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राजस्थान के किसानों ने गेंहू से बनाई दूरी, मौसम ने बदला ट्रेंड

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सीकर. मौसम के तंत्र में आ रहे बदलाव और फसलों के भावों का सीधा असर इस बार रबी की बुवाई पर पड़ रहा है। इस कारण पिछले पांच सालों में प्रदेश के किसानों का रुझान गेहूं की ओर कम हुआ है। इसकी बजाय किसानों का रुझान चने के उत्पादन की ओर ज्यादा बढ़ा है। कृषि विभाग के अधिकारी भी गेहूं की बजाए चना के मिनिकिट व प्रदर्शनी लगा रहे हैं। वहीं बुवाई के समय अनुकूल वातावरण नहीं मिलने के कारण बुवाई प्रभावित होने से भी ट्रेंड बदला है।
चना के लिए प्रति बढ़ रहा है रुझानप्रदेश में हर बार अतिवृष्टि या अनावृष्टि के कारण प्रत्येक वर्ष गर्मी की अवधि तो बढ़ रही है लेकिन सर्दी की अवधि कम हो रही है। गेंहू की फसल को तेज सर्दी की जरूरत होती है जबकि चना व गेहूं कम सर्दी में अंकुरित हो जाता है। फिर चने के भाव भी किसानों को अच्छे मिल रहे हैं। इस कारण प्रदेश में किसानों का रुझान गेहूं और सरसों की बजाए चने के उत्पादन की तरफ ज्यादा बढ़ रहा है। यही कारण है कि पिछले पांच वर्षों का ट्रेंड देखे तो सीकर जिले में रबी की बुवाई का लक्ष्य ढाई लाख हेक्टेयर रहा है। जिसमें चने की बुवाई का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है।
रबी कि बुवाई होगी शुरूसितम्बर माह का दूसरा पखवाडा चल रहा है। कम तापमान वाले इलाके में अगले माह तक किसान रबी की अगेती बुवाई में जुट जाएंगे। कई जगह किसानों ने खरीफ की फसलों की कटाई शुरू कर दी है और अगेती रबी की फसलों के लिए तैयारी शुरू कर दी है। हालांकि अभी सर्दी की आहट नहीं हुई है। बुजुर्ग किसानों की माने तो रबी की बुवाई के लिए अधिकतम तापमान 25 डिग्री और न्यूनतम तापमान 20 के बीच श्रेष्ठ माना जाता है। गौरतलब है कि सीकर जिले में रबी सीजन के दौरान ढाई लाख हेक्टेयर से ज्यादा बुवाई का क्षेत्र होता है।
इनका कहना है
पिछले वर्षों में सरसों की तुलना में चना के अच्छे भाव रहने के कारण किसानों का रुझान गेहूं व सरसों की बजाए चना की बुवाई की ओर ज्यादा है। यह स्थानीय मौसम के अनुकूल फसल भी है। ऐसे में उम्मीद है कि इस बार जिले में चना का क्षेत्र ज्यादा रहेगा।शिशुपाल सिंह खरबास, प्रगतिशील किसान सीकर

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