों पर शेखावाटी के गौरव सेनानियों का चयन हुआ।आरएएस 2016 भती:आरएएस भर्ती 2016 तक आरक्षण में प्रावधान सिर्फ अधीनस्थ सेवाओं के लिए किया हुआ था। 75 से अधिक भूतपूर्व सैनिकों का इस श्रेणी में चयन हुआ। इसमें 42 अधीनस्थ सेवा में है। शेखावाटी के गौरव सेनानियों ने 35 फीसदी से अधिक पदों पर कब्जा माया।आरएएस 2021 भर्ती: इस भर्ती में लगभग 86 पद भूतपूर्व सैनिक कोटे के तय है।आरक्षण मामले में यह बोले गौरव सेनानीसेना से सेवानिवृत्त व फिलहाल नायब तहसीलदार के तौर पद पदस्थापित महेन्द्र मूण्ड ने बताया कि आरक्षण के अन्य नियमों के अनुसार ही सेना के कोटे के बैकलॉग को भी अगली भर्ती के लिए आरक्षित रखा जाना चाहिए। एक्स सर्विसमेन कोटे को वर्तमान में केवल एक बार ले सकते हो जो प्राकृतिक न्याय के खिलाफ है। जब अन्य आरक्षण का लाभ आप भविष्य में ले सकते हो तो सैन्य कोटे को सीमित करने का कोई तार्किक औचित्य नहीं है।

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