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कांग्रेस 2024 लोकसभा चुनाव में डूबने की जगह तैर जाएगी

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कांग्रेस 2024 के बाद हुए पिछले 2 लोकसभा चुनाव हारी है और वह भी बुरी तरीके से हारी है. आने वाले लोकसभा चुनाव 2024 में होगा, उसमें अभी 3 साल का समय बचा हुआ है. गोदी मीडिया के सहयोग से बीजेपी के प्रचार प्रसार में पिछले 7 साल से कोई कमी नहीं रही है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नाकामियों के पहाड़ पर खड़े होकर अपने आप को दुनिया का सबसे लोकप्रिय नेता बता पा रहे हैं तो यह सब सिर्फ गोदी मीडिया के सहयोग से ही संभव हो पाया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता निश्चित तौर पर पिछले 3 सालों में कम हुई है. 2019 से पहले भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता कुछ खास नहीं थी. लेकिन मीडिया के सहयोग से लोकसभा चुनाव जीत लिया.
नाकामियों के बाद भी बीजेपी की कामयाबी का रहस्य?
गोदी मीडिया बीजेपी का एजेंडा आगे बढ़ाने का काम करता है. आजादी के बाद ऐसा कभी नहीं हुआ कि देश के ही दो राज्य आपस में लड़ रहे हो और यह लड़ाई वहां तक पहुंच गई कि 2 राज्यों की पुलिसकर्मी आपस में भिड़ गए, जिसमें 6 पुलिसकर्मी मारे गए. यह निश्चित तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार की नाकामी है और यह निश्चित तौर पर गृह मंत्री अमित शाह की नाकामी को उजागर करता है. लेकिन गोदी मीडिया गृह मंत्री अमित शाह को सरदार पटेल के समकक्ष बताता रहा है गृह मंत्री के तौर पर.
इससे पहले दिल्ली में भी दंगे हुए थे. उस समय भी गृह मंत्री अमित शाह की जिम्मेदारी तय नहीं की गई थी. उस समय भी गोदी मीडिया द्वारा गृह मंत्री अमित शाह से सवाल नहीं किए गए थे. देश में लगातार हो रही हिंसा और अब 2 राज्यों की आपस में टकराहट यह साबित करने के लिए काफी है कि बीजेपी देश की आंतरिक सुरक्षा को लेकर भी गंभीर नहीं है. बीजेपी से देश की आंतरिक सुरक्षा भी संभल नहीं रही है.
बीजेपी की सरकार खुद की आलोचना करने वालों के खिलाफ तो एक्शन लेने में बिल्कुल भी देरी नहीं करते सरकार के खिलाफ लिखने वालों पर तुरंत रासुका लगा दी जाती है लेकिन आंतरिक सुरक्षा को लेकर जहां जरूरत है वहां ध्यान देने में यह सरकार पूरी तरीके से विफल साबित हुई है. आंतरिक मुद्दों को संभालने में गृह मंत्री अमित शाह पूरी तरीके से फेल साबित हुए हैं. वह कांग्रेस की पिछली सरकारों की आलोचना करके अभी तक अपनी सरकार की नाकामियों को छुपाने की कोशिश कर रहे हैं.
दो राज्य सीमा विवाद को लेकर आपस में इस क़दर उलझे हुए हैं, लेकिन इस मुद्दे पर गोदी मीडिया द्वारा कोई प्राइम टाइम नहीं किया जा रहा है, कोई दंगल नहीं हो रहा है, कोई भी देश की सबसे बड़ी बहस नहीं हो रही है. और ना ही आरपार हो रहा है गोदी मीडिया पर. और ऐसा सिर्फ इसलिए हो रहा है, क्योंकि दोनों ही राज्यों में बीजेपी की सरकार है और केंद्र में भी बीजेपी की सरकार है. अगर दोनों में से किसी एक राज्य में भी कांग्रेस की सरकार होती तो गोदी मीडिया अभी तक तांडव कर रहा होता, गांधी परिवार को गुनाहगार साबित कर चुका होता, कांग्रेस को देश तोड़ने वाला बता चुका होता.
लेकिन गोदी मीडिया इस वक़्त खामोश है. क्योंकि यहां गलती प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की, गृहमंत्री अमित शाह की और भाजपा की सरकारों की है और जहां पर गलती बीजेपी से जुड़े हुए लोगों की, सरकारों की होती है वहां गोदी मीडिया खामोशी अख्तियार कर लेता है. देश के अंदर महंगाई अभी तक का रिकॉर्ड तोड़ चुकी है. पेट्रोल और डीजल के दाम आम आदमी की कमर तोड़ रहे हैं. लेकिन गोदी मीडिया इसको लेकर भी प्रधानमंत्री मोदी और बीजेपी की सरकार से सवाल नहीं कर रही है. चाहे कोरोना के दौर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार की नाकामियों हो या फिर महंगाई का मुद्दा हो रोजगार का मुद्दा हो गोदी मीडिया इन मुद्दों को दबा ले जाती है.
कांग्रेस डूबने की जगह कैसे तैर जाएगी!
राहुल गांधी ने पिछले 7 साल में हर मुद्दे पर मोदी सरकार को घेरा है. लेकिन राहुल गांधी को मीडिया का साथ नहीं मिला, कांग्रेस के नेताओं का भी साथ उन्हें कम ही मिला है. कांग्रेस के अंदर तमाम ऐसे नेता मौजूद हैं जो सिर्फ पद पर बने रहना चाहते हैं मेहनत नहीं करना चाहते. कांग्रेस पार्टी के अंदर तमाम ऐसे नेता मौजूद हैं, जो संघ के समर्थक हैं, जिनकी बीजेपी नेताओं से सांठगांठ है. ऐसे नेताओं को ढूंढ कर पहचानना होगा और उनकी जगह विचारधारा के लिए जीने मरने वाले कार्यकर्ताओं की पहचान कर जिम्मेदारी देनी होगी.
कांग्रेस पार्टी के अंदर विचारधारा के लिए जीने मरने वालों को तवज्जो मिलने लग जाएगी तो कॉन्ग्रेस डूबने की जगह तैर जाएगी. कांग्रेस पार्टी के अंदर कई ऐसे मठाधीश हैं जो विचारधारा के लिए जीने मरने वालों को आगे नहीं आने देना चाहते हैं. क्योंकि उनकी कुर्सी खतरे में पड़ जाएगी. ऐसी मठाधीशो की पहचान करनी होगी और उन्हें मार्गदर्शक मंडल में डालना होगा. कांग्रेस पार्टी के अंदर कई ऐसे नेता है जो बड़े पदों पर हैं और वह कांग्रेस की मौजूदा स्थिति को देखते हुए पहले भी पाला बदल चुके हैं और आगे भी बदल सकते हैं. ऐसे लोगों की पहचान करके उनसे सतर्क रहना होगा.
कांग्रेस की वर्किंग कमेटी में कई ऐसे नेता मौजूद हैं जो जमीन पर संघर्ष नहीं करते. राहुल गांधी जिन मुद्दों को उठाते हैं, उन मुद्दों पर भी वह राहुल गांधी का साथ नहीं देते. ऐसे लोगों की पहचान करनी होगी. कांग्रेस की वर्किंग कमेटी के अंदर संघर्षशील और विचारधारा के लिए जीने मरने वाले हर तबके, हर जाति, हर धर्म के युवाओं को जगह देनी होगी, जिम्मेदारी देनी होगी, पद देना होगा.
वर्किंग कमेटी के अंदर समाज के हर वर्ग को प्रतिनिधित्व देना होगा. जिससे देश के अंदर संदेश जाए कि कांग्रेस पार्टी के अंदर सभी धर्म और सभी जाति के लोगों को बराबर जगह दी जाती है, जिम्मेदारी दी जाती है, प्रतिनिधित्व दिया जाता है. निचले स्तर से लेकर शीर्ष तक जिसको भी जिम्मेदारी दी जाए, उस पर बराबर नजर रखी जाए. हर 15 दिन में या फिर 1 महीने में रिपोर्ट तलब की जाए, टारगेट दिया जाए. कांग्रेस पार्टी के अंदर अधिकतर पदों पर ऐसे लोग हैं जो अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन नहीं कर रहे हैं, ऐसे लोगों की पहचान की जाए.
जिनको जिम्मेदारी दी जाए उनके काम का फीडबैक लगातार लिया जाए. कांग्रेस के तमाम नेताओं और बड़े पदों पर बैठे लोगों को फील्ड में उतारा जाए, गांव गांव भेजा जाए. लोगों को जोड़ने की जिम्मेदारी दी जाए. कांग्रेस के बड़े नेता गांव-गांव जाएंगे और लगातार लोगों से मिलेंगे तो पब्लिक कांग्रेस से कनेक्ट होगी. मोदी सरकार की नाकामियों को उजागर करने में कांग्रेस का साथ मीडिया नहीं दे रही है.
लेकिन नेता अगर खुद बाहर निकलेंगे, गांव-गांव जाएंगे, सड़कों पर दिखाई देंगे, लोगों से बात करेंगे, मोदी सरकार की नाकमियां उनके सामने रखेंगे, तो मीडिया की जरूरत ही नहीं पड़ेगी कांग्रेस को. लेकिन यह कार्यक्रम बड़े स्तर पर और लगातार करना होगा. जनता को खुद से जोड़ना है तो घर घर जाकर जनता को देश की मौजूदा परिस्थिति से अवगत कराना होगा, जनता को क्या नुकसान हो रहा है यह बताना होगा.
खुद के दम पर वापसी, जरिया गांधी परिवार (Gandhi Family) ?
अगर 2024 में कांग्रेस को सत्ता में वापसी करनी है और अपने खुद के दम पर ही सरकार बनानी है, तो ‘गांधी परिवार’ (Gandhi Family) के किसी एक सदस्य या तो वह सदस्य राहुल गांधी हो या फिर प्रियंका गांधी, पूरे देश की यात्रा पर निकलना होगा. अगर राहुल गांधी या फिर प्रियंका गांधी 2024 से पहले ‘देश के भ्रमण’ पर निकलते हैं और जनता के बीच अधिकतर समय व्यतीत करते हैं तो यह निश्चित तौर पर कांग्रेस के लिए संजीवनी साबित होगा.
राहुल गांधी या फिर प्रियंका गांधी को पूरे देश की यात्रा करते हुए ‘गांव-गांव’, ‘गली-गली’ तक घूमना होगा. जनता से अगर सीधा जुड़ाव गांधी परिवार (Gandhi Family) के सदस्य का होता है तो निश्चित तौर पर कांग्रेस की वह वापसी होगी जो खुद कांग्रेस ने नहीं सोची होगी. अभी भी गांधी परिवार (Gandhi Family) की लोकप्रियता कम नहीं है. बस गांधी परिवार (Gandhi Family) के खिलाफ लोगों के मन में जहर भर दिया गया है, भाजपा के द्वारा मीडिया के सहयोग से और आरएसएसएस के संगठन के दम पर.
लेकिन गांधी परिवार (Gandhi Family) के खिलाफ जो जहर देश की जनता के अंदर डाला गया है वह अस्थाई है. लंबे समय से गांधी परिवार (Gandhi Family) के सदस्यों का सीधा संपर्क जनता से टूटा हुआ है. अगर यह फिर से जुड़ता है तो उस जहर को निकलने में समय नहीं लगेगा. और अगर यह जहर जनता के दिलों दिमाग से निकल जाता है. तो निश्चित तौर पर कांग्रेस को सहयोगीयों की भी जरूरत नहीं पड़ेगी. केंद्र में आश्चर्यजनक ढंग से कांग्रेस खुद के दम पर सत्ता में वापसी कर जाएगी.
देश की जनता के दिलों दिमाग में बार-बार झूठ बोलकर यह बात बैठाई गई है कि कांग्रेस पार्टी लुटेरी पार्टी है गांधी (Gandhi Family) परिवार चोर है. अगर गांधी परिवार (Gandhi Family) सीधे जनता के बीच जाता है, उनकी बात सुनता है, अपनी बात उनके सामने रखता है, तो निश्चित तौर पर जनता एक बार फिर से कांग्रेस की तरफ और गांधी परिवार (Gandhi Family) की तरफ देखने लगेगी.
कांग्रेस के नेता और गांधी परिवार (Gandhi Family) के सदस्य अगर जनता के बीच जाकर यह बताते हैं कि जो लोग हमें चोर और लुटेरा बताते हैं, भ्रष्टाचारी (Corrupt) बताते हैं, वह लोग 7 साल से सत्ता में है लेकिन कांग्रेस के एक भी बड़े नेता को आज तक जेल में नहीं डाल पाए, गांधी परिवार (Gandhi Family) के एक भी सदस्य को भ्रष्टाचारी साबित नहीं कर पाए, अंदर नहीं कर पाए. तो निश्चित तौर पर जनता पर इसका असर होगा.
मीडिया की असलियत जनता के बीच रखने की जरूरत
गोदी मीडिया पिछले 7 सालों से यह प्रचारित कर रही है कि मोदी का विकल्प मौजूद नहीं है देश में. आखिर मोदी का विकल्प क्यों चाहिए देश को? प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कार्यकाल के दौरान ऐसा कौन सा काम किया है जिसको लेकर यह कहा जाए कि उनको फिर से प्रधानमंत्री बनना चाहिए या फिर उनके विकल्प की तलाश करनी चाहिए?
क्या जो महंगाई बढ़ा रहा है उसकी जगह जो आए और अधिक तेजी से महंगा बढ़ाएं इसलिए विकल्प की तलाश होनी चाहिए? जिसने रोजगार देने की जगह करोड़ों रोजगार छीन लिया, जिसके कार्यकाल में लगभग 135 करोड़ में से 80 करोड़ लोग इतने अधिक गरीब हैं कि उनको 5 किलो राशन देने की जरूरत पड़ जाए ऐसे व्यक्ति की विकल्प की तलाश होनी चाहिए?
जिसने प्रचार करने पर ही अपना सारा समय व्यतीत कर दिया, क्या ऐसे व्यक्ति के विकल्प की तलाश होनी चाहिए? जो व्यक्ति अपनी आलोचना तक बर्दाश्त नहीं कर पा रहा है ऐसे व्यक्ति के विकल्प की तलाश होनी चाहिए? मुद्दे बहुत है जहां प्रधानमंत्री मोदी फेल है, इतिहास प्रधानमंत्री मोदी को एक नाकाम प्रधानमंत्री के तौर पर याद करेगा यही सच है. प्रधानमंत्री जो कुछ भी है मीडिया के दम पर है.
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