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अशोक गहलोत की नसीहत पर भड़के कैप्टन अमरिंदर

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पंजाब में कांग्रेस पार्टी ने भले ही नेतृत्व परिवर्तन कर दिया हो लेकिन हालात अभी भी सामान्य नहीं हुए हैं. पार्टी के नेताओं के बीच टकराव और टीका टिप्पणी का सिलसिला अभी थमा नहीं है. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Ashok Gehlot) की नसीहत पर कैप्टन अमरिंदर (Captain Amarinder) ने नाराजगी जाहिर की है.
इंडिया टीवी चैनल से बात करते हुए पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री ने अशोक गहलोत की सलाह पर कहा कि वो अपना राजस्थान देखें, पंजाब की चिंता न करें. हमें पता है कि पंजाब के साथ क्या करना है. अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि गहलोत मेरे अच्छे दोस्त हैं, चुनाव में जिस कमेटी ने टिकट दिए थे, वो इसके चेयरमैन थे.
कैप्टन ने कहा कि गहलोत बहुत अच्छे इंसान हैं लेकिन उन्हें अपनी परेशानियों को देखना चाहिए, पूरे देश में तीन कांग्रेस शासित राज्य बचे हैं, उनमें से भी पंजाब को खराब किया जा रहा है. बताते चलें कि गहलोत ने कहा था कि उम्मीद है कि कैप्टन ऐसा कोई कदम नहीं उठाएंगे जिससे कांग्रेस को नुकसान हो. उल्लेखनीय है कि पंजाब में कांग्रेस के अंदर की कलह सतह पर आने से पहले पहले राजस्थान के अंदरखाने की नाराजगी भी बाहर आई थी.
कैप्टन अमरिंदर से जब आगामी विधानसभा चुनावों में कांग्रेस की जीत की संभावनाओं पर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि पहले पंजाब कांग्रेस में दो ग्रुप माने जाते थे. एक अमरिंदर सिंह का ग्रुप कहते थे और दूसरे में चरणजीत चन्नी, सुखजिंदर जैसे लोगों का था लेकिन मौजूदा स्थिति में पार्टी के अंदर 6 ग्रुप बन गए हैं. ऐसे में अगर इसी तरह से बिखराव होता रहा तो नतीजे कुछ भी हो सकते है.
सिद्धू को आक्रामक व्यक्ति बताते हुए कैप्टन ने कहा कि पार्टी को लगता है कि पंजाब उनके बगैर नहीं चल सकता. जबकि सच्चाई ये है कि पंजाब को चलाने के बजाय सिद्धू उसे खराब करके जाएगा. कांग्रेस के खिलाफ बागी तेवर अख्तियार कर चुके कैप्टन ने साफ कहा है कि अगर 2022 के विधानसभा चुनावों में नवजोत सिंह सिद्धू कांग्रेस का चेहरा होते हैं तो वह इसका विरोध करेंगे.
कैसी कुर्बानी की बात कर रहे हैं कैप्टन?
कैप्टन अमरिंदर सिंह घोषित तौर पर 2017 में ही आखिरी पारी खेल रहे थे, लेकिन अब तो एक्सटेंडेड वारंटी के साथ मार्केट में उतर गये लगते हैं और खुद ही अपने इरादे भी साफ कर देते हैं, आप 40 साल की उम्र में बुजुर्ग हो सकते हैं और 80 साल की उम्र में युवा. कैप्टन की ये बात ये तो साफ कर ही देती है कि वो हथियार डालने के मूड में कतई नहीं हैं. अभी वो एक और जंग लड़ने के लिए तैयार हैं. तब भी जबकि कांग्रेस नेतृत्व ने जंग के लिए जरूरी सारे साजो सामान की सप्लाई काट दी है.
पहले कैप्टन के कट्टर राजनीतिक विरोधी नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का प्रधान बना दिया और फिर कैप्टन से मुख्यमंत्री की कुर्सी भी ले ली. गांधी परिवार के साथ ऐसे ही दो-दो हाथ कैप्टन को 2017 के चुनावों में भी करने पड़े थे, लेकिन वो जूझते रहे. जब लगा कि गांधी परिवार उनकी बात सुनने वाला नहीं तो ऐसे व्यवहार करने लगे थे कि सोनिया गांधी के सलाहकार और करीबी नेताओं को लगा कि कैप्टन कांग्रेस को तोड़ कर अपनी नयी पार्टी बना सकते हैं. यही वो बिंदु रहा जब गांधी परिवार ने कैप्टन को कमान के साथ साथ फ्रीहैंड भी दे डाला था.
जब कैप्टन अपने मिशन में जुटे तो उसे धारदार बनाने के लिए चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर को हायर कर लिया और गांधी परिवार ने इस बार सबसे पहला वार वहीं किया जो कैप्टन का सबसे मजबूत पक्ष रहा प्रशांत किशोर. प्रशांत किशोर को इस बार भी कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सलाहकार के तौर पर नियुक्त किया था, लेकिन जैसे ही गांधी परिवार से बातचीत आगे बढ़ी उनकी तरफ से पहला झटका कैप्टन को ही मिला. प्रशांत किशोर ने पत्र लिख कर धन्यवाद देते हुए कैप्टन को साफ कर दिया कि इस बार वो अपनी सेवाएं नहीं दे पाएंगे.
जब कैप्टन ने प्रशांत किशोर को सलाहकार बनाया था, तब वो पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी के लिए तृणमूल कांग्रेस का कैंपेन संभाल रहे थे और मामला 50-50 पर चल रहा था. जब ममता बनर्जी जीत गयीं और प्रशांत किशोर उनके लिए राष्ट्रीय स्तर पर विपक्ष को एकजुट करने लगे तो गांधी परिवार ने मिलने के लिए बुला लिया और एक ही मुलाकात में प्रशांत किशोर के कांग्रेस ज्वाइन करने के कयास लगाये जाने लगे थे. अब तो सुनने में आ रहा है कि उनकी भूमिका और पोस्ट भी करीब करीब फाइनल है, लेकिन कुछ कांग्रेस नेताओं के विरोध के बावजूद सोनिया गांधी को अंतिम फैसला लेना है.
कैप्टन के मीडिया सलाहकार रवीन ठुकराल ने ट्विटर पर उनका बयान जारी किया है. ट्वीट के मुताबिक, कैप्टन ने राहुल गांधी और प्रियंका गांधी दोनों को अपने बच्चों जैसा बताया है और शायद इसीलिए वो उनको किसी काम के काबिल नहीं मानते. कैप्टन अमरिंदर सिंह का कहना है, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा के पास अनुभव नहीं है और उनके सलाहकार बहका रहे हैं. कैप्टन ने सोनिया गांधी के व्यवहार से भी नाराजगी जतायी है.
कैप्टन अमरिंदर सिंह का कहना है कि चुनाव जीतने के बाद वो पद छोड़ने को तैयार थे, लेकिन हार के बाद तो वो ऐसा कभी नहीं करेंगे. कैप्टन अमरिंदर सिंह का कहना है कि सोनिया गांधी से वो पहले ही कह चुके थे कि पंजाब चुनाव जीतने के बाद वो मुख्यमंत्री पद किसी और के लिए छोड़ देंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और यही वजह है कि वो अब अपने तरीके से लड़ाई लड़ने को तैयार बता रहे हैं.
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