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12वीं में तीन बार फेल होकर पास की आरएएस परीक्षा, गांव में मना जश्न

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सीकर. यदि मन में कुछ कर गुजरने की चाह हो तो शैक्षणिक रेकार्ड के दाग को मेहनत के दम पर धोया जा सकता है। यह साबित कर दिखाया है दौलतपुरा कटराथल गांव निवासी प्रमोद कुमार ने। जो 12वीं में तीन बार फेल होने के बाद आरएएस परीक्षा पास करने पर प्रेरणा का बड़ा स्त्रोत बन गए हैं। यही नहीं इससे पहले वे तृतीय श्रेणी, द्वितीय श्रेणी व प्रथम श्रेणी शिक्षक परीक्षा भी पास कर चुके हैं। नागौर जिले में राजनीति विज्ञान के व्याख्याता पद पर कार्यरत प्रमोद कुमार प्रशासनिक अधिकारी का सपना देखा और पूरे जुनून से जुट गए। लगातार मेहनत के दम पर उन्होंने इस बार 99 वीं रैंक हासिल कर ली। उनका कहना है कि पढऩे की कोई उम्र नहीं होती और मेहनत से हर मुकाम हासिल किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि उनके जीजा बाबूलाल धेनवाल व विनोद कुमार ने काफी आत्मविश्वास बढ़ाया। उन्होंने सफलता का श्रेय पिता अमर सिंह, मां व शिक्षकों को दिया है।
12वीं में तीन बार विफलविफल होने पर मायूस होने वाले अभ्यर्थियों के लिए प्रमोद मिसाल है। क्योंकि इस मुकाम तक पहुंचने से पहले वे 12वीं कक्षा में ही तीन बार फेल हो चुके हैं। बकौल प्रमोद उन्होंने विज्ञान विषय के साथ 12वीं परीक्षा दी थी, लेकिन तीन बार विफल रहे। इसके बाद विषय बदलकर उन्होंने परीक्षा दी और उत्तीर्ण होकर सफलता का रास्ता बनाते गए।
गांव में जश्न का माहौलप्रमोद कुमार के आरएएस परीक्षा पास करने पर गांव में जश्न का माहौल है। मिठाई बांटने के साथ ग्रामीणों ने सरपंच दिनेश कुमार आर्य की अगुवाई में प्रमोद का अभिनंदन किया। इस मौके पर रामेश्वर लाल वर्मा, ताराचंद, मुकेश वर्मा, मोतीलाल भार्गव, मांगीलाल योगी, श्यामलाल, जुगल किशोर, सुरेंद्र कुमावत, सोनू धर्मेंद्र डोरवाल मौजूद रहे।
नागवा की नर्सिँग ऑफिसर ने आठवीं से देखा सपना, अब हुआ पूरासीकर. आठवीं क्लास पूरे स्कूल में टॉप की तो गांव के कई लोगों ने ताने मारे कि टॉप आ गई तो क्या हो गया…। इस दिन ठान लिया कि कुछ करके दिखाना है। इसके बाद एसएमएस कॉलेज जयपुर से नर्सिँग की पढ़ाई की। अच्छे स्कोर के दम पर एसीआई अस्पताल में नर्सिंग अधिकारी की नौकरी मिल गई। लेकिन मन में सपने प्रशासनिक अधिकारी बनने के थे। यह कहानी है नागवा गांव निवासी मंजू भामू की। इस दौरान कई शिक्षकों से आरएएस की तैयारी, परीक्षा पैटर्न आदि के बारे में पूछा। लेकिन पहले प्रयास में प्री परीक्षा पास कर ली तो आत्मविश्वास बढ़ा। इसके बाद लगातार अपने लक्ष्य के लिए जुटी रही। दिन में अस्पताल में ड्यूटी होती तो रात को पढ़ाई करती। इस बार उन्होंने 366 वीं रैंक हासिल की है। उन्होंने सफलता का श्रेय पिता बेगाराम भामू, मां जड़ाव देवी व शिक्षकों को दिया है।

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