मध्य और दक्षिण एशिया की घटनाओं के लिए अमेरिका के विदेश मंत्रालय की राजदूत एलिस वेल्स ने अमेरिकी सदन में बोला है कि, अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और भेदभाव की घटनाएं, स्वयंभू गौ रक्षकों द्वारा दलितों और मुस्लिमों पर हमले जैसी घटनाएं भारत द्वारा अल्पसंख्यकों को दिए गए कानूनी संरक्षण के अनुरूप नहीं है.
दक्षिण और मध्य एशिया के मामलों के लिए अमेरिका के विदेश मंत्रालय की राजदूत ने कहा है कि भारत के साथ साझेदारी पर अमेरिका को गर्व है, उन्होंने कहा है कि भारत के संविधान के तहत धर्मनिरपेक्ष देश को सभी नागरिकों के अधिकार बरकरार रखना चाहिए. ताकि वह अपने धर्म का आजादी के साथ पालन कर सकें. जहां अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता रहती हो और कानून के दायरे में रहकर सभी के साथ समान व्यवहार किया जाता हो.
अमेरिकी सदन में एलिस वेल्स ने कहा है कि,अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और भेदभाव की घटनाएं, स्वयंभू गौ रक्षकों द्वारा दलितों और मुस्लिमों पर हमले जैसी घटनाएं भारत द्वारा अल्पसंख्यकों को प्रदत कानूनी संरक्षण के अनुरूप नहीं है.
इसके अलावा उन्होंने कहा है कि भारत में अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और भेदभाव की घटनाएं, स्वयंभू गौ रक्षकों द्वारा दलित और मुस्लिम समुदाय के लोगों के खिलाफ हमले 9 राज्यों में धर्म परिवर्तन निरोधी कानून का होना आदि अल्पसंख्यकों के खिलाफ भारत की कानूनी संरक्षण व्यवस्था का विरोधाभासी है.
उन्होंने कहा है कि अमेरिका ने भारत की सरकार से कहा है कि, वह धार्मिक स्वतंत्रता के सार्वभौमिक अधिकार को पूरी तरह कायम रखें और लोगों की रक्षा करें. इसके अंदर असम के वह 19 लाख लोग भी शामिल हैं, जिनकी नागरिकता को लेकर सवाल उठने की वजह से उन्हें राज्य से हटाए जाने का खतरा मंडरा रहा है.
इसके साथ ही अमेरिका ने भारत से कहा है कि वह हिंसा की सभी घटनाओं की निंदा करें. उन पर अंकुश लगाएं और इन घटनाओं को अंजाम देने वाले लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने के साथ-साथ उन्हें जवाबदेह ठहराए.
इसके अलावा अमेरिका ने पाकिस्तान के अंदर मानवाधिकार उल्लंघन और धार्मिक भेदभाव की खबरों पर भी चिंता जताई है. अमेरिका ने कहा है कि, पाकिस्तान में नागरिक समाज और मीडिया स्वतंत्रता के सीमित किए जा रहे दायरे को लेकर वह चिंतित है. अमेरिका ने कहा है कि हम पाकिस्तान में मानवाधिकार उल्लंघन और लोगों के साथ धर्म के आधार पर हो रहे भेदभाव को लेकर चिंतित हैं . मेरिका ने सरकार से विधि का शासन और देश के संविधान में निहित स्वतंत्रता को बरकरार रखने की अपील की है.
उन्होंने इसके अलावा कहा है कि, हाल के कुछ वर्षों में हमने पाकिस्तान में कुछ चिंताजनक चलन देखे हैं, जिनमें नागरिक समाज और मीडिया स्वतंत्रता का सीमित किया जा रहा दायरा भी शामिल है. मीडिया और नागरिक समाज पर उत्पीड़न धमकियां और वित्तीय एवं नियामक कार्रवाई करने जैसे दबाव पिछले कुछ सालों में बढ़ रहे हैं.
एलिस वेल्स ने कहा है कि, अमेरिका पाकिस्तान सरकार से विधि का शासन बरकरार रखने की अपील करता है.
गौरतलब है कि, पिछले कुछ दिनों में जम्मू कश्मीर को लेकर सरकार द्वारा लिए गए फैसले के बाद कश्मीर के लोगों के खिलाफ हिंसा की कुछ वारदातें सामने आई है. बहुत सारे लोगों ने मानव अधिकारों को लेकर आवाज उठाई है. कश्मीर को लेकर लिए गए फैसले के बाद कश्मीर पर कई तरह की पाबंदियां लगाई गई थी, हालांकि वह पाबंदियां अब धीरे-धीरे हटाई जा रही है सरकार ऐसा दवा कर रही है.
इसके अलावा अमेरिका ने जिस चीज पर चिंता जताई है वह अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमले भेदभाव और गौ रक्षकों द्वारा की जा रही हिंसा है. गौरतलब है कि पिछले कुछ सालों में भारत में ऐसी घटनाएं लगातार बढ़ रही है. गौ रक्षा के नाम पर किसी को भी मार दिया जा रहा है. चोरी के शक में किसी को भी मार दिया जा रहा है. यह हिंसा भीड़ का रूप ले चुकी है. नारे लगाकर किसी को भी मार दिया जा रहा है. देश के अंदर भी इस तरह के अपराध को अंजाम देने वालों के खिलाफ लगातार आवाज उठाई जा रही है.
पिछले दिनों कुछ हस्तियों ने इन घटनाओं के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए प्रधानमंत्री मोदी को एक पत्र लिखा था, हालांकि उस पर सरकार की तरफ से अभी तक कोई जवाब नहीं आया है. इसके उलट पत्र लिखने वालों पर राजद्रोह का मुकदमा भी दर्ज हुआ था, हालांकि उसको खारिज कर दिया गया.
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