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कृषि कानून के विरोध में आर-पार के मूड में किसान

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केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन करने के लिए दिल्ली की सीमाओं पर अब भी बड़ी संख्या में किसान मौजूद हैं और आंदोलन के लिए पुलिस द्वारा निर्धारित स्थान बुराड़ी मैदान पर उन्हें लाए जाने के संबंध में अभी उनके नेताओं ने फैसला नहीं किया है.
भारी पुलिस बल की मौजूदगी में सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर इस समय किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल) के अध्यक्ष बलबीर सिंह राजेवाल ने बताया, वर्तमान में, हम यहां (दिल्ली सीमा पर) हैं. हमने अभी भी बुराड़ी मैदान में जाने का फैसला नहीं किया है. हालांकि भारतीय किसान यूनियन (एकता-उगराहां) के नेता शिंगरा सिंह ने शनिवार को कहा कि वे दिल्ली में बुराड़ी मैदान नहीं जाएंगे.
भारतीय किसान यूनियन (एकता-उगराहां) के वरिष्ठ उपाध्यक्ष जे सिंह जेठुके ने कहा, हम केंद्र सरकार से आंदोलन के लिए जंतर-मंतर पर जगह देने का आग्रह करते हैं. हम किसी भी कीमत पर बुराड़ी मैदान नहीं जाएंगे. इस बीच पंजाब के किसानों ने रात्रि विश्राम के बाद शनिवार को ‘दिल्ली चलो’ मार्च फिर से शुरू किया, जबकि पहले ही हजारों किसान राष्ट्रीय राजधानी की सीमाओं तक पहुंच चुके हैं.
जेठुके ने कहा, हम दिल्ली सीमा के करीब पहुंच गए हैं, लेकिन यातायात जाम की वजह से हम फंस गए हैं. हमारे किसान जो ट्रैक्टर-ट्रेलर में हैं, वे अभी भी हमारे पीछे हैं. बीकेयू (एकता-उगराहां) के नेताओं ने दावा किया कि बुजुर्ग महिलाओं सहित एक लाख से अधिक किसान, ट्रैक्टर-ट्रेलर, बसों और अन्य वाहनों में राष्ट्रीय राजधानी की ओर मार्च कर रहे हैं.
एक प्रदर्शनकारी किसान ने कहा, हमारे पास पांच से छह महीने का राशन है. हम तब तक नहीं लौटेंगे जब तक कि केंद्र नए कृषि कानूनों को रद्द नहीं कर देता. किसान अपने मार्च के लिए राशन, सब्जियां, बर्तन, लकड़ी और अन्य आवश्यक चीजें लाए हैं. ठंड के मौसम की स्थिति के मद्देनजर, वे रजाई और कंबल भी साथ लाए हैं. किसान मजदूर संघर्ष कमेटी (केएमएससी) से जुड़े किसानों ने कहा कि उन्होंने राष्ट्रीय राजधानी की ओर जाने के लिए शनिवार को हरियाणा में प्रवेश किया था.
केएमएससी के महासचिव सरवन सिंह पंढेर ने बताया, हमारे किसान देर शाम तक दिल्ली पहुंच सकते हैं. बीकेयू (एकता-उगराहां) के नेता शिंगारा सिंह ने कहा कि किसानों ने हरियाणा में रोहतक जिले के महम में रात्रि प्रवास के बाद सुबह दिल्ली की ओर फिर से बढ़ना शुरू किया. किसानों के एक अन्य समूह ने हरियाणा में जींद जिले के जुलाना में रात्रि प्रवास किया. पंजाब के किसानों ने बड़ी संख्या में हरियाणा से लगती राज्य की सीमा को शुक्रवार को पार किया था. पुलिस ने उन्हें रोकने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े थे और पानी की बौछार की थी.
इस बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रताप सिंह बाजवा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से किसानों की बातों को सुनने का आग्रह किया. अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति, राष्ट्रीय किसान महासंघ और भारतीय किसान यूनियन के विभिन्न धड़ों ने मार्च का आह्वान किया था. केंद्र सरकार ने पंजाब के कई किसान संगठनों को वार्ता के एक और दौर के लिए तीन दिसंबर को दिल्ली आमंत्रित किया है. किसान नेताओं का कहना है कि वार्ता तीन दिसंबर को नहीं बल्कि आज और अभी होनी चाहिए.
दूसरी ओर किसान आंदोलन को लेकर राजनीति भी खूब हो रही है. हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने शनिवार को आरोप लगाया कि केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ कुछ राजनीतिक दल एवं संगठन किसान आंदोलन को प्रायोजित कर रहे हैं. मनोहर खट्टर ने पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह पर भी हमला बोला और दावा किया वह इस मसले पर उनसे बातचीत करना चाहते थे और तीन दिन तक उनके कार्यालय में टेलीफोन किया लेकिन उन्होंने इसका कोई उत्तर नहीं दिया.
हालांकि, अमरिंदर सिंह ने खट्टर के उन आरोपों को खारिज किया कि बार-बार प्रयास के बावजूद उन्होंने हरियाणा के मुख्यमंत्री से बातचीत नहीं की. अमरिंदर सिंह ने कहा कि वह खट्टर से तब तक बात नहीं करेंगे, जब तक वह दिल्ली कूच कर रहे किसानों पर हुई बर्बरता के लिए माफी नहीं मांग लेते. आंदोलन में साजिश होने का दावा करते हुए खट्टर ने गुरूग्राम में कल संवाददाताओं से कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री के कार्यालय के अधिकारी पंजाब के प्रदर्शनकारी किसानों को निर्देश दे रहे हैं.
उन्होंने कहा कि इस आंदोलन की शुरुआत पंजाब के किसानों ने की है और कुछ राजनीतिक दल एवं संगठन इसे प्रायोजित कर रहे हैं. मनोहर लाल खट्टर ने दावा किया कि हरियाणा के किसानों ने इस आंदोलन में हिस्सा नहीं लिया है. उन्होंने कहा, इसके लिए मैं हरियाणा के किसानों का धन्यवाद देना चाहता हूं. मैं हरियाणा पुलिस की भी तारीफ करता हूं
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