सीकर. कहते हैं कि इंसान हालातों के आगे मजबूर हो जाता है। लेकिन बेरी गांव की संतोष खेदड़ (Sikar Farmer Santosh Khedar) ने हालातों के सामने मजबूत होने की मिसाल पेश की है। जिसे खराब माली हालात से उबरने के लिए कभी अपनी इकलौती भैंस तक बेचनी पड़ी थी। पर वही संतोष अब बागवानी में नवाचार से ढाई लाख रुपए महीना कमा रही है। यही नहीं महज पांचवी तक पढ़ी संतोष अपनी मेहनत के बूते नर्सरी व रिसर्च सेंटर खोलने के साथ कृषि वैज्ञानिक की पदवी भी हासिल कर चुकी है। हजारों किसानों को जैविक उत्पादन का प्रशिक्षण देने के अलावा वह अब वेबसाइट के जरिये भी लोगों को खेती के गुर सिखा रही है।
गरीबी में बेची भैंस, कर्ज लेकर शुरू की बागवानी1990 में विवाह के बाद से ही संतोष देवी की जिंदगी गरीबी में जकड़ी रही। दो बेटी व एक बेटे की मां के लिए होमगार्ड में नियुक्त पति के तीन हजार रुपए के वेतन से घर चलाना नामुमकिन हो गया था। इसी बीच बचपन से खेतीबाड़ी करने वाली संतोष ने नवाचारी बागवानी करने की योजना बनाई। इसके लिए उसने अपनी इकलौती भैंस को 20 हजार रुपए में बेचने के अलावा एक लाख रुपए का कर्ज लिया। फिर नलकूप लगाकर उद्यान विभाग से सिंदूरी अनार के 220 पौध ली। बिजली नहीं होने पर जनरेटर लेकर उसके लिए कई किमी दूर से सिर पर केरोसिन का केन तक लेकर आती। तीन साल की मशक्कत के बाद संतोष को 2011 में पहली पैदावार से तीन तथा 2012 में पांच लाख रुपए सालाना आय हुई। जो लगातार बढ़ती हुई अब 30 लाख तक पहुंच गई।
2013 में शुरू किया रिसर्च सेंटर, उगा दिए हिमाचल के सेवउत्पादन से हौंसला बढऩे पर संतोष ने 2013 में गांव में शेखावाटी कृषि फार्म व उद्यान नर्सरी रिसर्च सेंटर की शुरूआत की। पति रामकरण ने भी होमगार्ड से इस्तीफा देकर संतोष के साथ पौध व शोध शुरू किया। जिसके बाद जैविक खाद तैयार कर संतोष ने ङ्क्षसदुरी अनार के अलावा कागजी नींबू, सेव, अमरूद, आम, चिकू कालापती, थाई बेर गोला, थाई बेर रेड, बीलपत्र, किन्नू, पपीता, मौसमी, ड्रेगन फू्रट व नागपुरी संतरे की पौध भी तैयार करना शुरू कर दिया। हिमाचल का हरमन सेव भी संतोष ने 50 डिग्री तापमान में तैयार कर दिया। कृषि में स्नातक के बाद संतोष की छोटी बेटी व बेटा भी अब संतोष की काम में मदद करने लगे हैं।
बेटी को दहेज में दिए 551 पौधे, 500 महिलाओं को सिखाई बागवानीसंतोष देवी महिला सशक्तीकरण की नायाब नजीर है। दहेज विरोधी संतोष ने बड़ी बेटी की शादी में कन्यादान में 551 पौधे तथा बारातियों को नेग के दो- दो पौधे भेंट किए। बागवानी के प्रशिक्षण में भी महिलाओं को ज्यादा तवज्जो देते हुए वह अब तक 500 से ज्यादा महिलाओं को बागवानी के गुर सिखा चुकी है।
तीन राज्य स्तरीय अवार्ड कृषि में नवाचार के चलते संतोष 2013 में राज्य स्तरीय पुरस्कार तथा 2016 में कृषि वैज्ञानिक की पदवी हासिल कर चुकी है। इसी साल एग्रो मीट में तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे व केंद्रीय मंत्री वैंकयानायडू से सम्मानित होने सहित संतोष 2018 में मुंबई में भी राज्य स्तरीय सम्मान से नवाजी जा चुकी है।
गरीबी में बेचनी पड़ी थी भैंस, अब पांचवी पास संतोष कमाती है ढाई लाख रुपए महीना
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