भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन (Raghuram Rajan) ने शनिवार को कहा कि आजादी के बाद कोविड-19 महामारी देश की शायद सबसे बड़ी चुनौती है. राजन ने साथ ही कहा कि कई जगहों पर विभिन्न कारणों के चलते सरकार लोगों की मदद के लिए मौजूद नहीं थी.
दिल्ली में यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो (University of chicago) सेंटर द्वारा आयोजित एक ऑनलाइन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि भारत को सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम क्षेत्र के लिए दिवालिया घोषित करने की एक त्वरित प्रक्रिया की आवश्यकता है. उन्होंने कहा, महामारी के चलते भारत के लिए यह त्रासदी भरा समय है. आजादी के बाद कोविड-19 महामारी शायद देश की सबसे बड़ी चुनौती है.
रघुराम राजन ने कहा, जब महामारी पहली बार आई तो लॉकडाउन की वजह से चुनौती मुख्यत- आर्थिक थी, लेकिन अब चुनौती आर्थिक और व्यक्तिगत दोनों ही है और जैसे हम आगे बढ़ेंगे तो इसमें एक सामाजिक तत्व भी होगा. देश में हाल के सप्ताहों के दौरान लगातार प्रतिदिन तीन लाख से अधिक मामले सामने आ रहे हैं और मृतकों की संख्या भी लगातार बढ़ी है.
उन्होंने कहा, इस महामारी का एक प्रभाव यह है कि विभिन्न कारणों से हमने सरकार की मौजूदगी नहीं देखी. राजन ने रेखांकित किया कि महाराष्ट्र सरकार कोविड-19 मरीजों को ऑक्सीजन बिस्तर मुहैया करा पा रही है. उन्होंने कहा, कई स्थानों पर इस स्तर पर भी सरकार काम नहीं कर रही. राजन ने कहा कि महामारी के बाद यदि हम समाज के बारे में गंभीरता से सवाल नहीं उठाते हैं तो यह महामारी जितनी ही बड़ी त्रासदी होगी.
रघुराम राजन मौजूदा समय में यूनिवर्सिटी ऑफ शिकागो बूथ स्कूल ऑफ बिजनेज में एक प्रोफेसर हैं. उन्होंने रेखांकित किया, कई बार आपकों को सुधार चुपके से नहीं बल्कि पूरी तरह से खुलकर करना होता है. भारतीय प्रौद्योगिक संस्थान (आईआईटी) दिल्ली में दिए अपने भाषण को याद करते हुए कहा राजन ने कहा, मेरा भाषण सरकार की आलोचना नहीं थी…कई बार चीजों की कुछ ज्यादा ही व्याख्या की जा जाती है.
इससे पहले रघुराम राजन ने कहा था कि संक्रमण में तेजी से ‘नेतृत्व और दूरदर्शिता की कमी’ सामने आई है. ब्लूमबर्ग के साथ एक इंटरव्यू में राजन ने कहा था कि पिछले साल की पहली वेव के बाद दोबारा संक्रमण में तेजी आना दिखाता है कि लोग संतुष्ट होकर बैठ गए थे. राजन ने कहा था, अगर आप सावधान होते, अगर आप चौकन्ने होते, तो आपको समझना चाहिए था कि ये अभी खत्म नहीं हुआ है.
रघुराम राजन ने ब्लूमबर्ग से कहा था कि, पिछले साल मामलों में कमी आने के बाद ऐसा समझा गया कि हमने सबसे बुरा दौर देख लिया है और हम इससे निकल गए है और अब इकनॉमी खोली चाहिए. इसी संतुष्टता से हमें नुकसान हुआ. पहली वेव के खिलाफ थोड़ी सफलता की वजह से ही शायद भारत ने अपनी जनसंख्या के लिए पर्याप्त वैक्सीन नहीं बनाई. हो सकता है सोचा गया हो कि अभी समय है, कि हम वायरस से निपट चुके हैं और वैक्सीनेशन धीरे-धीरे शुरू कर सकते हैं.
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