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कोरोना ने बनाया कर्जदार, प्रदेश के लोगों ने लिया सात हजार करोड़ ज्यादा लोन

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सीकर.कोरोना की दूसरी लहर ने प्रदेश के लोगों की सेहत के साथ आर्थिक स्थिति पर भी बड़ा हमला किया है। स्कूल-कॉलेज बंद होने से कोई बेरोजगार हो गया तो किसी का लॉकडाउन की वजह से शहर छूटने से रोजगार भी छीन लिया। कई परिवारों की आर्थिक हालात पर कोरोना सहित अन्य बीमारियों ने जंजीरे डाल दी। इस वजह से पिछले साल के मुकाबले इस वित्तिय वर्ष में राजस्थान के लोगों ने सात हजार करोड़ रुपए का ज्यादा लोन लिया है। बैकिंग सेक्टर से जुड़े एक्सपर्ट ने बताया कि लोन के जरिए युवाओं ने रोजगार हासिल करने की सबसे ज्यादा कोशिश की है। पिछले वित्तिय वर्ष में राजस्थान के लोगों ने जहां 334524 करोड़ का लोन लिया। वहीं वित्तिय वर्ष 2020-21 में राजस्थान के लोगों ने 368832 करोड़ का लोन लेकर नई राहे तलाशी है। इधर, केन्द्रीय वित्त मंत्री की ओर से सोमवार को घोषित नए पैकेज से बेरोजगारों के साथ उद्यमियों की फिर आस जगी है। बैकिंग क्षेत्र के जानकारों का कहना है कि सोमवार को घोषित पैकेज से पर्यटन सेक्टर को फायदा मिल सकेगा।
एक्सपर्ट व्यू:कोरोनाकाल में उद्योगों को संजीवनी देने के लिए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंको ने सभी एमएसएमई इंटरप्राइजेज को उनकी लिमिट के 20 प्रतिशत तक इमरजेंसी क्रेडिट की सुविधा दी। कृषि क्षेत्र, स्वयं सहायता समूह व पेंशनर्स के लिए भी लोन की नई योजनाओं का संचालन किया गया। इसका लोगों ने काफी फायदा उठाया है। बैंको ने अपनी ब्याज दर को रेपो रेट के साथ लिंक किया जो की वर्ष 2000 के बाद सबसे कम है। सबसे ज्यादा युवा वर्ग ने नए रोजगार हासिल करने और भवन निर्माण सहित अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए लोन लिया है। कोरोनाकाल में केन्द्र सरकार की ओर से अनुदान की नई योजनाओं का संचालन भी किया गया। इससे कइ लोगों ने अपनों की बीमारी के उपचार में भी पैसा खर्च किए जाने का अनुमान है।सुधेश पूनियां, बैंकिंग विशेषज्ञ
केस एक: पिता बीमार हुए तो गोल्ड बना सहारा
जयपुर निवासी रविन्द्र कुमार के पिता मई महीने के आखिर में बीमार हो गए। उपचार में 30 लाख से अधिक का खर्चा आ गया। ऐसे में परिजनों ने चर्चा कर गोल्ड लोन लिया। एक्सपर्ट का कहना है कि कोरोनाकाल में प्रदेश के ज्यादातर शहरों में गोल्ड लोन 15 से 25 फीसदी ज्यादा हुए है।
केस दो: बाजार में उधारी अटकी, दुबारा काम शुरू करने के लिए लोनपिछले लॉकडाउन में सीकर की एक फर्म की लगभग तीन करोड़ की बाजार में उधारी फंस गई। लॉकडाउन के बाद काम शुरू करना चुनौती बन गया। केन्द्र सरकार की नई योजना के तहत उद्यमी ने 20 फीसदी तक लोन लिया। प्रदेश में इस तरह का लोन लेनी वाली कंपनियों की संख्या 2100 से ज्यादा है।
केस तीन: कॉलेज बंद लेकिन फीस तो चुकानी पड़ीझुंझुनूं निवासी एक विद्यार्थी ने डॉक्टरी की पढ़ाई के लिए विदेश में दाखिला लिया। पिछले लॉकडाउन के बाद मेडिकल कॉलेज ने सभी विद्यार्थियों को अपने-अपने घर भेज दिया। तभी से ऑनलाइन पढ़ाई जारी है। परिवार की आमदनी कम होने की वजह से मजबूरन एज्युकेशन लोन लेना पड़ा। कन्सलटेंट के अनुसार शेखावाटी के 65 से अधिक विद्यार्थियों ने विदेश से पढ़ाई के लिए एज्युकेशन लोन लिया है।
केस चार: किसी ने मकान तो किसी ने कार के लिए लिया लोनलॉकडाउन की वजह से लोगों की जीवनशैली भी बदली है। हर्ष इलाके के एक सरकारी स्कूल के शिक्षक पहले टैक्सी के जरिए स्कूल जाते थे। लेकिन अब कोरोना की भय की वजह से ज्यादातर ने लोन के जरिए कार ले ली। इसी तरह लोगों ने सुरक्षा के हिसाब से खुद का अलग मकान भी ले लिया। कार व मकान लोन के मामले में भी औसत 30 फीसदी का इजाफा हुआ है।

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