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कोरोना काल में निजी बैंकों में बढ़े, सरकारी बैंकों में घटे ठगी के केस

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अजय शर्मासीकर. आपने एटीएम से पैसे निकाले ही नहीं और 50 हजार रुपए पार होने का मोबाइल पर मैसेज आता है। कभी चेक के जरिए ठगी के मामले सामने आते हैं। इस तरह की ठगी के मामलों पर कोरोना की वजह से ठगों का भी सोशल डिस्टेंस बना हुआ है। आरबीआई की सालाना रिपोर्ट के हिसाब से औसत देश में चेक, एटीएम सहित अन्य तरीके से औसत 318 अरब से ज्यादा की हर साल ठगी होती है। लेकिन इस साल बैंकों के साथ उपभोक्ताओं को भी कोरोना ने थोड़ी राहत दी है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 35 फीसदी तक इस तरह के मामलों में कमी आई है। लेकिन चिन्ताजनक बात यह है कि निजी क्षेत्र के बैंकों में 21 फीसदी तक इस तरह के मामले बढ़े है। आरबीआई ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि बैकिंग सिस्टम में लगातार बदलाव कर अपग्रेड किया जा रहा है। लेकिन उपभोक्ताओं का जागरूक होना भी बेहद जरूरी है।
राजस्थान में हर साल 800 से अधिक मामलेराजस्थान में हर साल साईबर तरीके से ठगी के मामले बढ़ते जा रहे हैं। एक्सपर्ट का कहना है कि ठगों की ओर से उपभोक्ताओं की लापरवाही का फायदा उठाया जाता है। इसलिए अनजान व्यक्ति को कभी ओटीपी नहीं बताए। अपने एटीएम आदि के पासवर्ड भी किसी के साथ शेयर नहीं करें।
इधर, शेखावाटी में ज्यादातर मामले क्लोन बनाकर पैसे निकालने के
पिछले एक साल में एटीएम के क्लोन बनाकर राशि निकालने 80 से अधिक मामले पुलिस तक भी पहुंचे है। जबकि पिछले साल यह आंकड़ा 120 से अधिक था। कोरोना का असर यहां भी कम हुआ है। पुलिस की जांच में सामने आया क
आरबीआई ने यह जारी किए आंकड़े:
सार्वजनिक बैंक 2018-19 2019-20 2020-21
फर्जीवाड़े के मामले 3,704–4,410–2903रकम जो ठगी गई: 642.7 अरब—1482.24 अरब–819 अरब
निजी बैंक:फर्जीवाड़े के मामले: 2,149–3,065—3710
रकम जो ठगी गई: 58.09 अरब–342.11 अरब–463.35 अरबफॉरेन बैंक:
फर्जीवाड़े के मामले: 762–1026–521रकम जो ठगी गई: 9.55 अरब–9.72 अरब–33.15 अरबऐसे समझिए पूरा गणित
कुल मामले:वर्ष 2018-19: 6798
वर्ष 2019-20: 8703वर्ष 2020-2021: 7363
कुल फर्जीवाड़े की राशि: अरब में
वर्ष 2018-19: 715. 34 अरब
वर्ष 2019-20: 1854. 68 अरब
वर्ष 2020-2021: 1384. 22 अरब
 
कार्ड/ इंटरनेट के जरिए फ्रॉड के मामले2018-19:
मामले: 1866राशि: 71 करोड़
2019-20:
मामले: 2677राशि: 129 करोड़
2020-21:
मामले: 2545राशि: 119 करोड़
चेक के जरिए तीन सालों में 378 करोड़ का फ्रॉड
चेक के जरिए फर्जीवाड़े का खेल थम नहीं रहा है। पिछले तीन वर्षो में चेक के जरिए 378 करोड़ का फ्रॉड होने का मामला सामने आया है। आरबीआई की सालाना रिपोर्ट में बताया कि वर्ष 2018-19 में 213 मामलों के जरिए 243 करोड़ का फ्रॉड हुआ। जबकि वर्ष 2019-20 में मामलों में जरूर बढ़ोतरी हुई लेकिन राशि में गिरावट हुई। इस साल 223 मामलों के जरिए 46 करोड़ का फ्रॉड हुआ। वर्ष 2020-21 में 177 मामलों के जरिए 89 करोड़ का फ्रॉड सामने आया।
आरबीआई ने फर्जीवाड़ा कम करने के लिए यह उठाए कदम-चेक क्लीयरिंग मे पॉजिटिव पे सिस्टम सिस्टम शुरू किया गया। इससे जारीकर्ता टोल फ्री नंबर पर चेक में भरी गई कुछ सूचना जैसी चेक जारी करने की तिथि, जारीकर्ता का नाम आदि बैंक को मैसेज के जरिए भेजता है। चेक क्लियर करते समय बैंक अधिकारी जारीकर्ता की ओर से भेजी गई सूचना का मिलान करता है। इसके बाद ही भुगतान किया जाता है।-चेक क्लीयरिंग के लिए ऑनलाइन पोर्टल चेक ट्रंक्सन सिस्टम चालू किया गया जिसमे चेक की डिजिटल इमेज क्लियर होने वाले ब्रांच मे जाती है।
-क्रेडिट व डेबिट कार्ड से पैसे निकालने की सीमा ग्राहक की ओर से तय की जाने व ग्राहक खुद ऑनलाइन भुगतान की सेवाएं भी तय कर पाने जैसे सुविधाएं इस वर्ष मे दी गई।-इंटरनेट बैंकिंग के माध्यम से ग्राहक कभी भी सेवाओं को बंद और चालू कर सकता है।
एक्सपर्ट व्यू:
सार्वजनिक क्षेत्र की बैंको ने आरबीआई द्वारा लागू सभी बदलावो को लागू किया व इनके बारे मे ग्राहकों को जागरूक किया। इसके साथ ही अपने डिजिटल प्लेटफार्म मे भी नए सेफ्टी फीचर जोड़ कर लेन-देन को सुरक्षित बनाया। इसकी वजह से फ्रॉड के मामलों में कर्मी दर्ज हुई है।सुधेश पूनियां, बैंकिंग विशेषज्ञ

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