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केंद्र सरकार ने किया राज्यों से धोखा

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश के अटॉर्नी जनरल के मत का हवाला देते हुए पिछले हफ्ते कहा था कि Consolidated Fund of India (CFI) से GST राजस्व के नुकसान के लिए राज्यों को क्षतिपूर्ति करने के लिए कानून में कोई प्रावधान नहीं था.
हालांकि, Comptroller and Auditor General (CAG) ने पाया है कि सरकार ने खुद साल 2017-18 और 2018-19 में सीएफआई में जीएसटी क्षतिपूर्ति सेस के 47,272 करोड़ रुपये को बरकरार रखते हुए कानून का उल्लंघन किया और अन्य चीजों के लिए रकम का इस्तेमाल किया. इसके कारण साल के लिए राजस्व प्राप्तियों की अधिकता और राजकोषीय घाटे को कम किया गया.
कैग ने बताया, सेस कलेक्शन और जीएसटी कंपन्सेशन सेस फंड में इसके ट्रांसफर से जुड़े ऑडिट परीक्षण की जानकारी (स्टेटमेंट 8, 9 और 13) से पता चलता है कि GST Compensation Cess फंड में कम रकम थी, क्योंकि साल 2017-18 और 2018-19 के दौरान कुल 47,272 करोड़ रुपए ही उसमें थे.
कैग ने केंद्र सरकार के खातों पर अपनी रिपोर्ट में कहा, कम रकम जमा किया जाना (शॉर्ट क्रेडिटिंग) GST Compensation Cess Act, 2017 का उल्लंघन था. GST Compensation Cess Act के प्रावधानों के मुताबिक, पूरे साल के दौरान जुटाया गया सेस नॉन-लैप्लेबल फंड (GST Compensation Cess Fund) में जमा करना जरूरी होता है. यह जनता के खाते का एक हिस्सा होता है और यह राजस्व के नुकसान के लिए राज्यों को क्षतिपूर्ति करने के लिए विशेष रूप से इस्तेमाल किया जाता है.
हालांकि, जीएसटी कंपन्सेशन फंड में पूरी जीएसटी सेस की रकम ट्रांसफर करने के बजाय सरकार ने इसे सीएफआई में बनाए रखा और अन्य उद्देश्यों के लिए इसका इस्तेमाल किया. रिपोर्ट विस्तृत तौर पर बताती है, 2018-19 के दौरान फंड में 90 हजार करोड़ रुपए ट्रांसफर करने का बजट प्रावधान था और राज्यों को मुआवजे के रूप में एक समान रकम का बजट रखा गया था. हालांकि, साल भर के दौरान 95,081 करोड़ रुपए जीएसटी कंपन्सेशन सेस के तौर पर इकट्ठा किए गए, पर डिपार्टमेंट ऑफ रेवेन्यू ने सिर्फ 54,275 करोड़ रुपए फंड में ट्रांसफर किए.
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