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क्या BJP के कहने पर पेज हटाए फ़ेसबुक ने?

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फ़ेसबुक पर विवाद बढ़ता ही जा रहा है. पहले इस पर यह आरोप लगा कि भारतीय जनता पार्टी का समर्थन करता है, उसके नेताओं की हेट स्पीच नहीं हटाता है और अब नया आरोप यह लग रहा है कि इसने बीजेपी के कहने पर कुछ लोगों के फ़ेसबुक पेज को हटा दिया.
इंडियन एक्सप्रेस में छपी एक खबर के अनुसार, पिछले साल लोकसभा चुनाव के पहले जनवरी में बीजेपी ने 44 फ़ेसबुक पेजों की शिकायत यह कह कर की कि उन पर पोस्ट ‘अपेक्षित मानकों का के ख़िलाफ़’ हैं और ‘तथ्यों से परे’ हैं. उनमें से 14 पेज हटाए जा चुके हैं, वे इस समय फ़ेसबुक पर नहीं हैं.
जिन पेजों को हटाया गया है, उनमें से प्रमुख हैं ‘भीम आर्मी’, ‘वी हेट बीजेपी’, कांग्रेस का समर्थन करने वाले अनाधिकारिक पेज और ‘द ट्रुथ ऑफ़ गुजरात’. इसके अलावा पत्रकार रवीश कुमार और विनोद दुआ के पेज भी हटा दिए गए हैं. इतना ही नहीं, बीजेपी ने पिछले साल नवंबर में फ़ेसबुक इंडिया से कहा कि वह 17 पेजों को प्लैटफ़ॉर्म पर वापस ले आए. दो पेजों को मनीटाइज़ कर दे. ये पेज थे ‘द चौपाल’ और ‘ऑपइंडिया’ के. मनीटाइज करने से इन्हें अपने कंटेन्ट पर बाहर से पैसे मिलने लगते.
फ़ेसबुक ने बीजेपी के कहने पर जिन 17 पेजों को बहाल कर दिया, उनमें से ज़्यादातर कन्नड़ भाषा में हैं और उन पर पोस्टकार्ड न्यूज़ से ली गई सामग्री रहती है. पोस्टकार्ड न्यूज़ के संस्थापक महेश वी हेगड़े हैं, जिन्हें मार्च 2018 में बेंगलुरु सांप्रदायिक बैर और नफ़रत फैलाने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था. उन पर फ़ेक न्यूज प्रसारित करने का भी आरोप था. बेंगलुरु पुलिस ने यह पता लगाने की कोशिश की थी कि क्या उनके तार बीजेपी से जुड़े हुए हैं.
हेगड़े की ओर से अदालत में पेश होने वाले बीजेपी के सांसद तेजस्वी सूर्या थे. ये वही तेजस्वी सूर्या हैं, जो नफ़रत फैलाने वाले ट्वीट को लेकर विवाद में रह चुके हैं. इंडियन एक्सप्रेस का कहना है कि बीजेपी की ओर से उसके आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने फ़ेसबुक इंडिया की पब्लिक पॉलिसी निदेशक आंखी दास और शिवनाथ ठकराल को ई-मेल भेजा था. इस अख़बार का यह भी कहना है कि फरवरी 2019 में मालवीय ने ई-मेल में लिखा था कि उनकी फ़ेसबुक के अधिकारियों से बात हुई थी और वे अधिकारी बीजेपी की ओर झुकाव रखने वाले पेजों की सुरक्षा को राजी हो गए थे.
मालवीय का कहना है कि शिवनाथ ठकराल ने फ़ेसबुक इंडिया के अधिकारियों से कहा था कि बीजेपी की ओर झुकाव रखने वाले पेजों को ग़लत ढंग से निशाने पर लिया जाता है. फ़ेसबुक इंडिया के एक प्रवक्ता ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, हमारे पास क्रॉस चेक करने का एक तरीका है जिससे सामग्री से जुड़ी नीतियों को लागू करने में गलतियां कम हो जाती हैं. हमने अपनी नीतियों को सही तरीके से लागू किया है.
इसी तरह मालवीय ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, आई सपोर्ट नरेंद्र मोदी’ जैसे पेज थे जिन्हें कार्यकर्ता अपनी ओर से चलाते थे और वे डरे हुए थे कि उनके पेज को हटा दिया जाएगा. हमने फ़ेसबुक से बात की थी और कहा था कि वे अपना काम सही तरीके से करें. हम अधिक पारदर्शी प्रणाली चाहते हैं. पर फेसबुक ने कुछ दूसरा ही सोचा है.
आपको बता दे कि अमेरिकी अखबार ‘वॉल स्ट्रीट जर्नल’ ने एक ताजा रिपोर्ट में दावा किया है कि जब चुनावों में कांग्रेस की हार हुई थी तो भारत में फेसबुक के एक शीर्ष पदाधिकारी ने आंतरिक कार्यालयी संवाद में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की खूब तारीफ की थी और कहा था कि यह तीस साल की कड़ी मेहनत का परिणाम है. फेसबुक पर इस नए खुलासे पर कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने भी प्रतिक्रिया दी है.
राहुल गांधी ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय मीडिया ने भारत के लोकतंत्र और सामाजिक सद्भाव पर फेसबुक और वाट्सएप के हमले को पूरी तरह से उजागर किया है. हमारे देश के मामलों में किसी को भी हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं जा सकती है. मामले में तुरंत जांच करनी चाहिए और दोषी पाए जाने पर दंडित किया जाना चाहिए.
राहुल के अलावा कांग्रेस के अन्य नेताओं ने भी भाजपा और फेसबुक के सांठगांठ का आरोप लगाया और कहा कि विदेशी सोशल नेटर्विकंग कंपनी का कृत्य ‘डिजिटल साम्राज्यवाद’ है. पार्टी के वरिष्ठ नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि फेसबुक इंडिया से जुड़े लोगों की जांच होने तक इस कंपनी के लंबित प्रस्तावों को मंजूरी नहीं मिलनी चाहिए. कांग्रेस के आरोपों पर फेसबुक और भाजपा की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है.
बीजेपी से मिलीभगत का आरोप लगा कर फेसबुक और व्हाट्सएप पर हमले तेज करते हुए कांग्रेस ने फेसबुक के सीईओ को चिट्ठी लिखकर कानूनी कार्रवाई करने की चेतावनी दी है. प्रतिष्ठित अमरीकी पत्रिका टाइम में छपी खबर के आधार पर कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि व्हाट्सएप पर पेमेंट सुविधा का लाइसेंस पाने के लिए फेसबुक ने बीजेपी के चुनाव प्रचार से जुड़े व्यक्ति को भारत में व्हाट्सएप का आला अधिकारी बनाया हुआ है.
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