मध्य प्रदेश में होने वाले विधानसभा के उप-चुनाव में कांग्रेस ने अपने से अलग हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को घेरने की रणनीति पर काम करना शुरू कर दिया है.
इसके लिए राहुल गांधी के करीबियों को चुनाव प्रचार के मैदान में उतारा जा सकता है. राज्य में होने वाले विधानसभा के उप-चुनाव सियासी तौर पर कांग्रेस के पूर्व नेता और वर्तमान में भाजपा के सांसद ज्योतिरादित्यसिंधिया के लिए सबसे अहम माने जा रहे हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि उन्होंने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामा तो कमल नाथ की सरकार गिर गई और भाजपा को फिर से सत्ता संभालने का मौका मिला.
राज्य में जिन 28 विधानसभा सीटों पर उप-चुनाव होने वाले हैं उनमें से 16 सीटें ग्वालियर-चंबल इलाके से आती हैं और इन क्षेत्रों की हार-जीत सिंधिया के राजनीतिक भविष्य से जुड़ी हुई है. ऐसा इसलिए, क्योंकि ग्वालियर-चंबल इलाके को सिंधिया का प्रभाव क्षेत्र माना जाता है. पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को इस इलाके में भारी बढ़त मिली थी.
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि पार्टी ने सिंधिया को घेरने के लिए युवाओं की टीम चुनाव प्रचार में उतारने का मन बनाया है. इस टीम में राहुल गांधी के करीबियों में शामिल सचिन पायलट, आर.पी.एन सिंह, जितेंद्र सिंह सहित कई युवा नेताओं को प्रचार में आगे किया जा सकता है. कांग्रेस युवा नेताओं की जरिए सिंधिया को घेरना चाहती है और उसके लिए कभी सिंधिया के करीबी रहे साथी सबसे ज्यादा उपयोग के लायक लग रहे हैं.
सूत्रों के मुताबिक, बीते रोज प्रदेशाध्यक्ष कमल नाथ के दिल्ली दौरे के दौरान भी चुनाव प्रचार की रणनीति पर चर्चा हुई है. राज्य में कई विधानसभा क्षेत्रों में गुर्जर मतदाता है और वे चुनावी नतीजों को भी प्रभावित करते है. लिहाजा कमल नाथ चाहते हैं कि पायलट को उप-चुनाव के प्रचार में उनका उपयोग किया जाए. कमल नाथ पायलट को प्रचार के लिए राज्य में लाकर दूसरे नेताओं के प्रभाव को भी पार्टी के भीतर कम करना चाह रहे हैं.
सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस में सचिन पायलट की पहचान उर्जावान और अपनी बात को बेवाक तरीके से कहने वाले नेता की तो है ही, साथ ही आमजन के बीच भी पायलट को पसंद किया जाता है. सिंधिया के जाने से कांग्रेस को नुकसान हुआ है, उप-चुनाव में सिंधिया के प्रभाव को रोकने में कांग्रेस का नए और चमकदार चेहरे का उपयोग कारगर हो सकता है. कांग्रेस अगर ऐसा करने में सफ ल होती है तो चुनाव और भी रोचक हो जाएंगे.
कांग्रेस से जुड़े सूत्रों का कहना है कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सियासत के नए समीकरण बन रहे हैं. प्रदेशाध्यक्ष कमल नाथ चाहते हैं कि राज्य के उन नेताओं को ही सक्रिय किया जाए जो उनके करीबी हैं, वही दूसरे राज्यों के उन नेताओं को राज्य में प्रचार के लिए भेजा जाए जिनकी राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से नजदीकियां हैं. कुल मिलाकर राज्य में आगामी विधानसभा के उपचुनाव में नई कांग्रेस देखने को मिल सकती है. वैसे भी उपचुनाव के लिए पार्टी हाईकमान ने चार सचिवों की पहले ही तैनाती की है और वे कमल नाथ के साथ पार्टी हाईकमान के बीच रहकर चुनावी रणनीति को जमीनी स्तर पर उतारने में लगे हैं.
इसके अलावा आपको बता दे कि ज्योतिरादित्य सिंधिया हिसाब बराबर करने के लिए कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी भी उनके गढ़ में आ रही हैं. कांग्रेस की तरफ से प्रियंका गांधी का कार्यक्रम कुछ इस तरह से तैयार किया जा रहा है कि 1 तीर से 2 निशाना साधा जा सके. प्रियंका गांधी दतिया जिले में स्थित पीतांबरा देवी के दर्शन के लिए आ रही हैं. पीतांबरा पीठ ग्वालियर-चंबल संभाग में आता है. इस दौरान वह यहां स्थानीय नेताओं से भी मुलाकात और रोड शो करेंगी.
दरअसल, ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस छोड़ने के बाद गांधी परिवार पर कई आरोप लगाए थे. इस उपचुनाव में बीजेपी से ज्यादा ज्योतिरादित्य सिंधिया की प्रतिष्ठा दांव पर है. क्योंकि इस बार के लोकसभा चुनाव में वह गुना-शिवपुरी से हार गए थे. 22 विधायकों के साथ बगावत कर उन्होंने एमपी में कमलनाथ की सरकार गिरा दी है. ज्योतिरादित्य सिंधिया का प्रभुत्व सबसे ज्यादा ग्वालियर-चंबल संभाग में ही हैं. ग्वालियर-चंबल में 16 विधानसभा सीट पर उपचुनाव है. कांग्रेस सिंधिया के गढ़ में घेराबंदी की तैयारी कर रही है.
कांग्रेस ने इस इलाके में चुनाव प्रचार को लेकर राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट को भी न्यौता भेजा है. सचिन ने प्रचार के लिए सहमति भी दे दी है. अब प्रियंका गांधी को एमपी कांग्रेस ने बुलावा भेजा है. प्रियंका गांधी अपने एमपी दौरे के दौरान राजस्थान के रास्ते प्रदेश में प्रवेश करेंगी. अभी तक की जानकारी के अनुसार प्रियंका गांधी का कार्यक्रम मुरैना, ग्वालियर और डबरा होते हुए दतिया पहुंचने का है.
प्रियंका गांधी अपने दौरे के दौरान 6 विधानसभा क्षेत्रों से होते हुए दतिया स्थित पितांबरा पीठ पहुंचेंगी. इस दौरान वह रास्ते में कांग्रेस कार्यकर्ताओं से मिलते हुए आएंगी. इन छह विधानसभा क्षेत्रों में उपचुनाव है. ऐसे में प्रियंका गांधी का यहां रोड शो काफी मायने रखता है. क्योंकि इस इलाके में महाराज का अच्छा-खासा प्रभाव है. 2018 के विधानसभा चुनाव में भी राहुल गांधी ने पितांबरा देवी से आशीर्वाद लेकर चुनावी अभियान की शुरुआत की थी.
गांधी परिवार को पता है कि एमपी सरकार ज्योतिरादित्य सिंधिया की वजह से ही गिरी है. कांग्रेस भी उसी हिसाब को चुकता करने लिए प्रियंका को उनके क्षेत्र में उतारने की तैयारी कर रही है. हालांकि ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़ने के बाद प्रियंका गांधी ने कभी उनके ऊपर सीधा हमला नहीं किया है. ग्वालियर-चंबल में मजबूत नेतृत्व के संकट से जूझ रही कांग्रेस को प्रियंका गांधी से नई उम्मीद है. हालांकि अभी उनके आने की तारीख पक्की नहीं हुई है.
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कांग्रेस ने बनाई रणनीति, मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया को घेरने की तैयारी
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