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राजस्थान में आज भी बरसात की संभावना, यहां ज्यादा असर

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सीकर. राजस्थान में बरसात का दौर बुधवार को भी जारी रहेगा। मौसम विभाग व स्काईमेट वेदर रिपोर्ट के अनुसार मौजूदा मौसमी तंत्र की वजह से प्रदेश में बुधवार को भी हल्की से मध्यम दर्जे की बरसात होगी। जिसका असर पूर्वी राजस्थान में ज्यादा रहेगा। मौसम विज्ञान केंद्र जयपुर के अनुसार बुधवार को पूर्वी राजस्थान के जयपुर, उदयपुर, भरतपुर, कोटा व अजमेर तथा पश्चिमी राजस्थान के जोधपुर व बीकानेर संभाग में हल्की से मध्यम दर्जे की बरसात हो सकती है। अजमेर, बांसवाड़ा, बारां, भीलवाड़ा, बूंदी, चित्तोडगढ़़, जयपुर, डूंगरपुर, झालावाड़, कोटा, प्रतापगढ़, राजसमन्द, सवाईमाधोपुर, टोंक, सिरोही व उदयपुर जिलों में बादलों की गरज के साथ बिजली चमकती भी दिखाई दे सकती है।
देश में यहां बरसात के आसारस्काईमेट वेदर रिपोर्ट के अनुसार बुधवार को राजस्थान के पूर्वी इलाकों में हल्की से मध्यम बरसात के अलावा पश्चिमी हिस्सों में हल्की बरसात हो सकती है। इसके अलावा बिहार, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश के बच्चों के लिए झारखंड, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, पूर्वोत्तर भारत, सिक्किम में हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है। महाराष्ट्र, दक्षिण गुजरात, तटीय कर्नाटक के कुछ हिस्सों, केरल, लक्षद्वीप, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, आंध्र प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों, तटीय ओडिशा और गंगीय पश्चिम बंगाल में हल्की से मध्यम तथा जम्मू कश्मीर, लद्दाख, तमिलनाडु और रायलसीमा में हल्की बारिश के आसार हैं।
ये है मौसमी तंत्रस्काईमेट वेदर रिपोर्ट के अनुसार तेलंगाना और इससे सटे मराठवाड़ा और विदर्भ पर बना हुआ डिप्रेशन कमजोर होकर कम दबाव का क्षेत्र बन गया है और अब यह मराठवाड़ा और महाराष्ट्र के आसपास के हिस्सों पर है। चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र उत्तर-पूर्व और इससे सटे पूर्वी मध्य बंगाल की खाड़ी पर बना हुआ है। इस चक्रवाती परिसंचरण के प्रभाव से 28 सितंबर की शाम तक कम दबाव का क्षेत्र बनने की संभावना है। मॉनसून की ट्रफ रेखा जैसलमेर, उदयपुर, इंदौर, कम दबाव वाले क्षेत्र के केंद्र जगदलपुर, कलिंगपट्टनम और पूर्व दक्षिण पूर्व की ओर पूर्व मध्य बंगाल की खाड़ी से गुजर रही है। चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र पूर्वोत्तर अरब सागर के ऊपर बना हुआ है। एक पूर्व पश्चिम ट्रफ रेखा उत्तरी कोंकण और गोवा से मराठवाड़ा और विदर्भ के आसपास के हिस्सों पर बने हुए कम दबाव के क्षेत्र से जुड़े चक्रवाती परिसंचरण तक फैली हुई है।

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