कपिल सिब्बल और गुलाम नबी आजाद सरीखे नेताओं ने पार्टी की लगातार हो रही हार पर मीडिया में आकर बयान बाजी की है और पार्टी के अंदर ब्लॉक स्तर से लेकर जिला स्तर तक चुनाव कराकर संगठन को मजबूत करने की बात की है. उनका कहना यह है कि वह “विद्रोही” नहीं है बल्कि “सुधारवादी” है.
इसी बीच छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. सोशल मीडिया पर पोस्ट के माध्यम से भूपेश बघेल ने लिखा है कि- अभी कुछ लोगों ने हमारी कांग्रेस पार्टी को लेकर सार्वजनिक बयान दिए हैंं. कांग्रेस पार्टी एक “विचार” है और “विचार” का कोई “ढांचा” नहीं होता, “नींव” होती है. और कांग्रेस पार्टी की यह नींव करोड़ों कार्यकर्ताओं के खून-पसीने से सिंचित हुई है और होती रहती है.
अपने अगले ट्वीट में भूपेश बघेल ने लिखा है कि- जो भी लोग व्यवस्था/ढांचा/नेतृत्व परिवर्तन जैसे विषय उठा रहे हैं, उन्होंने अभिव्यक्ति का ग़लत मंच चुना है. लेकिन समय की जरूरत है कि हम सभी हर दिन सड़क पर लाठी/डंडे खाकर, खून-पसीना बहाकर, “आइडिया ऑफ इंडिया” को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हमारे कार्यकर्ता साथियों के साथ सड़क पर हाथ में तिरंगा और कांग्रेस का झंडा थामकर खड़े हों. तब समझ में आएगा कि दिक्कत न नींव में है, न ढांचे में.
जो भी लोग व्यवस्था/ढांचा/नेतृत्व परिवर्तन जैसे विषय उठा रहे हैं, उन्होंने अभिव्यक्ति का ग़लत मंच चुना है।
लेकिन समय की जरूरत है कि हम सभी हर दिन सड़क पर लाठी/डंडे खाकर, खून-पसीना बहाकर, “आइडिया ऑफ इंडिया” को बचाने की लड़ाई लड़ रहे हमारे कार्यकर्ता साथियों के साथ..
— Bhupesh Baghel (@bhupeshbaghel) November 23, 2020
आपको बता दें कि पिछले कुछ महीनों से कई वरिष्ठ कांग्रेसी नेता पार्टी में बदलाव की मांग कर रहे थे, लेकिन अब बिहार चुनाव में मिली हार के बाद पहले कपिल सिब्बल फिर पी. चिदंबरम और अब गुलाम नबी आजाद ने पार्टी के काम करने के तरीके पर सवाल खड़े किए हैं. गुलाम नबी आजाद का कहना है कि ब्लॉक स्तर से लेकर कांग्रेस प्रेसिडेंट तक का चुनाव पार्टी के अंदर होना चाहिए.
जितने लोग भी मीडिया में आकर इंटरव्यू दे रहे हैं कांग्रेस पार्टी से, अगर वह सभी लोग कांग्रेस पार्टी का भला चाह रहे हैं तो आखिर दिक्कत क्या है? आपको बता दें कि गुलाम नबी आजाद ने कहा है कि, पार्टी में फाइव स्टार कल्चर स्टार्ट हो चुका है. राहुल गांधी (Rahul Gandhi) के जो करीबी नेता है, K.C. वेणुगोपाल राव, रणदीप सुरजेवाला, राजीव सातव, मानिक टैगोर, आर. पी. एन. सिंह, जितिन प्रसाद, माना जा रहा है कि फाइव स्टार कल्चर से आने वाले नेताओं की तरफ इशारा गुलाम नबी आजाद का इन्हीं के लिए है.
बता दें कि इसी साल मार्च 2020 में जब राज्यसभा की सीटें आई थी, तब सोनिया गांधी ने कर्नाटक से मल्लिकार्जुन खड़गे को राज्यसभा का उम्मीदवार बना दिया था. इसके पीछे कांग्रेस पार्टी का तर्क यह था कि, फरवरी 2021 में गुलाम नबी आजाद का कार्यकाल पूरा हो रहा है. और ऐसे में एक वरिष्ठ नेता को विपक्ष का नेता राज्यसभा में पार्टी की तरफ से बना दिया जाएगा. बताया जा रहा है कि इसी फैसले के चलते आनंद शर्मा तथा गुलाम नबी आजाद सरीखे नेता पार्टी से नाराज चल रहे है.
क्योंकि ऐसा माना जा रहा था कि गुलाम नबी आजाद जब इस पद को छोड़ेंगे तब आनंद शर्मा को राज्यसभा में पार्टी की तरफ से नेता बनाया जाएगा. लेकिन ऐसा होता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है, वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी भी संभवत इन्हीं घटनाओं पर आधारित है. जानकारी निकलकर तो यह भी आ रही है कि, यह सभी वरिष्ठ कांग्रेसी नेता मिलकर राहुल गांधी को फिर से अध्यक्ष बनने से रोकना भी चाह रहे हैं. इसीलिए ब्लॉक स्तर से लेकर प्रेसिडेंट लेवल तक का चुनाव कराने की मांग हो रही है.
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