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बोर्ड परीक्षा रद्द, अब अरमानों पर पैर रखकर बढ़ेंगे आगे

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सीकर. कोरोना की तीसरी लहर के भय के साए में राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की परीक्षाएं भी रद्द हो गई है। सरकार के इस फैसले से प्रदेश के 21.58 लाख विद्यार्थियों में कही खुशी व कही गम जैसे हालात है। इस साल बारहवीं बोर्ड की परीक्षा में शामिल होने वाले टॉपर विद्यार्थियों का कहना है कि पिछले दो साल से बोर्ड परीक्षा के लिए जी-जान से जुटे थे। मार्च में परीक्षा स्थगित होने के बाद भी दस बारह घंटे तक पढ़ाई जारी थी। लेकिन ऐसा क्या पता था कि कोरोना हमारे बोर्ड तमगे की खुशियों को भी लील जाएगा। दसवीं में 97 फीसदी से अधिक अंक हासिल करने वाले इन होनहारों का कहना है कि कोरोना ने भले ही हमारी खुशियों को लॉकडाउन कर दिया हो लेकिन अभी भी मंजिल तक पहुंचने का जुनून कम नहीं हुआ है। इधर, अभिभाववकों की पीड़ा है कि बच्चों की बोर्ड परीक्षाओं की अच्छी तैयारी के लिए दूध बेचकर घर का खर्चा चलाया लेकिन क्या पता था कि बोर्ड से ज्यादा परीक्षा कोरोना लेगा। माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की परीक्षा स्थगित होने के फैसले से जुड़ी विद्यार्थियों के खुशी और गम से जुड़ी पत्रिका की खास रिपोर्ट।
केस एक: दसवीं में 97.83 फीसदी अंक, स्टेट टॉपर के लिए पूरे साल मेहनतभीलवाड़ा जिले के कोटड़ी ब्लॉक की छात्रा लाली जाट कोरोना की वजह से बोर्ड परीक्षा रद्द होने से बेहद मायूस है। लाली ने दसवीं परीक्षा में 97.83 फीसदी अंक हासिल किए थे। दससीं की छोटी गलतियों से बड़ी सीख लेते हुए छात्रा ने दो साल तक लगातार कड़ी मेहनत की। होनहार बेटी को उम्मीद थी कि इस साल सभी विषयों में पूरे अंक लाकर गांव की माटी का नाम रोशन करूंगी। बारहवीं कला संकाय की छात्रा लाली पिछले दो साल से सीकर के निजी स्कूल में अध्ययनरत है। खास बात यह है कि दसवीं क्लास की पढ़ाई के लिए पिता ने अपनी भैंस बेच दी थी। पिता का सपना है कि दसवीं के साथ बारहवीं में भी बेटी बोर्ड से तमगा लेकर आए। लाली का कहना है कि अब पूरा फोकस आईएएस की तैयारी पर है।केस दो: रातभर नींद नहीं आई, अब आईएएस बनने का सपनाबीबीपुर बड़ा निवासी निकिता बिजाराणियां को इस साल बारहवीं की बोर्ड परीक्षा से बहुत उम्मीद थी। होनहार ने दसवीं बोर्ड परीक्षा में 96.83 अंक हासिल किए थे। वह मार्च में परीक्षा स्थगित होने के बाद भी सात से आठ घंटे नियमित पढ़ाई में जुटी थी। बकौल, नीकिता बुधवार रात को जब सरकार का यह फैसला आया तो सोचकर पूरी रात नींद नहीं आई। साइंस स्ट्रीम की छात्रा का कहना है कि मन में एक ही सवाल रातभर गूंजता रहा कि अब सपना कैसे पूरा होगा। लेकिन मन को समझाया कि हिम्मत हारने से कुछ नहीं होगा। अब आइएएस की तैयारी ही लक्ष्य है। इसके लिए तैयारी शुरू कर दी है।बेटी के टॉपर बनने की खुशी में पिता आते सात समुन्दर पार सेनिकिता का कहना है कि यदि सरकार की मार्र्किंग पॉलसी से संतुष्ट नहीं हुई तो जरूर दूसरा ऑप्शन तलाशेंगे। निकिता के पिता जयपाल बिजाराणियां व मां भंवरी देवी भी सरकार के इस फैसले से बहुत सकते में है। उनके पिता पिछले एक साल से कुवैत से नहीं आए। हर हर दिन यही कहते थे जिस दिन बेटी का बारहवीं का परिणाम आएगा उसी दिन आऊंगा।केस तीन: इस साल 99 फीसदी अंकों की थी उम्मीद, ताउम्र रहेगा मलालचूरू जिले के निवासी अवधेश सहारण ने दसवीं बोर्ड में 96.83 फीसदी अंक हासिल किए थे। बारहवीं बोर्ड में और ज्यादा अंक हासिल करने के लिए दसवीं बोर्ड का परिणाम आने से पहले ही तैयारी शुरू कर दी थी। इस साल बाहरवीं बोर्ड में 99 फीसदी से अधिक अंक आने की उम्मीद थी। लेकिन ताउम्र बाहरवीं बोर्ड की परीक्षा नहीं देने का मलाल रहेगा। उनका कहना है कि हर विद्यार्थी के जीवन में बोर्ड परीक्षाओं नींव का काम करती है।अब नीट पर ही फोकस, खुशियों के लिए बारहवीं बोर्ड का इंतजारदसवीं बोर्ड की छात्रा प्रतिष्ठा का कहना है कि सरकार ने परीक्षा स्थगित कर प्रमोट कर दिया है। अब तक पूरा ध्यान बोर्ड परीक्षा पर था। लेकिन अब आठ घंटे घंटे नीट की तैयारी करने में जुट गई है। उनका कहना है कि कोरोना की वजह से सरकार ने भले ही प्रमोट कर दिया, लेकिन बोर्ड परीक्षा परिणाम की खुशियों के लिए बारहवीं बोर्ड का इंतजार करना पड़ेगा।

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