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शिक्षा विभाग का अनुभव प्रमाण पत्र से सोशल डिस्टेंस, प्रदेश के 40 हजार बेरोजगारों की बढ़ी मुसीबत

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सीकर.राजस्थान लोक सेवा आयोग की ओर से प्रधानाध्यापक (प्रवेशिका) के 83 पदों पर होने वाली भर्ती के अनुभव प्रमाण पत्र के कायदों ने प्रदेशभर के 40 हजार से अधिक बेरोजगारों की मुसीबत बढ़ा दी है। भर्ती में बीएड डिग्रीधारी बेरोजगारों से पांच साल का अनुभव प्रमाण पत्र मांगा गया है। लेकिन बेरोजगारों के पास अनुभव होने के बाद भी प्रमाण पत्र नहीं मिल पा रहा है। बेरोजगारों का कहना है कि उन्होंने निजी स्कूलों से तो अनुभव प्रमाण पत्र बनवा लिए लेकिन जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय की ओर से प्रति हस्ताक्षतर नहीं किए जा रहे हैं। इस कारण बेरोजगारों को अनुभव प्रमाण पत्र नहीं मिल पा रहा है। बेरोजगारों का कहना है कि जब जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में सम्पर्क किया तो यह कहकर टरका दिया जाता है कि अनुभव प्रमाण पत्र जारी करने को लेकर निदेशालय से अभी कोई गाइडलाइन नहीं है। इससे पहले वर्ष 2018 की प्रधानाध्यापक भर्ती प्रक्रिया में विभाग की ओर से स्पष्ट निर्देश जारी किए थे। इसके आधार पर सभी जिलों में अनुभव प्रमाण पत्र जारी किए गए थे। इधर, अनुभव प्रमाण पत्र की खींचतान में मंगलवार को आवेदन फार्मो की अंतिम तिथि भी गुजर गई। अब बेरोजगारों ने नियमों में बदलाव के साथ आवेदन तिथि बढ़ाने की भी मांग की है।
सरकारी को छूट, निजी से सोशल डिस्टेंसअभ्यर्थियों का आरोप है कि प्रदेश के कई जिलों में जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालयों की ओर से सरकारी स्कूलों के शिक्षकों को गुपचुप तरीके से प्रमाण पत्र जारी किए गए है। इस मामले में अभ्यर्थियों की ओर से शिक्षा राज्य मंत्री को भी शिकायत दी थी।
विभाग के आपसी झगड़े का खामियाजाभुगत रहे अभ्यर्थीअनुभव प्रमाण पत्र जारी नहीं करने के मामले की पत्रिका टीम ने पड़ताल की तो कई वजह सामने आई। मुख्य वजह यह है कि आरपीएससी की ओर से होने वाली प्रधानाध्यापक भर्ती संस्कृत शिक्षा की है। ऐसे में स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से अनुभव प्रमाण पत्र जारी करने को लेकर स्कूलों के लिए कोई आदेश जारी नहीं हुआ। जिम्मेदारों का कहना है कि संस्कृत शिक्षा विभाग की ओर से शिक्षा विभाग को पत्र नहीं लिखने की वजह से यह दिक्कत बढ़ी है।
केस एक: कई बार लगाए चक्कर, नहीं मिला प्रमाण पत्रसीकर निवासी अभ्यर्थी कमलेश शर्मा व नीलम शर्मा का कहना है कि पिछले दिनों स्कूल से अनुभव प्रमाण पत्र लेकर जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में गए थे। लेकिन वहां से निदेशालय का आदेश नहीं होने का तर्क देकर टरका दिया गया। आरोप है कि पिछली भर्ती में विभाग की ओर से अनुभव प्रमाण पत्र जारी किए गए थे। इस कारण 20 दिनों से चक्कर लगाने पर मजबूर है।
केस दो: अंतिम तिथि बढ़े तो मिले राहतअभ्यर्थी प्रभाकर चारण का कहना है कि पिछले कई सालों से प्रधानाध्यापक भर्ती की तैयारी में जुटे थे। लेकिन शिक्षा विभाग के कायदों ने परेशानी बढ़ा दी है। उनका कहना है कि विभाग की ओर से 14 जुलाई आवेदन की अंतिम तिथि घोषित की है। ऐसे में यदि अब विभाग प्रमाण पत्र जारी भी कर देता है तो आवेदन दुबारा से रिओपन होने पर ही राहत मिल सकती है।

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