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क्या भारतीय सैनिकों के बुलेट- प्रूफ़ जैकेट में लगते हैं चीनी सामान?

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क्या आपको पता है कि वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी सैनिकों का मुक़ाबला करने के लिए तैनात भारतीय सेना के जवान जो बुलेट-प्रूफ़ जैकेट पहनते हैं, उसमें चीन से आयातित उपकरण लगे होते हैं?

सरकार ने ही इस तरह के उपकरण और दूसरी चीजें चीन से खरीदने की अनुमति दे रखी है. इंडियन एक्सप्रेस ने एक ख़बर में कहा है कि लेह में अग्रिम पंक्ति पर तैनात सैनिकों के लिए तुरन्त 2 लाख बुलेट प्रूफ़ जैकेट व दूसरे प्रोटेक्टिव उपकरणों की ज़रूरत है. इन बुलेट प्रूफ़ जैकेट और दूसरे उपकरण बनाने वाली कंपनियाँ कच्चा माल और उपकरण चीन से खरीदती हैं. चीन से ये चीजें आयात करने वालों में वह कंपनी भी शामिल है, जिसे 2017 में 1.86 लाख बुलेट प्रूफ़ जैकेट देने का ठेका दिया गया था. वह ठेका अब पूरा होने को है और जैकेट की आपूर्ति होने वाली ही है. बुलेट प्रूफ़ जैकेट का यह 639 करोड़ रुपए का ठेका एसएमपीपी लिमिटेड को दिया गया था.

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने लोकसभा में कहा है कि सेना के लिए प्रोटेक्टिव उपकरण में चीन से आयातित कच्चे माल या उपकरण के इस्तेमाल पर रोक नहीं लगाई गई है. लेकिन अब, इस नीति पर पुनर्विचार किया जा रहा है. नीति आयोग के सदस्य व डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गनाइजेशन (डीआरडीओ) के पूर्व प्रमुख वी. के. सारस्वत ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि दूरसंचार व सैनिकों के लिए प्रोटेक्टिव उपकरण जैसे मामलों में चीनी आयात को प्रोत्साहित नहीं किया जाना चाहिए. न्होंने कहा, हमने बुलेट प्रूफ जैकेट जैसे उपकरणों में चीन से आयातित कच्चे माल के इस्तेमाल को एक साल पहले ही निरुत्साहित किया. जिस कंपनी को ठेका मिल चुका था, हमने उससे भी कहा कि वह हर चीज की जाँच ख़ुद करे.

पीएचडी चैंबर ऑफ़ कॉमर्स ने शनिवार को इस मुद्दे पर एक चिट्ठी रक्षा उत्पादन विभाग को लिखी. इसमें कहा गया है कि चीनी उत्पादों का परित्याग किया जाना चाहिए. इस ख़त में बुलेट प्रूफ़ जैकेट में इस्तेमाल होने वाले हाइ परफ़ॉर्मेंस पॉलिथिलीन (एचपीपीई) के चीन से आयात करने का मुद्दा खास तौर पर उठाया गया है. चैंबर ने चिट्ठी में कहा है कि चीन से होने वाले आयात की वजह से बहुत बड़ी रकम में विदेशी मुद्रा खर्च होती है. चीन से आयात पर रोक लगनी चाहिए ताकि हमारे सैनिकों की सुरक्षा पर कोई आँच न आए. एचपीपीई के अलावा फैब्रिक, बोरोन कार्बाइड और सेरामिक्स का आयात भी चीन से होता है, जिसका इस्तेमाल इन जैकेट में किया जाता है.

सेना को बुलेट प्रूफ़ जैकेट की आपूर्ति करने वाली कंपनी एसएमपीपी प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक एस. सी. कंसल ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, हाँ, हम इन उत्पादों के लिए चीन पर निर्भर हैं, पर हम देश की भावनाओं को समझते हुए वैकल्पिक आयात पर विचार कर रहे हैं. हम इसके लिए डीआरडीओ पर निर्भर हैं. एक दूसरे सप्लायर स्टार वायर इंडिया लिमिटेड के प्रबंध निदेशक महेंद्र गुप्ता ने भी कहा कि चीन से सामान आयात किया जाता है, पर भारतीय सैनिकों की शहादत को देखते हुए अब यह देखना होगा कि चीन से आयात की कितनी अनुमति है.

इसके पहले ही भारतीय रेलवे ने चीनी कंपनी के साथ हुए एक क़रार को रद्द कर दिया. यह क़रार 2016 में हुआ था. इससे पहले केंद्र सरकार ने बीएसएनएल से कहा था कि वह चीन में बने उपकरणों का इस्तेमाल न करे. यह क़रार चीन की कंपनी बीजिंग नेशनल रेलवे रिसर्च एंड डिजाइन इंस्टीट्यूट ऑफ़ सिग्नल एंड कम्युनिकेशन ग्रुप कंपनी लिमिटेड के साथ हुआ था. देश के कुछ हिस्सों से ख़बरें आ रही हैं कि वहाँ चीनी सामानों को नष्ट किया जा रहा है, उनकी होली जलाई जा रही है. इस सबको देखकर लगता है कि लोगों के मन में चीन के ख़िलाफ़ ज़बरदस्त गुस्सा है, क्योंकि उसने न केवल हमारी ज़मीन पर कब्ज़ा कर लिया है, बल्कि हमारे 20 से भी ज़्यादा सैनिकों को मार डाला है.

यह भी पढ़े : संसद की बहसों की गंभीरता से लिया गया होता तो चीन को लेकर गफलत न होती

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