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भारी पड़ गया बलात्कार का फर्जी मुकदमा दर्ज कराना, आरोपी को बरी कर कोर्ट ने महिला के खिलाफ दर्ज किया मुकदमा

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कोटा. बलात्कार का मुकदमा दर्ज करवाने के बाद कोर्ट के बाहर आरोपी के साथ समझौता करना फरियादी को खासा मंहगा पड़ गया। पॉक्सो कोर्ट ने आरोपी को साक्ष्यों के आभाव में बरी करने के साथ ही मामले को गंभीरता से लेते परिवादी के रवैये पर नाराजगी जताई और उसे मय गवाहों के तलब करने का आदेश जारी कर दिया। कोटा के सुल्तानपुर थाने में 19 जनवरी को महिला ने मुकदमा दर्ज कराते हुए गांव तालाब खतौली निवासी राकेश उर्फ रिंकू पर बलात्कार करने का आरोप लगाया था। महिला ने रिपोर्ट दर्ज कराते हुए पुलिस को बताया कि 18 जनवरी को रात करीन नौ बजे शौच के लिए बाहर गई थी। जहां आरोपी ने उसके साथ बलात्कार किया। उसके चीखने चिल्लाने की आवाज सुनकर पति मौके पर पहुंचे उससे पहले ही आरोपी भाग निकला। महिला के बयानों के आधार पर पुलिस ने रिंकू के खिलाफ चालान पेश कर दिया। पीडि़ता ने 161, 164 के बयान में बलात्कार की बात कही। मामला कोर्ट में पहुंचा तो नौ गवाहों के बयान लेखबद्ध किए गए, लेकिन अदालती कार्रवाई के दौरान महिला की जब गवाही हुई तो वह बलात्कार की घटना से मुकर गई। इतना ही नहीं उसने आरोपी के साथ कोर्ट के बाहर राजीनामा कर लेने की जानकारी भी दी।
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चिकित्सीय जांच में भी नहीं हुई पुष्टिबचाव पक्ष के वकील ने कोर्ट को बताया कि उनके मुवक्किल को झूठे मामले में फंसाया गया है। जिसकी पुष्टि चिकित्सीय जांच के दौरान भी हुई है। बचाव पक्ष की ओर से अदालत में पेश की गई मेडिकल रिपोर्ट में बलात्कार या किसी तरह की जबरदस्ती करने की पुष्टि नहीं हुई है। साक्ष्यों के आभाव और फरियादी के बयानों से पलटने के कारण पॉक्सो कोर्ट ने आरोपी राकेश उर्फ रिंकू को बरी कर दिया।
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महिला को किया तलबपूरे मामले को प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल अफेंसेस (पॉक्सो) कोर्ट पूरे मामले को बेहद गंभीरता से लेते हुए महिला को झूठे साक्ष्य देने और फर्जी मामला दर्ज कराने का आरोपी मानते हुए नया मामला दर्ज कर 21 सितम्बर को कोर्ट में तलब किया है। इतना ही नहीं न्यायालय ने विशिष्ट लोक अभियोजक को पैरवी करने व गवाहों की लिस्ट प्रस्तुत करने के भी आदेश दिए हैं।

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