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कई दलों के बदले रुख से बिगड़ सकता है बीजेपी का खेल

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भारी विरोध के बीच आज राज्यसभा में पेश होगा नागरिकता बिल, 2 बजे के करीब गृहमंत्री अमित शाह इस बिल को चर्चा के लिए उच्च सदन में रखेंगे.खास बात ये है कि जरूरी संख्या बल के बावजूद शिवसेना के बदले रुख से बीजेपी का खेल पलट सकता है.

लोकसभा से सोमवार को आसानी से पास होने के बाद अब नागरिकता संशोधन बिल को राज्यसभा से पास कराने की चुनौती मोदी सरकार के सामने है. इस विवादित बिल को आज दोपहर में राज्यसभा में पेश किया जाएगा. राज्यसभा की कार्यवाही सूची के मुताबिक दोपहर 2 बजे गृहमंत्री अमित शाह इस बिल को चर्चा के लिए सदन में पेश करेंगे, जिसके बाद सभी सदस्य इस पर अपने विचार रखेंगे.

राज्यसभा कार्यालय ने इस बिल पर चर्चा के लिए 6 घंटे का समय आवंटित किया है. अब आज चर्चा के बाद इस बिल को राज्यसभा से पारित कराना बीजेपी और मोदी सरकार की असल चुनौती होगी. दरअसल लोकसभा में आसानी से पास होने के बाद आत्मविश्वास से भरी मोदी सरकार को मंगलवार को उस समय तगड़ा झटका लगा जब लोकसभा में बिल पर साथ देने वाली शिवसेना ने राज्यसभा में बीजेपी के खिलाफ जाने के संकेत दिए.महाराष्ट्र के सीएम और शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि उनकी पार्टी राज्यसभा में इस बिल का तब तक समर्थन नहीं करेगी, जब तक इस बिल से संबंधित उसके कुछ सवालों का जवाब नहीं मिलता है.

ठाकरे ने कहा कि हमने कई सवाल पूछे हैं. इन सवालों में राष्ट्रीय सुरक्षा से लेकर भारत के विभिन्न राज्यों में स्थानीय लोगों के अधिकार से जुड़े सवाल शामिल हैं. यदि इन प्रश्नों का उत्तर नहीं दिया जाता है, तो हम राज्य सभा में इस बिल का समर्थन नहीं करेंगे.इसका समर्थन या विरोध करने वाली हर पार्टी राष्ट्रीय हित में स्पष्टता के लिए कह रही है और सरकार द्वार इसे सुनिश्चित किया जाना चाहिए.

इससे पहले एनडीए में शामिल और लोकसभा में बिल पर बीजेपी का साथ देने वाली नीतीश कुमार की जेडीयू में भी इस बिल के समर्थन पर विरोध शुरू होने से राज्यसभा में पार्टी के रुख को लेकर अटकलें लगने लगी हैं. जेडीयू के कुमार प्रशांत और पवन वर्मा ने मंगलवार को खुलकर लोकसभा में बिल के समर्थन को लेकर पार्टी के फैसले पर सवाल खड़े कर दिए. जिसके बाद जेडीयू में भी राज्यसभा में पार्टी के रुख को लेकर असमंजस है. ऐसे में कहा नहीं जा सकता है कि राज्यसभा में पार्टी का रुख क्या होगा.

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हालांकि, जहां तक संख्या बल की बात है तो राज्यसभा में फिलहाल संख्या बल एनडीए गठबंधन के पक्ष में दिख रहा है, हालांकि, विपक्षी सदस्यों की संख्या भी सत्ता पक्ष के आसपास ही है. यहां बता दें कि राज्यसभा में कुल सदस्य 245 हैं.फिलहाल पांच सीटें रिक्त होने की वजह से कुल सदस्यों की संख्या 240 है. इस आधार पर अगर सभी सदस्य उबिल को पास करान के लिए 121 वोट की जरूरत पड़ेगी और इस बिल को गिराने के लिए भी विपक्ष को इतने ही मतों की जरूरत होगी.

वर्तमान में राज्यसभा में एनडीए की तरफ बीजेपी के 83, एआईएडीएमके के 11, बीजेडी के 7, जेडीयू के 6, अकाली दल के 3, आरपीआई के 1, एलजेपी के 1, वाईएसआर कांग्रेस के 2, टीडीपी के 2, एजीपी के 1, बीपीएफ के 1, एनपीएफ के 1, एसडीएफ के 1, 3 नॉमिनेटेड सदस्य, अन्य 4 सदस्यों के साथ कुल 127 सांसद हैं जो बिल के पक्ष में वोट कर सकते हैं.

वहीं इस बिल के खिलाफ विपक्ष की तरफ कांग्रेस के 46, टीएमसी के 13, एसपी के 9, टीआरएस के 6, सीपीएम के 5, डीएमके के 5, एनसीपी के 4, बीएसपी के 4, आरजेडी के 4, आप के 3, सीपीआई के 1, आईयूएमएल के 1, पीडीपी के 2, जेडीएस के 1, केरल कांग्रेस एम के 1, एमडीएमके के 1, पीएमके के 1, शिवसेना के 3, एक नॉमिनेटेड सदस्य और 2 निर्दलीय और अन्य के साथ कुल 113 सदस्य हो रहे हैं.

ऐसे में भले बीजेपी का दावा है कि राज्यसभा में 127 सदस्य पहले से ही इस बिल का समर्थन कर रहे हैं और उम्मीद है कि और भी दल उसके साथ जुड़ेंगे, लेकिन शिवसेना समेत अन्य दलों के रुख के कारण बीजेपी को राज्यसभा से इस बिल को पास करना फिलहाल टेढ़ी खीर ही नजर आ रहा है. यहां ये ध्यान रखने वाली बात है कि मोदी सरकार के पिछले कार्यकाल में संख्या की कमी के कारण ही राज्यसभा में यह विधेयक आगे नहीं बढ़ पाया था.

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