सीकर. राजस्थान के सीकर जिले के नानी बाईपास पर सोमवार रात को हुई टैंकर व 108 एंबुलेंस की भिड़ंत में मरे एंबुलेंस चालक और नर्सिंग कर्मी का पोस्टमार्टम बुधवार को करीब 38 घंटे बाद हुआ। जिसके बाद दोनों के शव परिजनों को सौंप दिए गए। इससे पहले 50 लाख रुपए के मुआवजे व सरकारी अनुकंपा नियुक्ति की मांग को लेकर परिजन व एंबुलेंसकर्मियों का धरना मंगलवार रात को 12 घंटे के प्रदर्शन के बाद उठा। जिला प्रशासन ने कोरोना मृतकों के मुआवजे के तहत मृतकों के आश्रितों को 50-50 लाख का मुआवजा व 108 एंबुलेंस सेवा संचालित करने वाली कंपनी में एक परिजन को संविदा पर नौकरी दिलाने का आश्वासन देकर धरना खत्म करवाया। जिसके बाद ही जिले की 108 एंबुलेंस सेवाएं भी शुरू हो सकी।
दिनभर चला धरना, कई दौर की चली वार्ताइससे पहले मृतकों के परिवार के लिए मुआवजे की मांग व सरकारी नौकरी की मांग को लेकर परिजन व एंबुलेंसकर्मी दिनभर एसके अस्पताल की मोर्चरी के बाहर धरने पर बैठे रहे। जहां एंबुलेंस यूनियन के प्रदेशाध्यक्ष मुकेश सहित प्रदेश भर से एंबुलेंसकर्मी पहुंचना शुरू हो गए। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि मांग पूरी होने पर ही धरना हटाया जाएगा। सूचना पर उपखंड अधिकारी गरिमा लाटा सहित कई पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर उन्हें समझाने की कोशिश की, लेकिन कई दौर की वार्ता के बाद भी प्रदर्शनकारी टस से मस नहीं हुए। आखिरकार रात करीब 9 बजे एसडीएम लाटा ने कोरोना योद्धा मृतकों को मिलने वाले मुआवजे की राशि व परिजन को संविदा पर नियुक्ति दिलाने का आश्वासन देकर मामला शांत करवाया।
ये था मामलाजिले के सदर थाना इलाके में नानी बाइपास चौराहे पर सोमवार रात को सिहोट में हादसे के शिकार शख्स को सीकर ला रही 108 एंबुलेंस की ट्रक से भिड़ंत हो गई थी। हादसे में हादसे में एम्बुलेंस के चालक नागौर जिले के टोडास गांव निवासी अर्जुन व झुंझुनूं जिले के निवाई गांव के निवासी नर्सिंगकर्मी सुभाष की मौके पर ही मौत हो गई थी। जिनके शव रात को ही एसके अस्पताल की मोर्चरी में रखवा दिए गए। मंगलवार को सुबह दोनों मृतकों का पोस्टमार्टम होना था। लेकिन, मुआवजे व मृतकों के परिजनों का सरकारी नौकरी देने की मांग को लेकर हड़ताल कर एंबुलेंसकर्मी व मृतकों के परिजन मोर्चरी के बाहर ही धरने पर बैठ गए। जो रात करीब 9 बजे खत्म हुआ।
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