- Advertisement -
HomeRajasthan NewsSikar newsकृषि नीति में हो बदलाव

कृषि नीति में हो बदलाव

- Advertisement -

स्वतंत्रता के पश्चात भारत की कृषि नीति लाभ व लोभ आधारित रही। जिसके चलते भारत की परंपरागत व जैविक खेती को अत्यधिक नुकसान हुआ है। वहीं, रासायनिक खेती को बढ़ावा मिलने पर रोगों की भी बाढ़ सी आ गई है। आज भी यूरिया डीएपी पर सरकार सब्सिडी देकर इसको बढ़ावा दे रही है। जो परंपरागत जैविक खेती को नुकसान पहुंचाने के साथ आमजन के स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालने वाली नीति है। सरकार को परंपरागत जैविक खाद व गोपालन को बढ़ावा देने की सोच व नीति विकसित करनी चाहिए। जो जमीन की उर्वरा शक्ति व आमजन के स्वास्थ्य दोनों के लिए परम आवश्यक व लाभदायक है। मौजूदा विरोधी नीति की वजह से गोपालन पशुपालन व्यवसाय भी लगभग खत्म हो रहा है। जो समाज को घातक परिस्थितियों की ओर धकेल रहा है। सरकार को चाहिए कि वह यूरिया पर सब्सिडी बंद कर गोपालन पर सब्सिडी देना शुरू करे। ताकि गोपालन व जैविक खेती दोनों के साथ स्वास्थ्य को भी लाभ पहुंचे। आज कृषि को पारंपरिक और जैविक पद्धति में लाने की परम आवश्यकता है। अधिकतम उत्पादन व लाभ कमाने के फेर में हमारी कृषि व्यवस्था को हमसब ने मिलकर विकृत कर दिया है। जिसका परिणाम ही कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी का समाज में लगातार पैर पसारते हुए विकराल रूप धारण करना है। जरूरत है कि जल्द ही सरकार जागे और जैविक खेती व गोपालन को बढ़ावा व व्यवहारिक धरातल पर उतारने के लिए कोई व्यवहारिक राष्ट्रीय कानून लाए। जिसमें जैविक खेती के साथ-साथ देसी गाय के गोबर से किचन गार्डन की परंपरा शुरू करने का भी प्रावधान हो।
पुरुषोत्तम शर्मा कंचनपुर स्वदेशी जागरण मंच सीकर

- Advertisement -
- Advertisement -
Stay Connected
16,985FansLike
2,458FollowersFollow
61,453SubscribersSubscribe
Must Read
- Advertisement -
Related News
- Advertisement -