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कांग्रेस को कांग्रेस के नेता और सलाहकार ही खत्म कर रहे हैं,गांधी परिवार को धोखा देकर

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इसमें कोई संदेह नहीं है कि, कांग्रेस एक लोकतांत्रिक पार्टी है. जहां सभी की राय ली जाती है और सभी लोगों की सुनी जाती है और उसी हिसाब से फैसले लिए जाते हैं.

बात महाराष्ट्र चुनाव के बाद हो रही उठापटक की की जाए तो महाराष्ट्र में भाजपा सरकार बनाने में नाकामयाब हो चुकी थी. उसके ठीक बाद राज्यपाल ने शिवसेना को समय दिया सरकार बनाने के लिए, हालांकि समय थोड़ा कम था, लेकिन समय इतना पर्याप्त तो जरूर था कि जिन से गठबंधन हो रहा था उनका समर्थन लिया जा सके. लेकिन बात नहीं बन पाई और शिवसेना सरकार बनाने में नाकाम हो गई.

उसके ठीक बाद राज्यपाल ने मौका दिया एनसीपी को. शिवसेना को दिए गए समय और एनसीपी को दिए गए समय को मिला दिया जाए तो आप ही तालमेल बिठाकर गठबंधन करना है यह नहीं करना है या फैसला लेने के लिए पर्याप्त समय था. एनसीपी को आज यानी 8:30 बजे तक का समय दिया गया था, लेकिन राज्यपाल की अनुशंसा पर मोदी कैबिनेट ने महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगाने की मंजूरी एनसीपी को दी गई डेडलाइन या नहीं 8:30 बजे के पहले ही दे दी है.

इसमें राज्यपाल को या फिर मोदी सरकार को दोष देने से कोई फायदा नहीं होने वाला है. गलती कांग्रेस एनसीपी और शिवसेना की है. अगर भाजपा को रोकना था तो बिना सोचे समझे एक दूसरे का समर्थन कर देना था और सरकार बना लेनी थी. वह सरकार चाहे 1 महीने चलती , 6 महीने चलती या पूरे 5 साल चलती वह फैसला बाद में करना था, पहला मकसद भाजपा को रोक कर खुद सरकार बनाना होना चाहिए था.

शिवसेना को जब राज्यपाल द्वारा सरकार बनाने का निमंत्रण मिला उस समय भी कॉन्ग्रेस सोचती रह गई और शिवसेना का समय निकल गया इसके बाद एनसीपी को सरकार बनाने का मौका मिला उस समय भी कांग्रेस सोचती रह गई कि शिवसेना के साथ सरकार बनानी है या नहीं उसके पहले ही मोदी कैबिनेट में राष्ट्रपति शासन की मंजूरी दे दी है महाराष्ट्र में.

कॉन्ग्रेस शीर्ष नेतृत्व के चारों तरफ जो सिपाह सलाहकार हैं वह या तो मौजूदा दौर की राजनीति समझ नहीं पा रहे हैं, वह आज भी पुराने दौर में जी रहे हैं या फिर वह जानबूझकर कांग्रेस को सत्ता से दूर रखना चाह रहे हैं, वह जानबूझकर कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को धोखा दे रहे हैं.

कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को पता होना चाहिए और कांग्रेस के सिपहसालार कारों को पता होना चाहिए कि आज देश की आधी से अधिक जनता चाह रही थी कि भाजपा को रोककर महाराष्ट्र में गैर भाजपा सरकार कांग्रेस के समर्थन से बन जाए, लेकिन कांग्रेस के सिपाह सलाहकारों ने सोचने समझने में देरी करके या फिर जानबूझकर देश की आधी से अधिक आबादी की उम्मीदों पर पानी फेरने का काम किया है.

कांग्रेस के अंदर सभी लोगों की सुनी जाती है यह बात सभी को पता है, कांग्रेस का शीर्ष नेतृत्व सभी लोगों की सुनकर ही फैसला लेता है, यह बात सभी को पता है. लेकिन जिनकी सुनी जा रही है, जो लोग सुना रहे हैं क्या वह लोग इस लायक हैं की उन से सलाह ली जाए ? इस बारे में कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को सोचना होगा आगे से.

शिवसेना ने कोर्ट में याचिका दायर की है राष्ट्रपति शासन की मंजूरी को लेकर और शिवसेना को दिए गए कम समय को लेकर. हां इस पर बात जरूर हो सकती है कि शिवसेना को कम समय दिया गया राज्यपाल की तरफ से और भाजपा को अधिक समय दिया गया, लेकिन मोदी कैबिनेट द्वारा राष्ट्रपति शासन की मंजूरी पर कोई सवाल खड़े नहीं हो सकते क्योंकि एनसीपी और शिवसेना को मिलाकर पर्याप्त समय मिला था. तीनों पार्टियों के पास पर्याप्त समय था कि आपसी सामंजस्य बिठाकर महाराष्ट्र के अंदर गैर भाजपा सरकार दे सकें.

आज कांग्रेस के समर्थक और दूसरी क्षेत्रीय पार्टियों के समर्थक लगातार यह उम्मीद लगाए बैठे रहते हैं कि, भाजपा को किसी तरीके से सत्ता से दूर रखा जाए. या तो क्षेत्रीय पार्टियां सरकार बना ले या फिर कांग्रेस सरकार बना ले या फिर गठबंधन की सरकार बने. लेकिन लगातार कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को सलाह देने वाले देश की आधे से अधिक आबादी की उम्मीदों पर पानी फेरने का काम कर रहे हैं. अगर ऐसा ही चलता रहा तो कुछ समय बाद कांग्रेस के बारे में सोचने वाले कांग्रेस के बारे में लड़ने वाले ढूंढने से भी नहीं मिलेंगे.

अगर महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लग जाता है कुछ समय के लिए तो यह मानकर चलना होगा कि उसके ठीक बाद चुनाव होगा और भाजपा की सरकार बनेगी और इसके लिए अगर कोई सबसे ज्यादा जिम्मेदार होगा तो एनसीपी और कांग्रेस पार्टी होगी और कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को सलाह देने वाले लोग होंगे.

कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को सलाह देने वालों में कई नाम ऐसे हैं जो देश के किसी भी क्षेत्र से एक ग्राम सरपंच का चुनाव तक नहीं जीत सकते और आज वह लोग जनता की उम्मीदों पर पानी फेरते हुए कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को गलत सलाह देकर भाजपा को लगातार सत्ता में बने रहने का मौका दे रहे हैं.

महाराष्ट्र में राष्ट्रपति शासन लगे या ना लगे या फिर कांग्रेस से गठबंधन करके एनसीपी और शिवसेना सरकार बना ले, लेकिन जिस तरीके की सुस्ती कांग्रेस बरत रही है कांग्रेस को फिर से अपनी राजनीति के बारे में सोचना होगा, कांग्रेस जिनसे राय ले रही है उन नेताओं के बारे में सोचना होगा.

कांग्रेस के लिए यह पहला मौका नहीं था. इससे पहले गोवा सहित तमाम राज्यों में कांग्रेस पार्टी देख चुकी थी अपनी सुस्ती का नतीजा. उसके बाद भी कांग्रेस समझने के लिए तैयार नहीं है तो इसमें भाजपा को दोष देना अमित शाह को दोष देना और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दोष देना बिल्कुल गलत होगा.

अगर आप मौका चूक जाएंगे तो दूसरे उस मौके का फायदा जरूर उठाएंगे, इसलिए किसी को दोष देने से कोई फायदा नहीं है गलती कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व की है कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व को सलाह देने वालों की है और शरद पवार की पार्टी की है.

यह भी पढ़े : मुद्दों पर पिछड़ती कांग्रेस.

Thought of Nation राष्ट्र के विचार
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