जयपुर/सीकर. जिला एवं सत्र न्यायालय जयपुर महानगर ने इंडियन मुजाहिदीन के जिन 12 सदस्यों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। वे गोपालगढ़ पुलिस फायरिंग को लेकर बदले की भावना से जयपुर के मोती डूंगरी गणेश मंदिर, बिरला मंदिर, डब्लूटीपी के साथ भरतपुर के गंगा मंदिर, लक्ष्मण मंदिर सहित प्रमुख बाजारों में विस्फोट की योजना बना रहे थे। इंडियन मुजाहिदीन के जियाउर्रहमान उर्फ वकास से दिल्ली एटीएस की पूछताछ के बाद राजस्थान मोड्यूल और साजिश की कडिय़ां खुलती गईं। 22 मार्च 2014 को उससे पूछताछ में तीन जनों को बम बनाने की ट्रेनिंग होने की जानकारी सामने आई।
इसके आधार पर दिल्ली एटीएस की टीम ने राजस्थान एटीएस व एसओजी के साथ मिलकर जयपुर, सीकर व अन्य जिलों से 13 संदिग्ध युवकों को गिरफ्तार किया था, जो राजस्थान में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए बम तैयार कर रहे थे। कोर्ट में दायर चार्जशीट में इन युवकों के फर्जी दस्तावेजों से सिम खरीदने, जिहाद के नाम पर फंड एकत्रित करने, आतंकियों को शरण देने, बम विस्फोट के लिए रेकी के आरोप लगाए गए। इनके कब्जे से एटीएस ने लैपटॉप, फोन, पेनड्राइव, किताबें, दस्तावेज, इलेक्ट्रॉनिक सामान आदि बरामद किया था। दिल्ली एटीएस की सूचना पर राजस्थान एटीएस ने 28 मार्च, 2014 को एफआइआर दर्ज की थी।स्पेशल केस ऑफिसर स्कीम का मिला फायदाजांच का जिम्मा एटीएस के एएसपी अनंत कुमार को सौंपा गया। जिन्होंने जांच के बाद 13 आरोपियों के खिलाफ चालान पेश किया। पूरे मामले की ट्रायल के लिए स्पेशल केस ऑफिसर के तौर पर पुलिस निरीक्षक रमेश कुमार पारीक को जिम्मा सौंपा। इनके साथ कांस्टेबल श्योपाल ने पूरे समय मामले पर नजर रखी। हर गवाह को कोर्ट तक लाना और उनके बयान करवाने के साथ ही दस्तावेज एकत्र किए गए। सरकारी अधिवक्ता लियाकत खान ने मामले में 600 पेज की लिखित बहस कोर्ट के सामने रखी। जिसमें गवाहों के बयान और दस्तावेजों के आधार पर कोर्ट में आरोप साबित किया गया। यही वजह रही मामले में कोर्ट ने 12 आरोपियों को आजीवन कारावास और 91 लाख रुपए से ज्यादा का जुर्माना लगाया।
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