डॉक्टर कफील खान की मथुरा जेल से रिहाई के 20 दिनों बाद सोमवार को दिल्ली में उनकी कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी से मुलाकात हुई.
डॉक्टर खान 31 अगस्त को इलाहाबाद हाईकोर्ट के दखल के बाद रिहा हुए थे. गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में साल 2017 में ऑक्सीजन की कमी से कुछ ही दिनों में 60 बच्चों की मौत के बाद चर्चा में आए थे. करीब एक घंटे चली मुलाकात के दौरान डॉक्टर कफील खान ने प्रियंका से तीन मुद्दों पर बात की है.
प्रियंका गांधी से मुलाकात के दौरान डॉ. कफील का परिवार भी मौजूद रहा. कफील के साथ उनकी पत्नी और बच्चों से भी प्रियंका गांधी ने मुलाकात की. इस दौरान कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू और कांग्रेस अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष शाहनवाज आलम भी मौजूद रहे. कफील ने बताया कि प्रियंका गांधी ने रविवार को फोन कर मुलाकात करने के लिए बात की थी. पत्नी, बच्चों और मां को भी बुलाया था. लेकिन मां नहीं जा सकीं.
तीन मुद्दों पर प्रियंका-कफील के बीच हुई बात
डॉक्टर कफील खान ने कहा कि यूपी सरकार बीआरडी मेडिकल कॉलेज में हुए ऑक्सीजन कांड के बाद से मुझे परेशान कर रही है. मेरे खिलाफ 8 जांच हो चुकी है और सभी में मुझे क्लीन चिट मिल चुकी है. लेकिन न तो मेरा सस्पेंशन खत्म किया जा रहा है न ही मेरा इस्तीफा लिया जा रहा है. अगर इस्तीफा ले लिया जाए तो मैं किसी दूसरी जगह अपना काम शुरू कर सकता हूं.
प्रियंका ने यूनाइटेड नेशन को लिखे लेटर के बारे में पूछा, जो मैंने 18 सितंबर को लिखा था. उस पर हमारा डिस्कशन हुआ. मैंने बताया कि मैं सौभाग्यशाली था कि मेरे लिए हाईकोर्ट का सख्त आर्डर हुआ और मैं जेल से रिहा हो गया. साथ ही आपने भी काफी मदद की लेकिन ऐसे कई युवा और सोशल एक्टिविस्ट जेल में हैं. जिन्होंने सीएए और एनआरसी के खिलाफ आवाज उठाई और जेल में बंद है. आपको (प्रियंका) और कांग्रेस को उनके लिए आवाज उठानी चाहिए.
मैंने उन्हें अपने अगले टारगेट के बारे में बताया कि मैं बिहार और असम जो बाढ़ग्रस्त इलाके हैं, वहां जाकर कैंप लगाकर मरीजों की मदद करना चाहता हूं. जिसकी शुरुआत 2 अक्टूबर से करूंगा. प्रियंका ने कहा कि आप चाहें तो राजस्थान या फिर छत्तीसगढ़ के इलाकों में भी अपना कैंप लगा सकते है. यहां कांग्रेस की सरकार है और आदिवासी इलाकों में डॉक्टर की जरूरत भी है.
अभी राजनीति में आने का कोई इरादा नहीं
कफील खान ने कहा कि इस मुलाकात को राजनीति के नजरिए से मत देखिए. मेरी अखिलेश यादव, भाजपा के डॉक्टर हर्षवर्धन के साथ भी फोटो है. प्रियंका जी ने बुरे वक्त में मेरी मदद की, इसलिए हमारी मुलाकात हुई. जब मैं मथुरा जेल से निकला तो मेरे साथ साथ परिवार भी मेंटल ट्रामा में था. उस समय वहां से गोरखपुर 800 किमी दूर था और जयपुर घंटे भर से भी कम दूरी पर था. उन्होंने मदद की पेशकश की जिसे मैंने स्वीकार कर लिया. मैंने उनसे कहा भी आपने तब मदद की पेशकश की जब मुझे जरूरत थी.
कफील खान ने कहा कि अभी 18 सितंबर को मैंने बीआरडी मेडिकल कॉलेज, गोरखपुर के प्रिंसिपल को चिट्ठी लिखी है कि अगर मुझे मेरी जॉब वापस देते हैं तो मैं आकर अपना काम करना चाहता हूं. अभी मैं और मेरा पूरा परिवार मेंटल ट्रामा में है. मुझे जेल में इस बार मेंटल ही नही बल्कि फिजिकल टॉर्चर भी खूब किया गया. इसी वजह से जब हम मथुरा जेल से रात 12 बजे निकले तो डरे थे कि कहीं फेक एनकाउंटर न हो जाए. कहीं दूसरे केस में अंदर न कर दिया जाए. इसीलिए हमने प्रियंका गांधी का प्रपोजल भी मान लिया था. बहरहाल, अभी हम दिल्ली रुकेंगे. जब हमारा परिवार थोड़ा स्टेबल हो जाएगा तब हम यूपी लौटेंगे. एक बात और हमें यूपी लौटने से डर नहीं लग रहा है.
कफील की रिहाई के लिए कांग्रेस ने चलाया था अभियान
प्रियंका गांधी ने डॉ. कफील की रिहाई के लिए बाकायदा अभियान चलाया था. इसके साथ ही प्रियंका ने 30 जुलाई को सीएम योगी को डॉ. कफील की रिहाई के संबंध में पत्र भी लिखा था. कफील जब जेल से रिहाई हुई थी तो प्रियंका के ही कहने पर सीनियर लीडर प्रदीप माथुर और अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष शाहनवाज आलम उन्हें रिसीव करने पहुंचे थे. प्रियंका की ही सलाह पर यूपी से निकलकर कफील जयपुर पहुंच गए थे. योगी सरकार के साढ़े तीन साल के कार्यकाल में डॉ कफील को 3 बार जेल भेजा जा चुका है. इसके अलावा भी गाहे बगाहे किसी न किसी बहाने कफील चर्चा में रहते ही है. जानकारों का कहना है कि डॉ कफील अब नेशनल फेस बन चुके हैं.
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