सीकर. कोरोना महामारी में अब संवेदनाओं की भी मौत हो रही है। ऐसा ही एक वाकया बुधवार को सीकर शहर में सामने आया। जहां महामारी के बीच एक व्यक्ति गुजरात से अपने घर आया था। रात को सोने के दौरान ही उसकी मौत हो गई। लेकिन, परिजनों को पता चलने पर भी कोई उसके पास नहीं आया। आठ घंटे तक उसका शव यूं ही पड़ा रहा। किसी ने कपड़ा तक नहीं डाला। बाद में नगर परिषद की गाड़ी में उसका शव ले जाकर कोरोना प्रोटोकॉल में अंतिम संस्कार किया गया।
बगीची में पड़ा रहा शवजानकारी के अनुसार मृतक कंवरपुरा रोड निवासी 46 वर्षीय महेन्द्र कुमावत था। जो गुजरात में कार्य करता था। कुछ दिन पहले ही वह वहां से आया था। महेन्द्र की अपनी पत्नी से अनबन चल रही है। ऐसे में वह अपने बच्चों के साथ पीहर उदयपुरवाटी में रह रही है। सामाजिक कार्यकर्ता शिव भगवान कुमावत ने बताया कि सुबह महेन्द्र का शव बगीची में पड़ा था। जिसकी सूचना पर लोग इक_े हो गए। आसपास के लोगों से शव की पहचान करवाई गई। सूचना पर सीआई कमल कुमार, तहसीलदार योगेश कुमार व कोतवाली थाना पुलिस भी मौके पर पहुंच गई। शिनाख्त होने पर पुलिस ने महेन्द्र की पत्नी व बेटे को इसकी सूचना दी, लेकिन उन्होंने आने से मना कर दिया। इसी बीच महेन्द्र के भाई भी पहुंच गए। जिन्होंने पुलिस से शव का पोस्टमार्टम करवाने की मांग की।
बुखार की दवा मिलने पर किया किनारा, आठ घंटे पड़ा रहा शवपुलिस ने घटना स्थल पर तलाशी ली तो शव के पास बुखार की दवा मिली। ऐसे में कोरोना संदिग्ध मानते हुए सब शव से दूर हो गए। भाइयों ने भी शव से दूरी बनाकर रखी। ऐसे में आठ घंटे तक शव ऐसे ही पड़ा रहा। बाद में नगर परिषद की टीम के सहयोग से पीपीई किट पहनकर कोरोना गाइडलाइन के अनुसार शव का अंतिम संस्कार किया गया।
संवेदनाओं की मौत: गुजरात से घर आए शख्स का खुले में पड़ा रहा शव, परिजनों ने कपड़ा तक नहीं डाला
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