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निराश्रित बच्चों को पालने वाले प्रदेश की 95 से अधिक संस्थाओं के अनुदान पर नियमों का ब्रेक

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सीकर.निराश्रित व दिव्यांग बच्चों को पालने वाली संस्थाओं के हक पर सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के नियमों की वजह से ब्रेक लग गया है। दरअसल, अब विभाग ने मुख्यालय स्तर के बजाय जिला स्तर से ही अनुदान राशि स्वीकृत करने के आदेश जारी किए है। लेकिन पिछले एक साल से बकाया राशि को लेकर कोई आदेश नहीं दिए गए है। इस कारण प्रदेश की ९५ से अधिक सामाजिक संस्थाओं का पैसा अटका हुआ है। इस कारण सामाजिक संस्थाओं के संचालकों की ओर से लगातार मुख्यालय पर चक्कर लगाए जा रहे हैं। लेकिन वहां से कोई जवाब नहीं मिल रहा है। कई जिलों की सामाजिक संस्थाओं ने अब हाथ खड़े करने की तैयारी कर ली है। सामाजिक संस्था संचालकों की पीड़ा है कि बिना पैसे कैसे इन बच्चों को पालन करें। कई सामाजिक संस्था संचालकों को मजबूरी में लोन या उधार लेकर काम चलाना पड़ रहा है। जयपुर, जोधपुर सहित सात जिलों के प्रतिनिधिमंडल ने इस मामले में निदेशक को भी पीड़ा बताई है।
पहले यह व्यवस्था:पहले प्रदेश की सभी सामाजिक संस्थाओं को जिला अधिकारी व जिला कलक्टर कार्यालय की टीम की ओर से निरीक्षण कराकर हर महीने रिपोर्ट भिजवानी होती थी। इसके आधार पर मुख्यालय की ओर बजट जारी किया जाता है। हर साल मार्च महीने में कर्मचारियों के रेकार्ड का सत्यापन भी किया जाता है। फाइल में कोई कमी होने पर संस्था संचालकों को सभी काम छोड़कर सीधे जयपुर भागना पड़ता था।
इस साल से यह बदले नियम: कोरोनाकाल में आवागन सहित अन्य परेशानियों को देखते हुए सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग ने अब जिला अधिकारियों को सीधे राशि जारी करने के अधिकार दे दिए है। इससे कागजों में हेराफेरी की संभावना भी नहीं रहेगी। हालांकि संस्था संचालक नए नियमों से पूरी तरह संतुष्ट है लेकिन पुराना पैसा नहीं मिलने से काफी परेशान।
संस्थाओं का दर्द: कैसे चलाए खर्चापत्रिका टीम ने कई सामाजिक संस्थाओं के संचालकों से बातचीत की। उन्होंने बताया कि विभाग की ओर से पिछले एक साल में आठ से ज्यादा निरीक्षण कराए जा चुके हैं। हर निरीक्षण में बच्चों की संख्या भी एक समान मिली है। मुख्यालय की ओर से कई बार फोटो व वीडियो भी मांगे जा चुके हैं। इसके बाद राशि नहीं देने से आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। दस से अधिक संस्था संचालक एेसे है जिन्होंने विभाग को जुलाई महीने तक राशि नहीं मिलने पर संस्था संचालन बंद करने के लिए भी कहा है।
इनका कहना हैनिदेशालय स्तर से अब सामाजिक संस्थाओं को अनुदान की राशि जिला मुख्यालय से देने के आदेश जारी हुए है। संस्थाओं के पुराने अनुदान की फाइल मुख्यालय स्तर पर लंबित है। फिर भी जल्द संस्थाओं को पैसा दिलाने की कोशिश की जाएगी, जिससे संस्था संचालन में दिक्कत नहीं हो।ओमप्रकाश राहड़, सहायक निदेशक, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग, सीकर

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