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शिक्षा मंत्री श्री गोविंद सिंह डोटासरा ने राजकीय विद्यालयों में बच्चों के बस्ते का बोझ कम करने के पायलट प्रोजेक्ट का जयपुर से किया शुभारम्भ

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बस्ते का बोझ कम करने की पहल का राजस्थान सरकार ने किया आगाज़

विद्यार्थियों के बस्ते का दो तिहाई बोझ कम हुआ

राजकीय विद्यालयों में बस्ते के बोझ को कम करने की राजस्थान से हुई ऐतिहासिक पहल

शिक्षा मंत्री श्री डोटासरा ने पायलट प्रोजेक्ट का जयपुर से किया शुभारंभ

जयपुर, 4 सितम्बर। शिक्षा मंत्री श्री गोविंद सिंह डोटासरा ने बुधवार को राजकीय विद्यालयों में बच्चों के बस्ते का बोझ कम करने के पायलट प्रोजेक्ट का जयपुर से शुभारम्भ किया। उन्होंने कहा कि राजस्थान देश का पहला ऐसा राज्य है, जहां बस्ते के बोझ को कम करने के लिए नवाचार अपनाते हुए यह ऐतिहासिक पहल की गई है।
बुधवार को श्री डोटासरा ने कक्षा 1 से पांच के बच्चों को बस्ते के बोझ को कम कर तैयार नवीन पुस्तकें भी वितरित की। उन्होंने राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, वाटिका में इस सम्बन्ध में आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रम में  बताया कि पाठ्यपुस्तको का दो तिहाई वजन कम किया गया है। अब बच्चों को वर्तमान पुस्तकों के एक तिहाई भार के रूप में अलग अलग पुस्तकों के स्थान पर एक ही पुस्तक स्कूल लेकर जानी होगी।  उन्होंने बताया कि कक्षा एक के  विद्यार्थियों  की पुरानी किताबों का वजन 900 ग्राम था जो अब 400 ग्राम किया गया है।  कक्षा दो में 950 ग्राम को 300 ग्राम, कक्षा तीन में 1 किलो 350 ग्राम के स्थान पर 500 ग्राम, कक्षा  चार में 1 किलो 450 ग्राम के स्थान पर 500 ग्राम तथा कक्षा  पांच में पुरानी किताबों के वजन 1 किलो 250 ग्राम को घटाकर मात्र 500 ग्राम करने की पहल की गयी है। इस प्रकार कक्षा एक से पांच तक की किताबों के वजन को 5 किलो 900 ग्राम से घटाकर 2 किलो 200 ग्राम तक कर दिया गया है।
    श्री डोटासरा ने बताया कि प्रायोगिक रूप में राज्य सरकार ने प्रदेश के सभी 33 जिलों से एक-एक विद्यालय का चयन कर बस्ते के बोझ को कम करने की यह शुरुआत की है।  इसके अंतर्गत आरम्भ में कक्षा 1 से 5 तक बस्ते का दो तिहाई बोझ कम हुआ है। उन्होंने बताया कि बोझ कम करने के इस निर्णय की सतत समीक्षा की जाएगी। सफल परिणाम रहते हैं तो आने वाले समय में इसे कक्षा 1 से 12 तक प्रदेशभर में लागू किया जाएगा। उन्होंने निजी विद्यालयों का भी आह्वान किया कि वे भी इस तरह की शुरुआत करें ताकि बच्चों को कम पुस्तक बोझ लेकर स्कूल जाना पड़े।
श्री डोटासरा ने कहा कि प्रदेश में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के प्रयासों के कारण 3.50 लाख बालिकाओं नामांकन बढ़ा है। यह अपने आप मे ंइसलिए महत्वपूर्ण है कि एक बालिका पढ़ती है तो पूरा परिवार शिक्षित हो जाता है। उन्होनें राज्य में बच्चों केा उनकी रूचि के अनुसार पढ़ाए जाने, रोजगारोन्मुख शिक्षा देने से आए सकारात्मक बदलावों की चर्चा करते हुए कहा कि राजस्थान देशभर में शिक्षा क्षेत्र में अग्रणी राज्य बने, इसके लिए सभी को मिलकर प्रयास करने की जरूरत है। उन्हांेने कहा कि राजस्थान में शिक्षा क्षेत्र में शिक्षा एवं शिक्षकों के हित को दृष्टिगत रखते हुए निरन्तर कार्य किये गये हैं। प्रदेश में शिक्षा से आम जन के सरोकार बढाने के लिए बालसभाओं के आयोजन की पहल की गई है। इसके बहुत अच्छे परिणाम सामने आए हैं। बड़ी संख्या में  भामाशाह इससे विद्यालयों में सहयोग के लिए आगे आये हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षकों की 10 हजार लंबित परिवेदनाओं में से 98 प्रतिशत तक का समाधान कर दिया गया है।
बगरू विधायक श्रीमती गंगादेवी ने इस अवसर पर शिक्षा क्षेत्र में किए जा रहे कार्यों की सराहना करते हुए राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय, वाटिका के लिए एक कक्ष विधाय कोष से निर्मित किए जाने की घोषणा की। समग्र शिक्षा अभियान के आयुक्त श्री प्रदीप कुमार बोरड़ ने कहा कि पुस्तकों के भार को कम किए जाने की पहल से बच्चे स्वस्थ शरीर से स्वस्थ मन से पढ़ाई कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि राजस्थान में हुई इस पहल के आने वाले समय में दीर्घकालीन परिणमा आएंगे।

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