सीकर. प्रदेश की कांग्रेस सरकार की ओर से ऑक्सीजन से लेकर गरीबों को राशन देने के मामले में केन्द्र सरकार को घेरा जा रहा है। जबकि राज्य सरकार पिछले लॉकडाउन में केन्द्र सरकार की ओर से भेजे गए चने को अब तक नहीं बंटवा सकी है। रसद विभाग की लापरवाही की वजह से कई जिलों में यह चना गोदामों में पड़ा-पड़ा सड़ रहा है। लेकिन जिम्मेदारों की ओर से ध्यान नहीं दिया गया। अब महिला एवं बाल विकास विभाग के ध्यान में यह मामला आया तो जिला कलक्टरों केा अलर्ट किया गया। कई जगह आंगनबाड़ी केंद्रों के बच्चों के लिए यह चना लिए जाने का ‘जानलेवा दबाव’ बनाया जा रहा है। लेकिन बड़ा सवाल यह है कि लाखों रुपए के खराब होने वाले चने के लिए जिम्मेदार कौन…। दरअसल पिछले साल प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत 19963 मैट्रिक टन और आत्मनिर्भर योजना में 3970 मैट्रिक टन साबूत चना भेजा गया था। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के कार्डधारियों को भी एक-एक किलो चना दिया गया था। अब रसद विभाग ने बचे हुए चने आंगनबाड़ी केन्द्रों के जरिए गर्भवती महिलाओं को बांटने के आदेश दिए है। विभागीय सूत्रों के अनुसार प्रदेश के 15 जिलों में अभी भी दो हजार क्विंटल से अधिक चना पड़ा हुआ है।
नवम्बर महीने से पॉश मशीनों में ऑप्शन बंदइधर, ज्यादातर राशन डीलरों का कहना है कि हमारे पास चना पड़ा रहा। लेकिन सरकार की ओर से कोई आदेश नहीं दिए गए। नवम्बर महीने में पॉश मशीने से चने का ऑप्शन भी हटा दिया गया। ऐसे में राशन डीलर भी चने के नए आदेशों को लेकर इंतजार करते रहे। कई जिलों के राशन डीलरों का कहना है कि अब सालभर से पड़े हुए चने से बदबू आने लगी लगी है।
प्रदेश में कई स्थानों पर रसद विभाग बना रहा दवाब
प्रदेश में कई स्थानों पर अब रसद विभाग की ओर से महिला एवं बाल विकास विभाग की मानदेय कर्मचारियों के उपर खराब चना लेने का दवाब भी बनाया जा रहा है। सवाईमाधोपुर, बांसवाडा, जोधपुर, उदयपुर सहित कई जिलों में इस तरह की शिकायत भी उच्च अधिकारियों तक पहुंची है।
अब कलक्टरों की ओर से कराई जा रही है ऑडिटरसद विभाग के फरमान के बाद अब सभी जिलों में कलक्टरों ने चने की ऑडिट कराने की तैयारी शुरू कर दी है। कलक्टरों की ओर से जारी आदेश में बताया कि जो चना खाने योग्य है उसको नजदीकी आंगनबाड़ी केन्द्र पर दिया जाएगा। यदि खाने योग्य नहीं है तो आंगनबाड़ी कार्यकर्ता प्रमाणित कर देगी कि यह चना खाने योग्य नहीं है। इसके आधार पर चने के संबंध में कोई फैसला लिया जाएगा।
ज्यादातर बंट गया, सीकर में कम स्टॉक बचा: कलक्टर
पिछले साल जो चने आए थे उसका ज्यादातर स्टॉक सीकर में बंट गया था। किसकी लापरवाही से यह रखा रहा इसकी जांच भी होगी। अब सभी सेंटरों के जरिए खाने योग्य चने की पता लगाया जा रहा है। इसके बाद ही पता लग सकेगा कि कितना चना खाने योग्य नहीं है।अविचल चतुर्वेदी, जिला कलक्टर, सीकर
जो खाने योग्य नहीं वह नहीं बांटेगे: डीडी आईसीडीएस
जो चना खाने योग्य नहीं है वह कार्यकर्ताओं को लेना ही नहीं है। सभी को यही निर्देश दिए है कि जो खाने योग्य चना है और केन्द्र पर आवश्यकता है तो आवंटन कराए। विभाग के पास पहले कोई स्टॉक नहीं था।सुमन पारीक, उपनिदेशक, महिला एवं बाल विकास विभाग
2 हजार क्विंटल चना नहीं बंटने से गोदामों में खराब, अब बच्चों को खिलाने ‘जानलेवा दबाव’
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