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चिता पहले ही सजा दी, ताकि अंतिम समय में समय ना लगे

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सीकर. आपने स्वागत-सत्कार के लिए तोरण द्वार और मंडप सजा हुआ देखा होगा, दुल्हन के लिए डोली भी सजी हुई देखी होगी। …लेकिन कोरोनाकाल का यह दृश्य रोंगटे खड़़ कर देने वाला है। श्मशान में इस तरह चिताएं सजी हुई पहली बार देखी होगी। यह दृश्य रामलीला मैदान के पीछे स्थित ‘धर्माणाÓ बगीची श्मशान घाट का है। जहां दाह संस्कार के लिए 16 प्लेटफार्म बने हुए हैं। उन सब पर पहले से ही लकडिय़ां रख दी गई हैं। ताकि शव के आते ही ज्यादा समय नहीं लगे और तुरंत ही दाह संस्कार किया जा सके। यहां करीब 800 शवों के अंतिम संस्कार के लिए लकडिय़ों का स्टॉक किया गया है। कोरोना से मरने वालों का शव लाने के लिए अलग से एक गाड़ी भी तैयार की है। पीपीई किट व सेनेटाइजर समेत अन्य इंतजाम भी किए गए हैं।शव लाने के लिए मोक्ष वाहिनी की व्यवस्थाकोरोना संक्रमित शव को श्मशान घाट तक लाने के लिए भी परिजनों को परेशान नहीं होना पड़ेगा। इसके लिए मोक्ष वाहिनी की व्यवस्था की गई है। केवल फोन पर सूचना देने पर मोक्ष वाहनी को वहां भेजकर शव को मंगवाया जा सकेगा। इसके लिए कोई शुल्क भी तय नहीं है। इसके अलावा अंतिम संस्कार के लिए पानी के पूलों का ट्रक भी मंगवाया गया है। इस ट्रक में करीब आठ सौ पानी के पुले आए हैं।बॉडी फ्रीज की भी व्यवस्थाश्मशान घाट में शव रखने के लिए बॉडी फ्रीज की भी व्यवस्था की गई है। रात के समय शव को रखने के लिए डीप फ्रीज को श्मशान घाट से ले जाया जा सकता है। लाने और ले जाने की जिम्मेदारी संबंधित व्यक्ति के परिजनों को निभानी होगी।लकडिय़ों का भारी स्टॉकश्मशान घाट में लकडिय़ों का भी भारी स्टॉक किया गया है। इन लकडिय़ों की प्रतिदिन आरामशीन से कटाई की जाती है। श्मशान घाट की व्यवस्थाओं का जिम्मा संभालने वाले शिव धाम धर्माणा चेरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष कैलाश तिवाड़ी बताते हैं कि श्मशान घाट में वर्तमान में करीब आठ सौ शव जलाने तक की लकडिय़ों का स्टॉक है।

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